बालिका निकेतन में नहीं रहना चाहती थी किशोरी
राजकीय बालिका निकेतन प्रकरण में लगातार नए तथ्य सामने आ रहे हैं। अब यह पता चला है कि बालिका निकेतन में शिफ्ट किए जाने के बाद से किशोरी का मन नहीं लग रहा था।
जागरण संवाददाता, देहरादून: राजकीय बालिका निकेतन प्रकरण में लगातार नए तथ्य सामने आ रहे हैं। अब यह सामने आया है कि किशोरी बालिका निकेतन में रहना नहीं चाहती थी। जब उसे नारी निकेतन से बालिका निकेतन में शिफ्ट किया गया तो उसका शुरू से ही मन नहीं लग रहा था। वो बार-बार नारी निकेतन में रखने की गुहार लगाती रही। इसी बीच उसकी एक बार तबीयत भी खराब हुई। यह भी पता चला कि एंबुलेंस को बालिका निकेतन पहुंचने में एक घंटा 16 मिनट का समय लगा। यदि एंबुलेंस समय पर पहुंचती तो शायद किशोरी को बचाया जा सकता था। यह सब तथ्य राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल ने बालिका निकेतन में निरीक्षण करने के बाद साझा किए।
शुक्रवार को महिला आयोग अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल व सचिव कामिनी गुप्ता के नेतृत्व में टीम केदारपुरम स्थित बालिका निकेतन में निरीक्षण करने पहुंची। विजया बड़थ्वाल ने स्टाफ कर्मचारियों व अन्य किशोरियों से पूछताछ की। उन्होंने किशोरी को नारी निकेतन से बालिका निकेतन में शिफ्ट करने के समय, कारण व यहां उसकी स्थिति के बारे में जानकारी ली। निरीक्षण के दौरान आयोग अध्यक्ष बड़थ्वाल ने बालिका निकेतन में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर नाराजगी व्यक्त की। पता चला है कि किशोरी को छह बजे बाथरूम में बेहोशी की हालत में पड़ा हुआ देखा गया। इसके बाद सात बजकर 16 मिनट पर एंबुलेंस बालिका निकेतन में पहुंची। कहा कि शिशु व बालिका निकेतन में एंबुलेंस की व्यवस्था न होने से भविष्य में भी बच्चों की जान पर खतरा हो सकता है। इसके लिए आवश्यक निर्देश दिए हैं।
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सुरक्षा में भी लापरवाही
महिला आयोग की टीम ने निरीक्षण के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में भी कई खामियां पाई। विजया बड़थ्वाल ने कहा कि परिसर के समीप की स्ट्रीट लाइटें खराब व टूटी पड़ी हैं। रात के समय पर्याप्त रोशनी न होने के कारण यह सुरक्षा के लिहाज से खतरा माना जा सकता है।
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