Assembly Election 2022: विधानसभा चुनाव की खर्च सीमा अब 30.80 लाख रुपये
Assembly Election 2022 विधानसभा के वर्ष 2022 में होने वाले चुनाव की तैयारियों में जुटे राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के लिए राहत भरी खबर। अब मैदान में उतरने वाले प्रत्याशी पहले की अपेक्षा 10 फीसद ज्यादा धनराशि चुनावों में खर्च कर सकेंगे।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। Assembly Election 2022 उत्तराखंड विधानसभा के वर्ष 2022 में होने वाले चुनाव की तैयारियों में जुटे राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के लिए राहत भरी खबर। अब मैदान में उतरने वाले प्रत्याशी पहले की अपेक्षा 10 फीसद ज्यादा धनराशि चुनावों में खर्च कर सकेंगे।
केंद्र सरकार ने पिछले महीने लोकसभा व विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने वालों के लिए चुनाव खर्च की सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया था। इसी क्रम में अब राज्य के सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी मस्तू दास ने अधिसूचना जारी करते हुए इसकी जानकारी सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के साथ ही पंजीकृत दलों को भी पत्र के जरिये दे दी है।अब भविष्य में लोकसभा चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी अधिकतम 77 लाख और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले 30.80 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं। अभी तक चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा लोकसभा में 70 लाख रुपए और विधानसभा में 28 लाख रुपये तक थी।
आइएएस षणमुगम को जांच रिपोर्ट में क्लीन चिट
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग में मानव संसाधन की आपूर्ति के लिए आउट सोर्सिंग एजेंसी के चयन को लेकर विभागीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य और निदेशक वी षणमुगम (आइएएस) के मध्य हुए विवाद के मामले की जांच रिपोर्ट में षणमुगम को क्लीन चिट मिली है। सूत्रों के अनुसार जांच में ये बात सामने आई है कि टेंडर प्रक्रिया में निदेशक ने कोई गलती नहीं की है। जांच रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के स्तर से फैसला होना है। ऐसे में सभी की निगाहें मुख्यमंत्री कार्यालय पर टिकी हैं।
आउट सोर्सिंग एजेंसी के चयन में गड़बड़ी की शिकायत आने पर विभागीय मंत्री आर्य ने टेंडर प्रक्रिया के साथ ही कार्यादेश निरस्त करने के आदेश निदेशक को दिए थे। उन्होंने टेंडर से संबंधित पत्रावली भी तलब की थी। दो दिन तक निदेशक वी षणमुगम से उनका फोन पर भी संपर्क नहीं हो पाया। इसके बाद विभागीय मंत्री आर्य ने निदेशक की तलाश के लिए पुलिस को तहरीर तक दे दी। सितंबर में विधानसभा के शीतकालीन सत्र से ऐन पहले मंत्री और निदेशक के मध्य विवाद से सरकार असहज भी हुई थी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आदेश पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने इसकी जांच अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार को सौंपी। करीब एक माह की जांच पड़ताल के बाद उन्होंने हाल में मुख्य सचिव को रिपोर्ट सौंप दी थी। इसका सरकार परीक्षण करा रही है। सूत्रों ने बताया कि जांच रिपोर्ट में टेंडर के लिए अपनाई गई प्रक्रिया को सही ठहराया गया है। सूत्रों ने बताया कि अब ऐसा रास्ता निकाला जा रहा, जिससे दोनों पक्ष संतुष्ट हो जाएं और विवाद की स्थिति भी न रहे।