राम केवट के संवाद को सुन भावुक हुए दर्शक Dehradun News
देवभूमि रामलीला एवं लोक कला समिति की ओर से तुनवाला स्थित लक्ष्मी गार्डन में आयोजित रामलीला मंचन के दौरान सुमन विलाप राम केवट संवाद को सुनकर दर्शक भावुक हो गए।
देहरादून, जेएनएन। देवभूमि रामलीला एवं लोक कला समिति की ओर से तुनवाला स्थित लक्ष्मी गार्डन में आयोजित रामलीला मंचन के दौरान सुमन विलाप, राम केवट संवाद को सुनकर दर्शक भावुक हो गए।
पांचवें दिन मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शिरकत की। इस दौरान श्रीराम और लक्ष्मण की श्रृंगवेरपुर में भीलों के राजा निषादराज से भेंट होती है। निषादराज अपनी भील बस्ती में उनके दर्शन पाकर खुद को धन्य मानता है और प्रभु का भावपूर्वक स्वागत सत्कार करता है।
कुछ समय श्रृंगवेरपुर प्रवास करने के बाद भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता आगे वन की ओर प्रस्थान करते हैं। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष रेवाधर, विकास, विजय नेगी, विजय रावत, गणेश नेगी, अमर और मेयर सिंह मौजूद रहे।
वहीं श्री देवभूमि रामलीला एवं लोक कला समिति की ओर से बालावाला में आयोजित रामलीला के सांतवें दिन सीता हरण, श्रीराम-हनुमान मिलन, बाली वध आदि का मंचन किया गया। इसमें रावण का किरदार सुनील भदोला, सीता का अंकिता बिंजोला, बाली का मनवर सिंह रावत, सुग्रीव का मंगल सिंह रावत, हनुमान का देवेंद्र रावत व सबरी का वासुदेव नौटियाल ने निभाई। इस दौरान प्रदीप भंडारी, प्रमोद राणा, मंगतराम बिंजोला, प्रवेश नेगी, गोपाल तड़ियाल, प्रेम मनवाल और शांतनु बिष्ट मौजूद रहे।
कैकई के वर मांगने से व्याकुल हुए राजा दशरथ
रुड़की के आदर्श शिवाजी नगर में आयोजित श्री रामलीला में चौथे दिन अयोध्या में प्रभु राम के राज्याभिषेक की जोर-शोर से तैयारियां चल रही होती हैं। चारों ओर खुशी का वातावरण है, लेकिन अयोध्या वासियों की यह खुशी अधिक देर तक नहीं रह पाती है। रामलीला के अगले दृश्य में दिखाया गया कि मंथरा कैकई को भ्रमित कर राजा दशरथ की ओर से दिए गए दो वर की याद दिलाती हैं।
मंथरा कहती है कि एक वर से भरत को अयोध्या का राजा तथा दूसरे वर से श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास मांगो। कैकई कोप भवन में चली जाती हैं, और राजा दशरथ से इन दोनों वरों को पूरा करने का वचन मांगती हैं। वहीं राजा दशरथ इस अप्रत्याशित घटना से आपा खो बैठते हैं।
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उधर, श्रीराम को जब पता चलता है कि माता कैकई ने पिता से भरत के लिए राज्याभिषेक और उनके लिए वनवास जाने का वर मांगा है तो वे इसे सहर्ष स्वीकार कर वन जाने की तैयारी करते हैं। उधर, भरत व शत्रुघ्न को ननिहाल से बुलाने के लिए दूत भेजा जाता। वहीं सीता और लक्ष्मण श्रीराम को अपने कर्तव्य की दुहाई देते हैं। उनके साथ वन जाने की जिद करते हैं। जिसको श्रीराम को अंत में स्वीकार करना पड़ता है और इसी के साथ चौथे दिन की रामलीला का समापन होता है।
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