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जैव विविधता प्रबंधन समितियों को इसी माह मिलेगा हक, बोर्ड के पास जमा हो चुकी है छह करोड़ की धनराशि

जैव विविधता के मामले में धनी उत्तराखंड के सभी नगर और ग्रामीण निकायों में भले ही जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बीएमसी) अस्तित्व में आ चुकी हों मगर ये अभी अपने हक से वंचित हैं। उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड अब इसे लेकर गंभीर हुआ है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 17 Jul 2021 06:05 AM (IST)Updated: Sat, 17 Jul 2021 06:05 AM (IST)
जैव विविधता प्रबंधन समितियों को इसी माह मिलेगा हक, बोर्ड के पास जमा हो चुकी है छह करोड़ की धनराशि
जैव विविधता प्रबंधन समितियों को इसी माह मिलेगा हक।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। जैव विविधता के मामले में धनी उत्तराखंड के सभी नगर और ग्रामीण निकायों में भले ही जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बीएमसी) अस्तित्व में आ चुकी हों, मगर ये अभी अपने हक से वंचित हैं। उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड अब इसे लेकर गंभीर हुआ है। राज्य के जैव संसाधनों का वाणिज्यिक उपयोग कर रही कंपनियों, संस्थाओं व व्यक्तियों की ओर से अब तक बीएमसी को देने के लिए छह करोड़ से अधिक की राशि बोर्ड के पास जमा कराई जा चुकी है। इसके वितरण के मद्देनजर बोर्ड एक कमेटी गठित करने जा रहा है, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर इस माह के आखिर तक बीएमसी को उनके हक की राशि बांटी जाएगी।

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जैव विविधता अधिनियम लागू होने के बाद प्रदेश की सभी 7797 ग्राम पंचायतों, 95 क्षेत्र पंचायतों, 13 जिला पंचायतों के साथ ही आठ नगर निगम, 43 नगर पालिका परिषद और 42 नगर पंचायतों में बीएमसी का गठन किया जा चुका है। बीएमसी की जिम्मेदारी अपने-अपने क्षेत्र के जैव संसाधनों के संरक्षण-संवद्र्धन के साथ ही इनका वाणिज्यिक उपयोग करने वालों पर नजर रखना है। सभी बीएमसी में पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर (पीबीआर) भी बन चुके हैं, जिनमें प्रत्येक बीएमसी के क्षेत्र में मौजूद जैव संसाधनों का ब्योरा उपलब्ध है।

जैव विविधता अधिनियम में प्रविधान है कि जैव संसाधनों का वाणिज्यिक उपयोग करने वाली कंपनियां, संस्थाएं और व्यक्ति अपने सालाना लाभांश में से 0.5 से तीन फीसद तक की हिस्सेदारी बीएमसी को अनिवार्य रूप से देंगे। तमाम कंपनियां, संस्थाएं और व्यक्ति इसका अनुपालन करते हुए जैव विविधता बोर्ड के पास बीएमसी के लिए लाभांश में से हिस्सेदारी जमा कर रहे हैं। यह राशि छह करोड़ से अधिक हो चुकी है, लेकिन विभिन्न कारणों से बीएमसी को इसका वितरण लटकता आ रहा है।

अब बोर्ड इसे लेकर गंभीर हुआ है। बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार सिंघल के अनुसार जल्द ही बोर्ड के सदस्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की जाएगी। यह कमेटी धनराशि के वितरण का फार्मूला तय करेगी और फिर इसके आधार पर इसी माह के आखिर तक बीएमसी को धनराशि देने का निश्चय किया गया है। उन्होंने कहा कि यह राशि मिलने पर बीएमसी अपने-अपने क्षेत्रों में जैव संसाधनों के संरक्षण को तेजी से कदम उठा सकेंगी।

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