मतदाता अभियान से पहले बीएलओ का पेट दर्द
बीएलओ जिलाधिकारी व तहसील में किसी न किसी बहाने का प्रार्थना पत्र देकर मतदाता अभियान से ड्यूटी हटवाने की जुगत में लग गए हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: अभी मतदाता सूची सत्यापन अभियान शुरू भी नहीं हुआ कि अभियान के लिए नियुक्त बीएलओ के पेट में दर्द शुरू हो गया है। स्थिति ये है कि विभिन्न विभागों के करीब 10 कर्मचारी जिलाधिकारी व तहसील में किसी न किसी बहाने का प्रार्थना पत्र देकर ड्यूटी हटवाने की जुगत में लग गए हैं। अभियान में ड्यूटी से निजात पाने को ऐसे प्रार्थना पत्रों का दौर बढ़ता जा रहा है।
बता दें कि इस अभियान के तहत दून में कुल 911 बीएलओ की ड्यूटी लगाई गई है। इनमें जहां 366 आंगनबाड़ी, 141 आशा कार्यकर्ता, 12 सेवानिवृत्त कर्मचारी, चार राजस्व विभाग के कर्मी, 69 शिक्षक व 307 अन्य विभागों के कर्मचारी शामिल हैं। अभियान 10 अक्टूबर से 10 नवंबर यानी एक महीने चलेगा।
इस दौरान बीएलओ मतदाता बूथों पर बैठकर जहां नए मतदाताओं के आवेदन फार्म व पुराने वोटर कार्ड की त्रुटियां ठीक कराएंगे, वहीं मतदाताओं के घर-घर पहुंचकर भी अभियान चलेगा। रही बात ड्यूटी से मुक्ति पाने की तो जल संस्थान ने जिला प्रशासन को पत्र भेजकर बीएलओ ड्यूटी में नियुक्त किए गए छह कर्मचारी महेश प्रसाद, सुशील कुमार वर्मा, समरजीत, बृजमोहन गुप्ता, ओम कुमार, दशरथ प्रसाद को मुक्त करने की मांग की। जल संस्थान का तर्क है कि यदि उक्त कर्मचारी बीएलओ का काम करेंगे तो जल संस्थान का वसूली का काम ठप हो जाएगा।
जबकि, बता दें कि जल संस्थान की वसूली का काम दिसंबर के बाद ही पटरी पर आता है। इसके अलावा एक और अन्य कर्मचारी ने तहसील में प्रार्थना पत्र देकर कहा है कि उनकी तबीयत खराब होने के कारण वह बीएलओ की ड्यूटी करने में असमर्थ हैं। इसलिए उन्हें इससे मुक्त किया जाए। अब तक ऐसे ही बहानों के 10 आवेदन पहुंच चुके हैं। जबकि, मतदाता सूची सत्यापन अभियान केंद्र सरकार का महत्वपूर्ण अभियान है।
उपजिलाधिकारी प्रत्यूष सिंह का कहना है कि मतदाता सूची सत्यापन अभियान में सभी बीएलओ का कार्य पर रहना अनिवार्य है। अभियान में लापरवाही व बहानेबाजी कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो लोग ड्यूटी से मुक्ति के लिए प्रार्थना पत्र दे रहे हैं, पहले उनकी जांच की जाएगी। इसके बाद ही इन पर विचार किया जाएगा।
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