उत्तराखंड सरकार के सामने आबकारी राजस्व पूरा करने की चुनौती, जानें- कितना है इस साल का लक्ष्य
सरकार को सबसे अधिक राजस्व देने वाले आबकारी विभाग के सामने इस साल निर्धारित राजस्व लक्ष्य को हासिल करने की बड़ी चुनौती है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश सरकार को सबसे अधिक राजस्व देने वाले आबकारी विभाग के सामने इस साल निर्धारित राजस्व लक्ष्य को हासिल करने की बड़ी चुनौती है। कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन और अब तक होटल, रेस्टोरेंट में बार शुरू न होने के कारण विभाग को राजस्व का खासा नुकसान हो रहा है। इतना ही नहीं इस वर्ष आबकारी महकमा पूरी दुकानों का आवंटन भी नहीं कर पाया है। विभाग की नजरें अब इस वर्ष के शेष बचे पर्यटन सीजन पर टिकी हुई है। यदि पर्यटन सीजन गति पकड़ता है तो विभाग निर्धारित राजस्व लक्ष्य के आसपास पहुंच सकता है।
उत्तराखंड में इस साल सरकार ने शराब और बियर की 659 दुकानों को आवंटित करने का निर्णय लिया। बीते वर्ष यह संख्या 619 थी। दुकानों का आवंटन पारदर्शी तरीके से करने और राजस्व में बढ़ोत्तरी करने के लिए विभाग ने पुराने तरीके को बदला था। इसके तहत विभाग ने दुकानों के आवंटन को ऑनलाइन आवेदन के स्थान पर लॉटरी सिस्टम के जरिये दुकान आवंटित करने का निर्णय लिया। यह तरीका पहले भी इस्तेमाल होता था।
बावजूद इसके 132 दुकानों के लिए विभाग को कोई खरीददार नहीं मिला। इससे विभाग को झटका तो लगा, लेकिन एक फायदा यह हुआ कि दुकानों के आवंटन से विभाग को तकरीबन 1722 करोड़ का राजस्व मिलना तय हो गया। इसके बाद विभाग ने लगातार अवशेष दुकानों को आवंटन करने का प्रयास किया। तमाम प्रयासों के बावजूद विभाग 132 में से केवल 25 दुकानें ही आवंटित कर पाया। अभी भी 106 दुकानों का आवंटन होना शेष है। यह विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है।
दरसअल, आबकारी विभाग का इस वर्ष का राजस्व लक्ष्य 3600 करोड़ रुपये है। बीते वर्ष यह 3050 करोड़ था। दुकानों के आवंटन और अन्य प्रक्रियाओं से विभाग ने निर्धारित लक्ष्य के 50 फीसद लक्ष्य को छू लिया है। हालांकि, विभाग को अभी तक केवल 1100 करोड़ रुपये ही नगद राजस्व के रूप में मिल पाए हैं। शेष, राजस्व लक्ष्य तक विभाग तभी पहुंच सकता है, जब शराब की खूब बिक्री हो। यह तभी हो पाएगा जब प्रदेश में बार खुलेंगे और पर्यटन गतिविधियां बढ़ेंगी। कारण यह कि प्रदेश में होने वाली कुल शराब की आधी खपत पर्यटकों द्वारा ही होती है।
इस बार दुकानों का आवंटन होने के बाद कोरोना के कारण देशव्यापी लॉकडाउन हो गया। इससे शराब व्यवसायियों के साथ ही प्रदेश सरकार को भी खासा नुकसान हुआ। प्रदेश में पर्यटन को कुछ समय पूर्व मंजूरी मिली है, लेकिन अभी इसमें गति नहीं आई है। इस कारण शराब व्यावसायी और विभाग दोनों के ही चेहरे लटके हुए हैं। आबकारी के व्यावसायियों ने सरकार से अधिभार माफ करने की मांग की थी लेकिन यह मंजूर नहीं हो पाई है।
विभाग का राजस्व लक्ष्य- 3600 करोड़ रुपये
शुरुआती छह माह में कमाई- 1100 करोड़ रुपये
शराब और बियर की कुल दुकानें- 659
कुल दुकानें आवंटित- 553
अवशेष दुकानें- 106