सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले ली जा रही विधिक राय, जानिए क्या है पूरा मामला
प्रदेश में एक जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू करने के कैबिनेट के निर्णय पर रोक के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने से पहले शासन इस पर विधिक राय ले रहा है। मुख्यमंत्री के प्रदेश में न होने के कारण भी शासन ने कदम रोके हुए हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश में एक जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू करने के कैबिनेट के निर्णय पर रोक के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने से पहले शासन इस पर विधिक राय ले रहा है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के प्रदेश में न होने के कारण भी शासन ने कदम रोके हुए हैं। उनसे मंजूरी लेने के बाद ही याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जाएगी।
प्रदेश सरकार ने एक जुलाई से प्रदेश के तीन जिलों, चमोली, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी के स्थानीय निवासियों के लिए चारधाम यात्रा शुरू करने का निर्णय लिया था। इस बीच हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा को लेकर सरकार से एसओपी बनाने को कहा। सरकार ने यह एसओपी कोर्ट में प्रस्तुत भी की लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया। इसके साथ ही एक जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू करने पर रोक लगा दी। इसके बाद सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया। इसके लिए पत्रावली तैयार कर अंतिम रूप दिया जाता, इस बीच मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अचानक दिल्ली चले गए। ऐसे में अब हाईकोर्ट के निर्णय का गहन अध्ययन किया जा रहा है। इसके साथ ही इस आदेश को लेकर विधि विभाग से राय भी ली जा रही है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोर्ट में मामले की पुरजोर पैरवी हो।
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इसके लिए नामी वकीलों को नियुक्त करने की संभावना पर भी विचार किया जा रहा है। सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि याचिका दाखिल करने के लिए तैयारी की जा रही हैं। इसके लिए सभी तरह की प्रक्रिया को पूरा किया जा रहा है। जल्द सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी जाएगी।
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