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उत्तराखंड के खाते में बड़ी उपलब्धि, महाराष्ट्र से उत्तराखंड के संबंध मजबूत करेंगे कोश्यारी

उत्तराखंड की पहली अंतरिम सरकार के दूसरे मुख्यमंत्री रहे भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण प्रदेश का राज्यपाल बनाए जाने से उत्तराखंड के हिस्से एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज हो गई।

By Edited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 08:38 PM (IST)
उत्तराखंड के खाते में बड़ी उपलब्धि, महाराष्ट्र से उत्तराखंड के संबंध मजबूत करेंगे कोश्यारी
उत्तराखंड के खाते में बड़ी उपलब्धि, महाराष्ट्र से उत्तराखंड के संबंध मजबूत करेंगे कोश्यारी

देहरादून, विकास धूलिया। उत्तराखंड की पहली अंतरिम सरकार के दूसरे मुख्यमंत्री रहे भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण प्रदेश का राज्यपाल बनाए जाने से उत्तराखंड के हिस्से एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज हो गई। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. नारायण दत्त तिवारी के बाद कोश्यारी उत्तराखंड के दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें राज्यपाल बनाया गया है। 

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वर्ष 2014 में नैनीताल लोकसभा सीट की नुमाइंदगी करने वाले भगतदा ने स्वयं ही इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। स्वामी सरकार में ऊर्जा का जिम्मा भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत के भी बड़े भाजपा नेताओं में शुमार किए जाते हैं। 

नौ नवंबर 2000 को जब देश के मानचित्र पर उत्तराखंड (तब नाम उत्तरांचल) का 27 वें राज्य के रूप में जन्म हुआ, उस वक्त गठित की गई 30 सदस्यीय अंतरिम विधानसभा के कोश्यारी भी सदस्य थे। दरअसल, उस वक्त कोश्यारी उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य थे और अंतरिम विधानसभा में उन 30 विधायकों को शामिल किया गया, जो राज्य गठन के वक्त उत्तर प्रदेश विधान परिषद व विधानसभा में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। 

नवगठित उत्तराखंड की पहली अंतरिम सरकार की कमान नित्यानंद स्वामी को सौंपी गई थी और कोश्यारी ने उनकी कैबिनेट में वरिष्ठतम सदस्य के रूप में ऊर्जा एवं सिंचाई जैसे अहम महकमे संभाले। चार महीने व एक दिन का कार्यकाल स्वामी सरकार शुरुआत से ही पार्टी में अंतर्विरोध का शिकार रही। नतीजतन एक साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही भाजपा आलाकमान ने नित्यानंद स्वामी को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाकर भगत सिंह कोश्यारी को मुख्यमंत्री बना दिया। 

कोश्यारी 30 अक्टूबर 2001 को उत्तराखंड के दूसरे मुख्यमंत्री बने। उन्हीं के नेतृत्व में भाजपा ने उत्तराखंड का पहला विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया। कोश्यारी को केवल चार महीने व एक दिन का ही कार्यकाल मुख्यमंत्री के रूप में मिला। वह एक मार्च 2002 तक इस पद पर रहे। 

वर्ष 2002 में सत्ता में आई कांग्रेस सरकार के मुखिया नारायण दत्त तिवारी बने और भगत सिंह कोश्यारी को मिली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका, जिसे उन्होंने पूरे पांच साल निभाया। 

2007 में रहे मुख्यमंत्री पद के दावेदार वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में कोश्यारी भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे, लेकिन चुनाव में जीत हासिल करने के बाद पार्टी नेतृत्व ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री रहे भुवन चंद्र खंडूड़ी को कोश्यारी पर तरजीह देते हुए मुख्यमंत्री बना दिया। 

कोश्यारी को पार्टी ने इसके बाद वर्ष 2008 में राज्यसभा भेज दिया और फिर वह वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में नैनीताल सीट से जीत हासिल कर संसद पहुंचे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने स्वयं ही इस बात का ऐलान कर दिया था कि वह चुनाव नहीं लडेंगे। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की जोरदार जीत के बाद यह तय माना जा रहा था कि कोश्यारी को भाजपा राज्यपाल पद जैसी अहम जिम्मेदारी सौंप सकती है। 

सादा जीवन, संगठन क्षमता के धनी 

कोश्यारी ने राजनीति में ऊंचाइयों को छुआ है, लेकिन उनकी जीवन शैली सदा से अत्यंत सादा रही है। उनके मुख्यमंत्री रहते हुए भी मुख्यमंत्री आवास के दरवाजे हर किसी के लिए खुले रहते थे। जानने वालों के बीच भगतदा के नाम से पुकारे जाने वाले कोश्यारी हमेशा सर्वसुलभ रहे हैं और राज्यसभा तथा उसके बाद लोकसभा सदस्य बनने पर भी उनमें कोई बदलाव नहीं आया। 

भगत सिंह कोश्यारी पार्टी के उन नेताओं में रहे हैं, जिन्हें सांगठनिक क्षमता के लिहाज से अत्यंत निपुण माना जाता है। उन्होंने उत्तराखंड में पार्टी अध्यक्ष के अलावा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की भी जिम्मेदारी संभाली है।

महाराष्ट्र के साथ उत्तराखंड के संबंधों को करेंगे मजबूत  

महाराष्ट्र के नव नियुक्त राज्यपाल और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी का कहना है कि उनके जैसे छोटे कार्यकर्ता को महाराष्ट्र जैसे बड़े प्रदेश का राज्यपाल बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पार्टी ने उनका ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड का सम्मान किया है। उन्होंने कहा कि वह महाराष्ट्र और उत्तराखंड के संबंधों को मजबूत करने का काम करेंगे। 

रविवार देर शाम देहरादून में डिफेंस कॉलोनी स्थित आवास पर पहुंचने पर महाराष्ट्र के नव नियुक्त राज्यपाल कोश्यारी का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस अवसर पर कोश्यारी ने कहा उन्होंने हमेशा संवैधानिक मूल्यों की राजनीति की है। अब राजभवन में रहकर देश के विकास और उसकी एकता, अखंडता की रक्षा करने के लिए संविधान के दायरे में रहकर काम करेंगे। महाराष्ट्र की सरकार अच्छा काम कर रही है। उनकी जहां जरूरत पड़ेगी, नहीं वहां अपना योगदान देंगे। 

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में फिल्मसिटी के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत हैं। इसमें हर संभव मदद करेंगे। महाराष्ट्र में राज्यपाल पद की शपथ लिए जाने के लिए दिन निश्चित करने के संबंध में उन्होंने कहा कि हर दिन शुभ होता है। महाराष्ट्र के मुख्य न्यायाधीश और वहां के मुख्यमंत्री मिलकर जो भी दिन तय करेंगे, वह उसके अनुसार शपथ ले लेंगे। 

इससे पहले उन्हें नियमानुसार पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देना होगा। महाराष्ट्र के नवनियुक्त राज्यपाल के देहरादून आगमन पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी उनके आवास जाकर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने उम्मीद जताई कि भगत सिंह कोश्यारी के महाराष्ट्र में जाने से दोनों राज्यों के बीच संबंध और बेहतर होंगे। 

इस दौरान सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, विधायक मुन्ना सिंह चौहान, केदार सिंह रावत समेत तमाम भाजपा नेताओं ने उनका फूल मालाओं व गुलदस्ता देकर स्वागत किया। इस दौरान उनके आवास के बाहर आतिशबाजी भी की गई।

कोश्यारी की तपस्या, योगदान व योग्यता का सम्मान

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र के राज्यपाल नियुक्त होने पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र के राज्यपाल की अहम जिम्मेदारी दिए जाने से उत्तराखंड में सियासी दिग्गजों से लेकर आम जनता तक में हर्ष का माहौल है। 

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि भगत सिंह कोश्यारी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में महाराष्ट्र विकास की नयी ऊंचाई प्राप्त करेगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि भगत सिंह कोश्यारी एक वरिष्ठ एवं अनुभवी राजनेता हैं। उत्तराखंड के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वे संवेदनशील, सादगीपूर्ण व लोकप्रिय व्यक्तित्व के धनी हैं। 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व सासद अजय भट्ट ने कहा कि भगत सिंह कोश्यारी ने अपना संपूर्ण जीवन संगठन को समर्पित कर दिया। उन्होंने पहले जनसंघ और फिर भाजपा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका एक बड़ा योगदान कार्यकर्ताओं की पहचान कर उन्हें विकसित करना व आगे बढ़ाने रहा है। 

उन्हें राज्यपाल बनाया जाना उनकी तपस्या, योगदान व योग्यता का सम्मान है और इससे उत्तराखंड का भी सम्मान बढ़ा है। उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री व पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के प्रति आभार व्यक्त किया। भाजपा प्रदेश मीडिया प्रमुख डॉ. देवेंद्र भसीन ने भी कोश्यारी को राज्यपाल बनाए जाने पर बधाई दी है। 

कोश्यारी की नियुक्ति उत्तराखंड का सम्मानः हरीश रावत 

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाए जाने पर खुशी व्यक्त की है। उन्होंने सोशल मीडिया में एक पोस्ट के जरिये इसे उत्तराखंड के लिए एक बड़ा सम्मान बताया। हरीश रावत ने लिखा है कि भगत सिंह कोश्यारी, जिन्होंने अपने अथक परिश्रम से भाजपा को आज के मुकाम तक पहुंचाने में उत्तराखंड में सर्वाधिक योगदान दिया है, उन्हें राज्यपाल पद पर नियुक्त किया जाना, उनके अथक परिश्रम का सम्मान है।

संघ के लिए समर्पित सिपाही को बड़ी जिम्मेदारी

ठेठ पहाड़ी की पहचान रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता भगत सिंह कोश्यारी सियासत में एक चिर-परिचित नाम है। विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े इस समर्पित सिपाही को अब महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया है।

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जीवन परिचय

नाम: भगत सिंह कोश्यारी

पिता : गोपाल सिंह कोश्यारी

माता :  मोतिमा देवी

जन्म : 17 जून 1942

पैतृक गांव : पालनाधूरा चेताबगड़, बागेश्वर

प्रारंभिक शिक्षा: अल्मोड़ा

उच्च शिक्षा: अल्मोड़ा कॉलेज

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राजनैतिक सफर

-1961-62 में अल्मोड़ा कॉलेज में छात्रसंघ के महासचिव।

- 1979 से 1985 और फिर 1988 से 1991 तक कुमाऊं विश्वविद्यालय की एक्जीक्यूटिव काउंसिल में प्रतिनिधित्व।

-तीन जुलाई 1975 में आपातकाल का विरोध करने पर गिरफ्तार, 23 मार्च 1977 को रिहा।

-1997 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित।

-2000 में उत्तराखंड की अंतरिम सरकार में कैबिनेट मंत्री।

-30 अक्टूबर 2001 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने, एक मार्च 2002 तक रहे।

-2002 में विधानसभा की कपकोट सीट से चुनाव जीते।

-2002 से 2007 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दायित्व।

-2007 के चुनाव में वह दोबारा कपकोट सीट से विजयी।

-उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के समय और फिर 2007 से 2009 तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष।

-2008 में राज्यसभा के लिए चुने गए।

- 2014 में लोकसभा की नैनीताल सीट से चुनाव जीत लोकसभा में पहुंचे।

-शिक्षक और पत्रकार के रूप में उन्होंने राजा इंटर कॉलेज राजा का रामपुर में कुछ साल सेवाएं दीं। उन्होंने पिथौरागढ़ से निकलने वाले एक साप्ताहिक के संस्थापक प्रबंध संपादक के तौर पर कार्य किया। उनकी दो पुस्तकें 'उत्तरांचल प्रदेश क्यों' और 'उत्तरांचल संघर्ष एवं समाधान' भी प्रकाशित हुईं।

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