महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग में आउटसोर्स कार्मिकों से अवैध वसूली का आडियो वायरल
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग में एजेंसी की ओर से नियुक्त आउटसोर्स कार्मिकों को बीते मई माह से मानदेय नहीं मिला है। वहीं एजेंसी पर दो से तीन महीने के वेतन की अवैध वसूली के आरोप भी लग रहे हैं। इसको लेकर हाल ही में एक आडियो वायरल हुआ।
जागरण संवाददाता, देहरादून। महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग में एजेंसी की ओर से नियुक्त आउटसोर्स कार्मिकों को बीते मई माह से मानदेय नहीं मिला है। वहीं, एजेंसी पर दो से तीन महीने के वेतन की अवैध वसूली के आरोप भी लग रहे हैं। इसको लेकर हाल ही में एक आडियो वायरल हुआ। इस पर विभाग ने संबंधित एजेंसी को पक्ष रखने के लिए पत्र भेजा है।
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग ने वर्ष 2020 में लखनऊ की एजेंसी ए स्क्वायर के माध्यम से करीब 300 आउटसोर्स कार्मिकों को रखा था, जो विभाग की विभिन्न योजनाओं में जिलों में तैनात हैं। कुछ दिन पहले कुछ कार्मिकों का एजेंसी के अधिकारी के साथ संवाद का एक आडियो वायरल हुआ था। आरोप है कि इसमें एजेंसी का अधिकारी कई आउटसोर्स कार्मिकों से सेवा जारी रखने के लिए दो से तीन महीने का मानदेय किसी संस्था के बैंक खाते में भेजने की बात कह रहा है। बताया जा रहा है कि कई कार्मिक नौकरी से निकाले जाने के डर से अभी तक पैसा दे भी चुके हैं।
इस मामले में 22 अप्रैल को भाजपा के बागेश्वर जिलाध्यक्ष शिव सिंह बिष्ट ने विभाग को शिकायत की थी। चार मई को विभाग ने संबंधित एजेंसी को पत्र भेजकर जवाब मांगा था, लेकिन अभी तक एजेंसी ने जवाब नहीं दिया।
उक्रांद ने किया प्रदर्शन, अनशन की दी चेतावनी
आउटसोर्स एजेंसी पर कार्मिकों से वसूली करने का आरोप लगाते हुए उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) ने सोमवार को नंदा की चौकी स्थित महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। पदाधिकारियों ने जिला कार्यक्रम अधिकारी अखिलेश मिश्र के माध्यम से मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर जांच की मांग की। केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि एजेंसी आउटसोर्स कार्मिकों पर दो से तीन माह का मानदेय अपनी एक अन्य संस्था के अकाउंट में जमा करने के लिए दबाव बना रहे हैं।
एसके सिंह, उप निदेशक (महिला एवं बाल विकास विभाग) का कहना है कि पूर्व में एक शिकायत पर संबंधित एजेंसी को पक्ष रखने के लिए पत्र भेजा जा चुका है। यदि लिखित में शिकायत मिलती है तो जांच की जाएगी। विभाग की विभिन्न योजनाओं में आउटसोर्स के कार्मिक कार्य कर रहे हैं। जिस एजेंसी को कार्य दिया गया है, उसका सिंतबर तक विस्तार किया गया है। वहीं, केंद्र सरकार की ओर से अभी इन योजनाओं के कार्मिकों का बजट नहीं आया, इसलिए मानदेय अटका हुआ है।
यह भी पढ़ें:-उत्तराखंड: समन्वय समिति को लेकर कार्मिकों में वर्चस्व की लड़ाई, आमने-सामने आए कर्मचारी