पुरस्कृत गुरुजनों के सम्मान पर तंत्र का डाका
रविंद्र बड़थ्वाल देहरादून प्रदेश के भावी कर्णधारों का भविष्य संवारने और शिक्षा का स्तर सुध
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून
प्रदेश के भावी कर्णधारों का भविष्य संवारने और शिक्षा का स्तर सुधारने में उल्लेखनीय योगदान के लिए राष्ट्रपति और राज्य पुरस्कार से नवाजे गए सहायताप्राप्त अशासकीय विद्यालयों के दो प्रधानाचार्य अब पुरस्कार स्वरूप मिलने वाले दो साल के सेवा विस्तार के लिए सरकार की बेरुखी का सामना करने को मजबूर हैं। छह महीने से उनकी फाइल शासन के अनुभागों में घिसट रही है। सेवा विस्तार पर फैसला नहीं होने से उन्हें कई महीनों से वेतन नहीं मिल सका है।
वर्ष 2008 में रुद्रप्रयाग जिले के श्री 108 स्वामी सच्चिदानंद वेदभवन संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य सुरेशचरण बहुगुणा को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पुरस्कार स्वरूप उन्हें दो वर्ष का सेवा विस्तार मिलने में महीनों की देरी ने पुरस्कार मिलने से हुए गर्व को निराशा में तब्दील कर दिया है। 30 जून को सेवानिवृत्ति तय होने से करीब छह माह पहले नियमों के मुताबिक जनवरी माह में उन्होंने सेवा विस्तार देने के लिए विभाग में आवेदन किया था। शिक्षा निदेशालय ने उनके आवेदन को बीते मार्च माह में ही शासन को भेज दिया। मार्च माह से अब तक यानी तकरीबन छह महीने के बाद भी शासन ने उनके सेवा विस्तार पर फैसला नहीं किया।
इसीतरह का वाकया प्रधानाचार्य भुवनचंद्र जोशी के साथ भी पेश आया है। चंपावत जिले में बराही देवी संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य भुवनचंद्र जोशी को वर्ष 2012 में शैलेश मटियानी राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह भी बीते मार्च माह से सेवा विस्तार मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उक्त दोनों विद्यालयों में छात्रों के उत्कृष्ट परीक्षाफल से लेकर संस्कृत शिक्षा में उल्लेखनीय योगदान देने वाले दोनों प्रधानाचार्य पुरस्कार स्वरूप मिलने वाले सेवा विस्तार के लिए तरस गए हैं। इन प्रधानाचार्यो की सेवानिवृत्ति की तारीख के बावजूद विद्यालयों का प्रबंधन उन्हें सेवा विस्तार की प्रत्याशा में पद पर बनाए हुए है।
सेवा विस्तार के लिए शासन से आदेश होने पर ही उन्हें वेतन मिल सकेगा। इस वजह से महीनों से उन्हें वेतन भी नहीं मिला। उक्त दोनों प्रधानाचार्यो को सेवा विस्तार देने के प्रस्ताव को शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे अनुमोदित कर चुके हैं। शिक्षा मंत्री ने पुरस्कारप्राप्त गुरुजनों के प्रति शासन के इस रुख पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि मामले का जल्द समाधान करने के निर्देश दिए गए हैं।