आयुर्वेद छात्रों ने सरकार व पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
छात्र पिछले तीन सप्ताह से निजी कॉलेजों की मनमानी के खिलाफ धरना प्रदर्शन व आमरण अनशन पर हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून: आयुर्वेद छात्रों का आंदोलन जारी है। छात्र पिछले तीन सप्ताह से निजी कॉलेजों की मनमानी के खिलाफ धरना प्रदर्शन व आमरण अनशन पर हैं। दो दिन पहले पुलिस द्वारा की गई बर्बरता पर उनका गुस्सा और बढ़ गया है। कांग्रेस, उक्रांद, शिवसेना, वामदल व अन्य राजनीतिक दलों व राज्य आंदोलनकारी संगठनों का समर्थन भी उन्हें मिल रहा है। मंगलवार को छात्रा रश्मि पाल, पवन मौर्या व सुशील आमरण अनशन पर डटे रहे। जबकि अन्य छात्र क्रमिक अनशन कर रहे। छात्रों ने प्रेस क्लब में राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद के पूर्व अध्यक्ष रविन्द्र जुगरान की मौजूदगी में पत्रकार वार्ता आयोजित कर राज्य सरकार, आयुष मंत्री व पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
छात्र नेता ललित तिवारी ने कहा कि कई निजी कॉलेजों के छात्र पिछले कई दिन से आंदोलन कर रहे हैं। उनकी मांग सिर्फ इतनी है कि कॉलेज उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए पुराना ही शुल्क उनसे ले। मनमानी करने वाले कॉलेजों पर कार्रवाई की मांग भी सरकार से की जा रही है। लेकिन राज्य सरकार व आयुष मंत्री मौन हैं। आरोप लगाया कि सरकार के इशारे पर दो दिन पहले पुलिस ने शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे छात्रों पर दमनात्मक कार्रवाई की है। पुलिस द्वारा जिस तरह छात्रों पर बर्बरता की गई उसकी जितनी भर्त्सना की जाए कम है। उन्होंने पुलिस पर लाठीचार्ज करने व लात-घूसे चलाने का भी आरोप लगाया। दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है। कहा कि यदि राज्य सरकार मनमानी कर रहे कॉलेजों पर शिकंजा नहीं कसती है तो अब छात्र उग्र आंदोलन करेंगे। कहा कि वह तब तक कॉलेज नहीं जाएंगे, जब तक उनकी समस्या का समाधान राज्य सरकार नहीं कर देती। वहीं परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर भी छात्रों ने शासन-प्रशासन के रवैये के खिलाफ नारेबाजी की। छात्रों के समर्थन में कई अभिभावक व अन्य कॉलेजों के छात्र भी धरना स्थल पर पहुंचे। शिकायत किए जाने के बाद भी राजभवन की चुप्पी पर उन्होंने आश्चर्य जताया है। कहा कि सरकार के संरक्षण में ही निजी कॉलेज छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कॉलेजों को ना ही शासन का डर है और ना ही न्यायालय के आदेश की परवाह। छात्रों पर बढ़ा हुआ शुल्क जमा करने का जो दबाव कॉलेज बना रहे हैं वह अवैधानिक व न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है। छात्र-छात्राओं के साथ मारपीट के लिए जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की मांग भी अभिभावकों ने की है। नीमा का भी मिला समर्थन
आयुर्वेद छात्रों के आंदोलन को नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा) का भी समर्थन मिल गया है। नीमा स्टूडेंट फोरम के राष्ट्रीय समन्वयक पवन सोनावरे ने इस संबंध में केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नायक से मुलाकात की। छात्रों का पक्ष विस्तार से उनके समक्ष रखा। कहा कि आयुष कॉलेजों की पहले फीस गलत ढंग से बढ़ाई गई और अब जब हाईकोर्ट ने आदेश किए हैं, तो उसका का भी पालन नहीं किया जा रहा है। तीन सप्ताह से छात्र आंदोलन कर रहे हैं पर शासन-प्रशासन व सरकार उनकी सुध नहीं ले रही। छात्र नेता ललित तिवारी ने बताया कि पवन सोनावरे आज दून पहुंच रहे हैं। उधर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद जयपुर के छात्रों ने भी इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया है।