सिस्टम में भटके रिटायर्ड आइएएस, आयोग ने दिखाई राह; जानिए पूरा मामला
रिटायर्ड आइएएस अधिकारी ने भी देखा कि जिस सिस्टम का वह हिस्सा बने रहे वह किस तरह काम करता है।
देहरादून, जेएनएन। एक रिटायर्ड आइएएस अधिकारी ने भी देखा कि जिस सिस्टम का वह हिस्सा बने रहे, वह किस तरह काम करता है। दरअसल, रिटायर्ड आइएएस अधिकारी चंद्र सिंह को आरटीआइ में मांगी गई सूचना के लिए न सिर्फ इंतजार करना पड़ा, बल्कि सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने से लेकर सूचना आयोग तक की शरण में जाना पड़ा। इसके साथ ही यह भी बड़ी अजीब बात रही कि सिस्टम में भटक रहे पूर्व वरिष्ठ अधिकारी की स्थिति को देखते हुए सूचना आयोग को मुख्य सचिव को आग्रह करना पड़ा कि वह उन्हें मुलाकात का समय दें।
रिटायर्ड आइएएस अधिकारी चंद्र सिंह उत्तराखंड के बाजगियों (ढोल-दमाऊ बजाने वाले) को राज्य आंदोलनकारी का दर्जा दिलाने के लिए लड़ रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने जो भी पत्राचार किए, उस पर की गई कार्रवाई जानने के लिए उन्होंने पांच फरवरी 2018 को मुख्य सचिव कार्यालय से आरटीआइ में जानकारी मांगी थी। तय समय के भीतर सूचना मिलना तो दूर उनका आवेदन पत्र गृह विभाग से लेकर समाज कल्याण, राजस्व, पुलिस विभाग समेत टिहरी के जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय तक घूमता रहा। थक हारकर चंद्र सिंह को सूचना आयोग की शरण लेनी पड़ी।
प्रकरण की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त सीएस नपलच्याल ने जब संबंधित अधिकारियों का जवाब तलब किया, तब जाकर उन्हें सूचना मिल पाई। यह बात और रही कि जिस मकसद से उन्होंने सूचना मांगी थी, वह अधूरा ही रह गया। शुक्र मनाइए सूचना आयुक्त का कि उन्होंने पूर्व वरिष्ठ अधिकारी का लिहाज करते हुए मुख्य सचिव को आदेश की प्रति भेजकर आग्रह किया कि वह चंद्र सिंह को मिलने का समय दें। ताकि उनके लिखित और मौखिक प्रत्यावेदन पर कार्रवाई की जा सके। इस पर लिए जाने वाले निर्णय से आयोग को भी अवगत कराने को कहा गया है।
इसलिए कर रहे बाजगियों को दर्जा देने की मांग
रिटायर्ड आइएएस चंद्र सिंह ने आयोग को बताया कि राज्य निर्माण आंदोलन में बाजगियों न सिर्फ उन्होंने अहम भूमिका निभाई, बल्कि आंदोलन को प्रभावशाली बनाने का काम भी किया। ऐसे में बाजगियों को राज्य आंदोलनकारी का दर्जा दिया जाना जरूरी है।
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