Move to Jagran APP

मुस्कुराइए, आपको मिला युवाशक्ति का साथ

निकाय और लोकसभा चुनाव से ऐन पहले भाजपा खेमे में उत्साह का माहौल है। पार्टी की छात्र इकाई एबीवीपी ने राज्यभर के महाविद्यालयों में हुए छात्रसंघ चुनाव में जिस तरह अपना परचम फहराया।

By Edited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 04:22 PM (IST)
मुस्कुराइए, आपको मिला युवाशक्ति का साथ
मुस्कुराइए, आपको मिला युवाशक्ति का साथ

देहरादून, [विकास धूलिया]: चंद महीनों बाद होने जा रहे निकाय और लोकसभा चुनाव से ऐन पहले भाजपा खेमे में उत्साह का माहौल नजर आ रहा है तो यह बिल्कुल जायज है। पार्टी की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, यानी एबीवीपी ने राज्यभर के महाविद्यालयों में हुए छात्रसंघ चुनाव में जिस तरह अपना परचम फहराया, उसने पार्टी नेताओं में भरोसा जगाया है कि युवा शक्ति का साथ अब भी उसे हासिल है। इसके विपरीत भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन, यानी एनएसयूआइ का खराब प्रदर्शन कांग्रेस के लिए किसी झटके से कम नहीं।

loksabha election banner

अलबत्ता, जिस तरह कई जगहों पर भाजपा के बागियों ने जीत दर्ज की, उसने पार्टी नेताओं को यह सोचने को जरूर बाध्य कर दिया कि अगर प्रत्याशी चयन साफ सुथरा होता, तो तस्वीर ज्यादा बेहतर हो सकती थी। राज्य गठन के बाद यह पहला मौका रहा, जब पूरे राज्य के महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव एक साथ संपन्न कराए गए। इस लिहाज से भी देखा जाए तो एबीवीपी का चुनावी प्रदर्शन खासा महत्वपूर्ण नजर आ रहा है। 

राज्य सरकार द्वारा छात्र राजनीति को लेकर किए गए नए प्रयोग पर इससे मुहर भी लग गई। राज्य के कुल 84 महाविद्यालयों के छात्रसंघ चुनाव में से 40 पर एबीवीपी ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआइ महज 17 सीटों पर सिमट गई। दिलचस्प बात यह रही कि भाजपा व कांग्रेस छात्र संगठनों से इतर स्थानीय स्तर पर वजूद रखने छात्र संगठनों और निर्दलीयों ने 27 महाविद्यालयों में अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया।

यानी, एनएसयूआइ को इस बात का भी अफसोस रहेगा कि इतने बड़े सांगठनिक ढांचे के बावजूद उसे स्थानीय छात्र संगठनों और निर्दलीयों से भी पिछड़ना पड़ा। गढ़वाल मंडल में एनएसयूआइ का प्रदर्शन अपेक्षाकृत खासा दयनीय रहा। उसे 44 में से केवल तीन महाविद्यालयों में अध्यक्ष पदों पर जीत दर्ज करने का मौका मिला। राज्य के दूसरे, कुमाऊं मंडल में स्थानीय छात्र संगठन व निर्दलीयों का दबदबा नजर आया। इन्हें 21 महाविद्यालयों में अध्यक्ष पद हासिल हुआ।

एबीवीपी के इस प्रदर्शन के बावजूद संगठन को यह बात जरूर टीस दे रही होगी कि उसकी सफलता का आंकड़ा और ज्यादा बेहतर हो सकता था, बशर्ते प्रत्याशी चुनने में 'अपनों' को कृतार्थ करने की होड़ न होती। देहरादून जिले में जिस तरह एबीवीपी से बगावत कर मैदान में उतरे छात्र नेताओं ने जीत दर्ज की, उससे इस बात की साफ तौर पर पुष्टि होती है। अब अगर वर्षो से संगठन की राजनीति करने वाले छात्र नेताओं को चुनाव के वक्त दरकिनार किया जाएगा तो इसका खामियाजा भुगतना ही पड़ेगा।

अब अगर बात की जाए एनएसयूआइ की तो प्रत्याशी चयन में वहां भी तस्वीर कोई बहुत ज्यादा जुदा नहीं रही। देहरादून समेत राज्य के 17 महाविद्यालयों में एनएसयूआइ ने वर्षो से संगठन से जुडे़ छात्रों को दरकिनार कर बाहरी छात्रों को मैदान में उतारा और उन्हें हार झेलनी पड़ी। प्रदेश का सबसे बड़ा डीएवी महाविद्यालय इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। महज 20 दिन पहले एक स्थानीय छात्र संगठन छोड़कर दामन थामने वाले छात्र नेता को एनएसयूआइ ने अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बना दिया, जिससे संगठन में भितरखाने फूट पड़ गई।

कई पूर्व छात्र नेता चुनाव प्रचार में शामिल ही नहीं हुए और नतीजा हार के रूप में सामने आया। अब जबकि अगले कुछ महीनों में राज्य में नगर निकाय और फिर लोकसभा चुनाव होने हैं, भाजपा के लिए एबीवीपी के जरिये छात्रशक्ति का विश्वास हासिल करने वाला यह प्रदर्शन निश्चित रूप से पार्टी के हौसलों को नई उड़ान देगा। इसके ठीक उलट, कांग्रेस को इससे बड़ा आघात लगना तय है क्योंकि उसका छात्र संगठन अपेक्षा के मुताबिक स्वयं को साबित करने में पूरी तरह नाकाम रहा। 

एक मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर दी बधाई 

भाजपा के लिए एबीवीपी का छात्रसंघ चुनाव में प्रदर्शन कितना मायने रखता है, यह इससे समझा जा सकता है कि स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस पर खुशी जाहिर करते हुए बधाई दी। भाजपा राष्ट्रीय कार्यसमिति में शिरकत के लिए दिल्ली पहुंचे मुख्यमंत्री ने रविवार को ट्वीट कर एबीवीपी के प्रदर्शन पर कहा, 'उत्तराखंड में छात्रसंघ चुनावों में राज्य के ज्यादातर कॉलेजों में एबीवीपी की प्रचंड जीत पर समस्त विजयी प्रत्याशियों को बधाई। समस्त छात्रों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।'

राज्य में छात्र संगठनों का प्रदर्शन 

  • कुल महाविद्यालय 84 
  • एबीवीपी 40 
  • एनएसयूआइ 17 
  • स्थानीय छात्र संगठन व निर्दलीय 27

यह भी पढ़ें: छात्रसंघ चुनाव: डीएवी पीजी कॉलेज में अध्यक्ष पद पर रिकॉर्ड 12वीं बार अभाविप की जीत

यह भी पढ़ें: एसजीआरआर पीजी कॉलेज में अभाविप के बागी ने मारा मैदान


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.