विधानसभा सत्र में लोकायुक्त और गैरसैंण पर केवल सियासी बवाल
विधानसभा सत्र के दौरान गैरसैंण और लोकायुक्त के मुद्दे पर सिर्फ बवाल हुआ सत्तापक्ष और विपक्ष महज आरोप प्रत्यारोप और सियासी हंगामे तक सीमित रहे।
By Edited By: Published: Sun, 09 Dec 2018 02:59 AM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 03:10 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। लोकायुक्त और गैरसैंण राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणापत्रों में भले ही अहम जगह बनाए हुए हो, लेकिन विधानसभा में इन दोनों अहम मुद्दों पर सत्तापक्ष और विपक्ष, महज आरोप-प्रत्यारोप और सियासी हंगामे तक सीमित हैं। विपक्ष में रहते हुए इन मुद्दों को लेकर सत्तापक्ष पर निशाना साधने वाला दल खुद सत्ता में आते ही इन मुद्दों पर ठिठकने को मजबूर है।
विधानसभा के चार दिनी शीतकालीन सत्र में यही सबकुछ नुमायां हुआ। एक बार फिर विधानसभा लोकायुक्त और गैरसैंण को लेकर नूराकुश्ती का अखाड़ा बनकर रह गई। इन दोनों ही मसलों का समाधान कब तक होगा, इसे लेकर न तो सरकार ठोस रोडमैप सामने रख पाई और न ही कांग्रेस इसके लिए सरकार पर दबाव बनाने में कामयाब रही। प्रदेश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने को लोकायुक्त के गठन और राज्य आंदोलन में जन भावनाओं से जुड़े गैरसैंण के मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष एकदूसरे पर विधानसभा में जमकर हमलावर रहे। विपक्षी दल कांग्रेस ने इन दोनों ही मुद्दों को उठाकर सरकार और सत्तारूढ़ दल की दुखती रग पर हाथ रखने का काम किया।
मी टू, यौन उत्पीड़न, बढ़ते अपराध, कानून व्यवस्था को लेकर पिछले लंबे अरसे से सरकार को निशाना बना रही कांग्रेस ने सत्र के दौरान खुद को लोकायुक्त और गैरसैंण के मुद्दे तक सीमित कर दिया। यह दीगर बात है कि कांग्रेस अपनी इस रणनीति को कामयाब मान रही है।
दरअसल, भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस को लेकर बनी छवि को लेकर सरकार जिसतरह सजग दिख रही है, कांग्रेस ने लोकायुक्त के बहाने उसे निशाना बनाने में कसर नहीं छोड़ी। लोकायुक्त पर हंगामे के बावजूद संबंधित विधेयक कब तक कानून की शक्ल लेगा और प्रदेश को नया लोकायुक्त कब तक मिलेगा, इसे लेकर असमंजस दूर करने में विपक्ष को भी कामयाबी नहीं मिल पाई है।
वहीं जन आस्था से जुड़े गैरसैंण के मुद्दे पर कांग्रेस ने यह पुरजोर कोशिश की कि सरकार और सत्तारूढ़ दल की कश्मकश को सामने लाया जाए। विपक्ष एक हद तक अपनी इस मंशा में कामयाब भी दिखा, लेकिन भाजपा के लिए जी का जंजाल बने मीटू समेत कई मुद्दे जिसतरह ठंडे बस्ते में चले गए, उससे सरकार को भी खासी राहत मिलती दिख रही है। गैरसैंण पर सरकार को घेरकर अपनी पीठ थपथपा रही कांग्रेस के बारे में सियासी हलकों में यह भी चर्चा है कि शीतकालीन सत्र से ऐन पहले गैरसैंण पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के बयान के जरिये सत्तापक्ष को कांग्रेस को उलझाए रखने में कामयाबी मिल गई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि पार्टी ने लोकायुक्त और गैरसैंण के मुद्दे पर सरकार की कथनी और करनी में अंतर को निशाना बनाया। वहीं विधायी एवं संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत की मानें तो सरकार दोनों की मामलों में ठोस रोडमैप के साथ आगे बढ़ रही है। आने वाले सालों में काफी कुछ साफ नजर आने लगेगा।
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