Uttarakhand Assembly Election 2022: विधानसभा चुनाव में परफार्मेंस पर बटेंगे-कटेंगे विधायकों के टिकट
Uttarakhand Assembly Election 2022 भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि विधानसभा चुनाव में उन्हीं विधायकों को फिर टिकट दिया जाएगा जो परफार्मेंस के पैमाने पर खरा उतरेंगे।
देहरादून, विकास धूलिया। Uttarakhand Assembly Election 2022 विधानसभाओं में वर्चुअल रैलियों के जरिये पार्टी कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के बाद अब भाजपा अपने विधायकों की नापजोख की तैयारी में है। पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में उन्हीं विधायकों को फिर टिकट दिया जाएगा, जो परफार्मेंस के पैमाने पर खरा उतरेंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस पर हामी भरी है।
भाजपा पिछले छह वर्षों से उत्तराखंड में खासी मजबूत होकर उभरी है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी मैजिक में पार्टी ने सभी पांचों सीटों पर जीत का परचम फहराया। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में फिर भाजपा का प्रदर्शन एतिहासिक रहा। पार्टी को 70 सदस्यीय विधानसभा में 57 सीटों पर जीत मिली। उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद हुए चार विधानसभा चुनावों में पहला अवसर रहा, जब कोई पार्टी तीन-चौथाई से ज्यादा सीटों पर काबिज हुई। भाजपा का विजय रथ वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उसी गति से आगे बढ़ा। एक बार फिर पांचों सीटें भाजपा की झोली में आईं। यही नहीं, पंचायत और निकाय चुनावों में भी भाजपा अपनी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस पर भारी पड़ी।
अब जबकि, अगले विधानसभा चुनाव को महज डेढ़ साल का ही वक्त बाकी है, पार्टी पर पिछले चुनाव का प्रदर्शन दोहराने का भारी दबाव, या कहें तो चुनौती है। यही वजह है कि प्रदेश सरकार और पार्टी संगठन किसी भी स्तर पर कोई कोताही बरतने के मूड में नहीं हैं। इस कड़ी में अब पार्टी ने अपने विधायकों की परफार्मेंस के आकलन का इरादा जाहिर किया है। इसका मतलब यह हुआ कि कौन विधायक अपने क्षेत्र में कितना सक्रिय रहा और उसकी मतदाताओं पर पकड़ कितनी मजबूत है, पार्टी संगठन इसका ब्योरा एकत्र करेगा। इसके अलावा भी कई अन्य पैमानों पर विधायकों को खरा उतरना होगा। पार्टी के इस फैसले को इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि पहले भी भाजपा विधानसभा चुनावों में अपने सिटिंग विधायकों के टिकट अलग-अलग कारणों से काट चुकी है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत का कहना है कि अभी हालांकि विधानसभा चुनाव में वक्त है, लेकिन निश्चित तौर पर टिकट का पैमाना तो विधायकों की परफार्मेंस ही होती है। परफार्मेंस के आकलन के बाद प्रदेश भाजपा की कोर कमेटी तय करेगी कि किसे रिपीट करना है और किसे नहीं। फिर केंद्रीय पार्लियामेंटरी बोर्ड की मुहर लगने पर इस संबंध में अंतिम फैसला होगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि बंशीधर भगत प्रदेश संगठन के मुखिया हैं। उन्होंने जो कहा, सोच समझ कर ही कहा होगा। जो परफार्म नहीं कर पाते, उन्हें क्यों विधानसभा में रहना चाहिए। हालांकि अंतिम निर्णय जनता को ही लेना होता है। बंशीधर भगत इन दिनों प्रदेश के भ्रमण पर हैं, इस दौरान उनके सामने इस तरह के कुछ विषय आए होंगे, तभी उन्होंने यह बात कही।
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