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Atal Bihari Vajpayee Birthday: मसूरीवासियों के जेहन में ताजा हैं अटल जी की यादें

Atal Bihari Vajpayee Birthday भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को वैसे तो संपूर्ण उत्तराखंड से गहरा लगाव था लेकिन पहाड़ों की रानी मसूरी उन्हें सबसे ज्यादा भाती थी। पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जब दून आते तो मसूरी भी आया करते थे।

By Sunil Singh NegiEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 09:39 AM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 09:39 AM (IST)
Atal Bihari Vajpayee Birthday: मसूरीवासियों के जेहन में ताजा हैं अटल जी की यादें
मसूरी में बारबर कमरूल हसन अटल जी की हजामत बनाते हुए। फाइल फोटो।

संवाद सहयोगी, मसूरी। Atal Bihari Vajpayee Birthday भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को वैसे तो संपूर्ण उत्तराखंड से गहरा लगाव था, लेकिन पहाड़ों की रानी मसूरी उन्हें सबसे ज्यादा भाती थी। पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जब दून आते तो मसूरी भी आया करते थे। प्राकृतिक सौंदर्य से लकदक मसूरी की शांत वादियां उनके मन को सुकून देती थीं। सरल व्यक्तित्व के धनी वाजपेयी मसूरी आने पर पैदल ही मालरोड घूमने निकल जाया करते थे। इस दौरान जो भी व्यक्ति रास्ते में मिलता, उससे पूरी आत्मीयता के साथ बातचीत करते। यही वजह है कि मसूरीवासियों के जेहन में आज भी अटल जी की यादें ताजा हैं। 

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अटल जी जब भी मसूरी आते तो कैम्पटी रोड स्थित हरियाणा सरकार के एकांत भवन गेस्ट हाउस में ठहरते थे। गांधी चौक स्थित कमर बारबर शॉप में वह बाल कटवाते और दाढ़ी बनवाते थे। शॉप के मालिक कमरूल हसन खुद उनकी हजामत करते थे। कमरूल हसन के कहने पर वाजपेयी ने उनसे हजामत बनवाते हुए एक चित्र भी खिंचवाया था, जो कमरूल के स्वजनों ने सहेज कर रखा हुआ है। 

वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मंडल अध्यक्ष मदन मोहन शर्मा ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार तब मसूरी आए थे, जब संसद में भाजपा के सिर्फ दो सांसद हुआ करते थे। बकौल मदन मोहन शर्मा मालरोड पर मैजेस्टिक सिनेमा वाली इमारत के कॉर्नर पर उनके पिता जगदीश प्रसाद शर्मा का दून स्टूडियो हुआ करता था। मालरोड भ्रमण के दौरान अटल स्टूडियो में आकर बैठ जाते और उनके पिता से देर तक बातचीत करते रहते। अटल के साथ शिव कुमार भी होते थे, जो अटल के प्रधानमंत्री बनने पर उनके व्यक्तिगत सचिव भी रहे। जब उत्तराखंड आंदोलन अपने अंतिम चरण में था, तब भी अटल मसूरी आए थे।

भाजपा के पूर्व मंडल महामंत्री विजय रमोला बताते हैं कि अटल बिहारी बाजपेयी उत्तराखंड आंदोलन के दौरान जब मसूरी आए थे तो उन्होंने मालरोड पर गढ़वाल टेरेस होटल के सभागार में आंदोलनकारियों से बातचीत की थी। आंदोलनकारियों ने अटल के सम्मुख अपनी मांगें रखी थीं।

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