Move to Jagran APP

सियासी संतुलन पर फिट बैठ रहे भगत, उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष का ताज मिलना तय

उत्तराखंड भाजपा के मुखिया पद की दौड़ में विधायक बंशीधर भगत अकेले दावेदार के रूप में उभर कर सामने आए हैं तो इसका मुख्य कारण यह रहा कि वह संतुलन के हर पैमाने पर फिट बैठे।

By Edited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 10:11 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 08:46 AM (IST)
सियासी संतुलन पर फिट बैठ रहे भगत, उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष का ताज मिलना तय
सियासी संतुलन पर फिट बैठ रहे भगत, उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष का ताज मिलना तय

देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड भाजपा के मुखिया पद की दौड़ में अब अगर फैसले से ठीक पहले विधायक बंशीधर भगत अकेले दावेदार के रूप में उभर कर सामने आए हैं, तो इसका मुख्य कारण यह रहा कि वह संतुलन के हर पैमाने पर फिट बैठे। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की तरह वह कुमाऊं मंडल का प्रतिनिधित्व पार्टी में कर रहे हैं तो ब्राह्मण भी हैं। नैनीताल जिले की मैदानी भूगोल वाली कालाढूंगी सीट से विधायक हैं और इस तरह मैदानी क्षेत्र की नुमाइंदगी भी उनके जरिये बखूबी हो रही है। इसके अलावा पार्टी में वरिष्ठता भी उनके पक्ष में गई। यही वजह रही कि पार्टी को उनके नाम पर सर्वानुमति बनाने में कोई दिक्कत पेश नहीं आई। 

loksabha election banner

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से उत्तराखंड में विजय रथ पर सवार भाजपा तब से अब तक के सभी चुनावों में अजेय रही है। अब उसके सामने मिशन 2022 यानी विधानसभा चुनाव में भी 2017 जैसा प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। अब तक के सभी चुनावों में पार्टी संगठन की जनता में बूथ स्तर तक की मजबूत पकड़ उसकी सफलता की गारंटी रही है। 

यही वजह भी रही कि प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में इस पद के लिए आधा दर्जन दावेदारों की फेहरिस्त है। इनमें मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, पूर्व मंत्री व विधायक बंशीधर भगत, विधायक पुष्कर सिंह धामी व नवीन चंद्र दुम्का, पूर्व प्रदेश मंत्री कैलाश पंत, सुरेश जोशी के नाम मुख्य रहे। 

हालांकि, यह तो पहले से ही तय था कि प्रदेश अध्यक्ष पद कुमाऊं मंडल की झोली में जाएगा। इसमें भी सबसे अहम भूमिका क्षेत्रीय व जातीय संतुलन की रहेगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत गढ़वाल मंडल से हैं और राजपूत हैं। ऐसे में पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष कुमाऊं से ब्राह्मण नेता के हिस्से में जाना करीब-करीब तय था। इन सारे समीकरणों में पूर्व मंत्री एवं कालाढूंगी से विधायक बंशीधर भगत संतुलन के प्रत्येक पैमाने पर फिट बैठ रहे हैं। 

जनसंघ से लेकर भाजपा तक पार्टी की सेवा करते आ रहे भगत पूर्व में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में मंत्री रहे। वह छठवीं बार विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वरिष्ठता के मामले में भी वह सभी दावेदारों पर भारी पड़े। इसके अलावा उनकी निर्विवाद छवि और कुमाऊं मंडल में पर्वतीय व मैदानी दोनों क्षेत्रों में पकड़ को भी तवज्जो दी गई। इन सब कारणों के मद्देनजर सभी समीकरण भगत के पक्ष में बनते चले गए। 

जीवन परिचय नाम: बंशीधर भगत 

जन्म: 08 अगस्त 1951 (भक्यूड़ा -भीमताल) 

निवास: लोहरियाताल, हल्द्वानी 

शिक्षा : हाईस्कूल 

राजनीतिक सफर 

-1970 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े 

-1975 में जनसंघ के सदस्य 

-1989 में भाजपा के नैनीताल

- ऊधमसिंहनगर के जिलाध्यक्ष बने 

-1991 में पहली बार नैनीताल से विधायक 

-1993 में उप्र में राज्यमंत्री वन 

-1996 में खाद्य, रसद एवं पर्वतीय विकास मंत्री 

-2000 में उत्तराखंड की अंतरिम सरकार में कैबिनेट मंत्री 

-2007 में कैबिनेट मंत्री 

-2012 व 2017 में विधायक 

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में भाजपा को 16 जनवरी को मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष 

आंदोलनों से उपजा व्यक्तित्व 

पूर्व मंत्री एवं विधायक बंशीधर भगत ने सियासी सफर की शुरुआत किसान आंदोलन से की। 1975 में जनसंघ से जुड़ने के बाद उन्होंने किसान संघर्ष समिति बनाकर किसानों की आवाज बुलंद की। जमरानी बांध के लिए उनकी अगुआई में सात दिन का बड़ा आंदोलन चला। इसके बाद उप्र और फिर उत्तराखंड विधानसभा में वह राज्य व राज्यवासियों के मसलों को निरंतर उठाते आ रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.