भार्इ और बहन के रिश्ते को और भी अटूट बनाता है भैैया दूज, जानिए मान्यता
भार्इ दूज का त्योहार न सिर्फ भार्इ और बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाता है। बल्कि इसदिन बहनें भार्इ का तिलक कर लंबी उम्र की कामना करती हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: भैैया दूज त्योहार भार्इ-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भार्इयों का तिलक कर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यम द्वितीया और भैयादूज मनाया जाता है। रक्षाबंधन की तरह ही ये त्योहार भी भार्इ-बहन के प्यार को दर्शाता है।
भैया दूज का पर्व दीपावली के ठीक दो दिन बाद आता है। इसदिन बहनें भार्इ की पूजा करती हैं। ज्योतिषाचार्य डॉक्टर सुशांत राज के अनुसार इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर एक बजे से 3:30 बजे तक रहेगा। उन्होंने बताया कि अगर बहनें भाइयों को इस दिन चावल खिलाएं तो इससे भाई की उम्र लंबी होती है।
वहीं इस दिन बहनों के घर भोजन करने का भी विशेष महत्व होता है। बताया कि गोधूलि बेला में भाई की रक्षा के लिए यमराज के नाम का चहुंमुखी दीपक जलाकर घर के बाहर रखें, इससे भाई का चतुर्दिक उत्थान होगा।
भैया दूज की मान्यता
मंदिर महाकालेश्वर के पंडित आचार्य कन्हैया चमोली ने बताया कि इस दिन सूर्यपुत्र यमराज ने अपनी बहन यमुना के घर जाकर भोजन किया था और बहन यमुना को उपहार दिया था। तभी से यह त्योहार यम द्वितीया और भैया दूज के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि जो भाई इस दिन बहनों का आतिथ्य स्वीकार करते हैं उन्हें यमराज का भय नहीं रहता।
भाई-बहनों ने खरीदे उपहार
भाई-बहनों ने एक दूसरे को भाई दूज पर भेंट करने के लिए गुरुवार को खूब उपहार खरीदे। पलटन बाजार में गुरुवार को रोली, नारियल, मिठाई, फल आदि पूजन सामग्री भी खरीदी गई। वहीं भाइयों ने बहनों को भेंट करने के लिए कपड़े, आभूषण मिठाइयां और उपहारों की खरीददारी की।
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