प्रसिद्ध पर्यावरणविद् भरत झुनझुनवाला ने बोले हाइड्रो प्रोजेक्ट छोड़ सोलर ऊर्जा को विकल्प बनाए सरकार
प्रसिद्ध पर्यावरणविद् एवं अर्थशास्त्री भरत झुनझुनवाला ने कहा कि सरकार को चाहिए कि सोलर ऊर्जा को बतौर मुख्य ऊर्जा स्रोत के रूप में विकसित करें।
देहरादून, जेएनएन। हाइड्रो प्रोजेक्ट से बन रही बिजली लगातार महंगी हो रही है। इसके अलावा प्रदेश के लिए भी हाइड्रो परियोजनाएं महंगी साबित हो रही हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि सोलर ऊर्जा को बतौर मुख्य ऊर्जा स्रोत के रूप में विकसित करें। यह बात प्रसिद्ध पर्यावरणविद् एवं अर्थशास्त्री भरत झुनझुनवाला ने कही।
सिंगोली-भटवाड़ी एवं विष्णुगाड-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना के विरोध में अर्थशास्त्री भरत झुनझुनवाला ने उत्तराखंड महिला मंच और पीपल्स फोरम ऑफ इंडिया के साथ मिलकर मोर्चा खोल दिया है।
प्रेसक्लब में पत्रकारों से वार्ता में भरत ने कहा कि रुद्रप्रयाग में चल रहे सिंगोली-भटवाड़ी परियोजना की नींव साल 2007 में रखी गई थी, जिसे साल 2013 में शुरू हो जाना था। लेकिन छह साल बाद भी यहां से उत्पादन शुरू नहीं हो सका। एल एंड टी कंपनी की ओर से बनाया जा रहा बांध 500 करोड़ में बनना तय हुआ था, जो अब 22 सौ करोड़ पर पहुंच गया है। वहीं, जोशीमठ में टीएचडीसी की ओर से बन रही विष्णुगाड-पीपलकोटी परियोजना लगभग पांच हजार 300 करोड़ की है।
दोनों परियोजनाएं ऐसे समय में शुरू की गई थी जब हाइड्रो बिजली की कीमत ढाई से तीन रुपये यूनिट थी और सोलर की 12 रुपये। आज के समय में हाइड्रो बिजली की कीमत छह से लेकर 12 रुपये यूनिट पहुंच गई है, जबकि सोलर ऊर्जा दो से तीन रुपये यूनिट पर आ गई है। हाइड्रो प्रोजेक्ट से महंगी बिजली पैदा होगी तो बिकेगी भी महंगी। देश के लोगों को और प्रदेश सरकार को ही इसका भार वहन करना होगा।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार दोनों परियोजनाओं को खुद खरीद कर इनमें इस्तेमाल हो रहे एसैट्स, टरबाइन समेत अन्य सामान को बेच देती है और एग्रीमेंट के अनुसार 75 फीसद कंपनी को भी चुका देती है। इसके बाद भी सरकार लगभग तीन हजार करोड़ के फायदे में रहेगी।
इस बाबत वह मुख्य सचिव को ज्ञापन और हाई कोर्ट में रिट भी दायर कर चुके हैं। हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को उनके विचारों का अध्ययन कर संज्ञान लेने के आदेश भी जारी किए हैं। उधर, महिला मंच की अध्यक्ष कमला पंत और जयकृत कंडवाल ने कहा कि इन बांधों को हटवाने के लिए जल्द आंदोलन शुरू किए जाएंगे।
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गंगा खो रही अपना वजूद
पर्यावरणविद् झुनझुनवाला ने बांधों से गंगा नदी पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभाव पर चिंता जताई। कहा कि नदियों के पानी पर जितना नियंत्रण करेंगे, जितना सुरंगों में डालेंगे, उतना ही वह अपना गुण खो देती हैं। साथ ही इससे जलीय जीवन भी प्रभावित हो रहा है।
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