राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में वन्यजीवों का खौफ थमने का नाम नहीं ले रहा। गुलदार, हाथी व भालू जैसे जानवरों ने पहले ही नींद उड़ाई हुई है और अब बंदरों के आतंक ने पेशानी पर बल डाले हुए हैं। इसे देखते हुए सरकार ने बंदरों को पकड़कर बाड़ों में रखने और इनके बंध्याकरण का निश्चय किया है। प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि एवं प्रबंधन योजना प्राधिकरण (कैंपा) और स्टेट सेक्टर में मिली धनराशि से राज्य में पांच बंदरबाड़े बनाए जाएंगे। इनके लिए स्थलों का चयन हो चुका है। अब केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) से हरी झंडी मिलते ही शासन द्वारा इनके निर्माण को कार्यदायी संस्था नामित की जाएगी। वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी के मुताबिक प्रयास ये है कि इसी वर्ष अक्टूबर में वन्यप्राणी सप्ताह से पहले ये बंदरबाड़े अस्तित्व में आ जाएं।
वर्तमान में प्रदेश का शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा होगा, जहां बंदरों के उत्पात से जनजीवन त्रस्त न हो। क्या शहर और क्या गांव, सभी जगह बंदर खेती-किसानी को तो भारी क्षति पहुंचा ही रहे, भगाने पर ये हमले भी कर रहे हैं। हालांकि, बंदरों के उत्पात के लिए मानवीय दखल भी कम जिम्मेदार नहीं है। विभिन्न मार्गों, पर्यटक व धार्मिक स्थलों के आसपास इन्हें फल, चना आदि देने की परिपाटी अब भारी पड़ रही है। फिर चाहे वह नैनीताल हो, हरिद्वार, देहरादून अथवा दूसरे क्षेत्र, सभी जगह बंदरों के व्यवहार में बदलाव आया है। वे जंगल में भोजन तलाशने की बजाए इसके लिए शहरों व गांवों की तरफ रुख कर रहे हैं।
सूरतेहाल, चिंता अधिक बढ़ गई है। बंदरों के आतंक को देखते हुए वर्ष 2016 में वन महकमे ने इनकी गणना कराई थी। तब राज्य के विभिन्न वन प्रभागों में 1.46 लाख बंदर पाए गए थे। जाहिर है कि पिछले चार वर्षों में इनकी संख्या में और इजाफा हो चुका होगा। लगातार गहराती इस समस्या को देखते हुए पूर्व में हरिद्वार वन प्रभाग के अंतर्गत चिडिय़ापुर रेसक्यू सेंटर में बंदरबाड़ा तैयार किया गया। साथ ही वहां काफी संख्या में बंदरों का बंध्याकरण भी हुआ, मगर ये उपाय नाकाफी साबित हुए। इसी के दृष्टिगत चिड़ियापुर बंदरबाड़े का विस्तार करने के साथ ही राज्य के विभिन्न स्थानों में भी बंदरबाड़े स्थापित करने का निर्णय लिया गया।
अब इस दिशा में प्रयास तेज किए गए हैं। चिड़ियापुर, भराड़ीसैंण, दानी बांगर व अल्मोड़ा में बंदरबाड़ों के लिए कैंपा मद से आठ करोड़ की राशि मंजूर हो चुकी है। इसके अलावा पिथौरागढ़ में राज्य सेक्टर से प्राप्त राशि से बंदरबाड़ा बनाने का निर्णय लिया गया है। इनकी स्थापना के मद्देनजर केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से वार्ता हो चुकी है। वहां से अनुमति मिलते ही इन्हें तैयार करने की मुहिम तेज कर दी जाएगी। विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय उत्पाती बंदरों को पकड़कर बंदरबाड़ों में रखा जाएगा। साथ ही इनके बंध्याकरण की मुहिम भी तेज की जाएगी।
यहां बनेंगे बंदरबाड़े
- चिड़ियापुर (हरिद्वार), दानीबांगर (हल्द्वानी), भराड़ीसैंण (चमोली), पिथौरागढ़ व अल्मोड़ा
बंदरों की सर्वाधिक संख्या वाले प्रभाग
- वन प्रभाग, संख्या
- तराई पूर्वी, 9963
- अल्मोड़ा, 9477
- रामनगर, 8400
- नैनीताल, 7500
- तराई पश्चिमी, 7100
- टिहरी, 7020
- कालसी, 6900
- कार्बेट पार्क (रामनगर), 6000
- कार्बेट पार्क (हल्द्वानी), 5300
- देहरादून, 4900
- राजाजी नेशनल पार्क, 4600
- (नोट: आंकड़े वर्ष 2016 की गणनानुसार)
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