जीरो टॉलरेंस पर भाजपा सरकार का वादा कितना पूरा, कितना अधूरा
भाजपा अभी तक जीरो टॉलरेंस के मुद्दे पर तेजी से आगे बढ़ती नजर आ रही है। भाजपा ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के मुुद्दे के दम पर प्रदेश में सत्ता हासिल की थी।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: भाजपा ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के जिस मुद्दे पर प्रदेश में सत्ता हासिल की थी, वह उस पर अभी तक सख्ती से आगे बढ़ती नजर आ रही है। जिस तरह से सरकार ने पहले एनएच-74 (हरिद्वार-ऊधमसिंहनगर-बरेली) मुआवजा प्रकरण पर पीसीएस और फिर आइएएस अधिकारियों पर शिकंजा कसा उससे जीरो टॉलरेंस की मुहिम को संबल मिला है। हालांकि, अभी भी कई मामले ऐसे हैं जिन पर इस जीरो टॉलरेंस का असर अभी दिखना बाकी है।
भाजपा ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस को अहम मुद्दा बनाया था। मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की प्रतिबद्धता को दोहराया। इस पर पहला कदम एनएच 74 सड़क मुआवजा घोटाले को लेकर उठाया गया। शपथ ग्रहण करने के कुछ ही दिनों के भीतर सरकार ने मामले में संलिप्त आठ पीसीएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इसके बाद समाज कल्याण विभाग में छात्रवृति घोटाला, शिक्षा विभाग में शिक्षक भर्ती घोटाला, खाद्यान्न घोटाला, आयुर्वेद विश्वविद्यालय में हुई नियुक्तियों में धांधली और सिडकुल में हुई अनियमितताओं के मामलों की जांच के निर्देश दिए जा चुके हैं। एनएच 74 घोटाले में तो दो आइएएस अधिकारियों को निलंबित करना जीरो टॉलरेंस का अब तक का सबसे बड़ा कदम माना गया है।
इसी प्रकार हाल ही में आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति को भी निलंबित किया है। सरकार ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनके अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के स्टिंग के मामले में भी तेजी से कदम उठाया। देखा जाए तो मुख्यमंत्री अभी तक जीरो टॉलरेंस की नीति का सख्ती से पालन करते नजर आ रहे हैं। उनकी इस नीति से अब जनता की अपेक्षाएं भी बढ़ने लगी है।
अब हर प्रकरण को सीधे जीरो टॉलरेंस से जोड़कर देखा जाने लगा है। यही कारण है कि छात्रवृति घोटाले और सिडकुल में हुई अनियमितताओं की शिकायत पर शुरू हुई जांच के अभी तक अंजाम पर न पहुंचने पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। मुख्यमंत्री के जीरो टॉलरेंस पर सख्त रुख का असर अब उनके मंत्रियों के विभागों में भी दिखा है, बावजूद इसके अभी भी कई विभागों से लगातार भ्रष्टाचार से जुड़े प्रकरण सामने आ रहे हैं। इससे यह साफ है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस को लेकर अभी धरातल पर और सख्ती दिखाए जाने की आवश्यकता बनी हुई है।
यह भी पढ़ें: चमोली जिपं सीट पर भाजपा को बड़ा झटका, कांग्रेस समर्थित रमावती बनीं अध्यक्ष
यह भी पढ़ें: स्थानीय निकाय चुनावों में असंतुष्टों को कांग्रेस भी दिखाएगी बाहर का रास्ता