उत्तराखंड निकाय चुनाव में भाजपा का नए चेहरों पर दांव
शहरी निकाय चुनावों में उत्तराखंड में भी भारतीय जनता पार्टी दिल्ली की तर्ज पर नए चेहरों पर दांव खेल सकती है। इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी गई है।
देहरादून, [अनिल उपाध्याय]: शहरी निकाय चुनावों में उत्तराखंड में भी भारतीय जनता पार्टी दिल्ली की तर्ज पर नए चेहरों पर दांव खेल सकती है। इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी गई है। सबको मौका देने की रणनीति के तहत भाजपा ने पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं को निकाय चुनाव में चेहरा बनाने की योजना बनाई है। इसके साथ ही निकायों में आरक्षण को भी नए सिरे से निर्धारित किया जा रहा है। इस मामले में पार्टी नेतृत्व इस मामले में अभी खुलकर नहीं बोल रहा है। हालांकि, सूत्रों की मानें तो इसके लिए पार्टी ने कवायद शुरू कर दी है।
राज्य में 2018 की शुरुआत में निकाय चुनाव प्रस्तावित हैं। इसके लिए पार्टी और सरकार दोनों के स्तर पर तैयारियां शुरू हो गई हैं। सूत्रों की मानें तो इस बार भारतीय जनता पार्टी निकाय चुनावों में पाषर्दों से लेकर निकाय अध्यक्षों और महापौर पदों पर नए चेहरों को उतारने जा रही है।
हाल ही में दिल्ली एमसीडी चुनावों में भी भाजपा ने इसी तरह का चौंकाने वाला फैसला लिया था और परिणाम शानदार रहे थे। माना जा रहा है कि इस सफलता को देखते हुए भाजपा ने उत्तराखंड में भी इसी रणनीति पर काम करने का निर्णय लिया है। इसके पीछे पार्टी की मंशा पार्टी कार्यकर्ताओं को मौका देते हुए नए कार्यकर्ताओं के भरोसे को मजबूत करना है।
दरअसल, विधानसभा से लेकर स्थानीय निकायों तक के चुनाव में एक जैसे ही चेहरे बार-बार मैदान में होते हैं। ऐसे में पुराने और कर्मठ कार्यकर्ताओं को ऐसा लगता है कि उनके लिए रास्ते बंद हो रहे हैं। इस स्थिति में भाजपा के केंद्रीय और प्रांतीय नेतृत्व ने जो लोग लंबे समय से विभिन्न पदों पर चुनाव लड़ते रहे हैं, उनके स्थान पर पार्टी के पुराने और कर्मठ कार्यकर्ताओं को मौका देने की रणनीति बनाई है।
राज्य के मौजूदा छह नगर निगमों समेत सभी 92 शहरी निकायों में पार्षदों, अध्यक्षों और निगमों के महापौर के पदों पर आरक्षण भी नए सिरे से तय किया जाएगा। इसके लिए विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि देहरादून नगर निगम महापौर का पद इस बार आरक्षित हो सकता है। सरकार इससे पहले पांच नए निगमों को भी अस्तित्व में लाने की कवायद कर रही है।
कुल मिलाकर सरकार की कोशिश है कि इस बार न सिर्फ निकायों की तस्वीर अलग होगी, बल्कि नए चेहरे भी नई ऊर्जा के साथ लोगों के बीच होंगे।
शहरी विकास, निर्वाचन एवं पुनर्गठन मंत्री व राज्य सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने इस मामले में कहा कि दिल्ली में यह रणनीति सफल रही है। राज्य में इस मामले में जो भी फैसला केंद्रीय व प्रांतीय नेतृत्व करेगा, उसके अनुसार चयन किया जाएगा। नए निगमों को लेकर उन्होंने कहा कि प्रक्रिया चल रही है, जल्द तस्वीर साफ होगी।
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