विदेशी परिंदों का पसंदीदा आसन कंजर्वेशन रिजर्व छाएगा विश्व फलक में
देश के पहले कंजर्वेशन रिजर्व आसन झील अब विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाएगी। साथ ही यहां प्रवासी परिंदों के वासस्थल विकास, संरक्षण समेत अन्य कदम उठाए जाएंगे।
देहरादून, [केदार दत्त]: देश के पहले कंजर्वेशन रिजर्व के 444 हेक्टेयर क्षेत्र में पसरी 25 हजार क्यूसेक जल क्षमता वाली आसन झील और इसके आसपास का क्षेत्र अब विश्व फलक पर छाएगा। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत अंतर्राष्ट्रीय संस्था कन्वेशन आफ माइग्रेट्री स्पीसीज (सीएमएस) की ओर से मांगे गए नए वेटलैंड के प्रस्ताव के क्रम में उत्तराखंड वन विभाग ने देहरादून जिले में स्थित आसन कंजर्वेशन रिजर्व का प्रस्ताव भेजा है। इसे मंजूरी मिलते ही यह रिजर्व सेंट्रल एशियन फ्लाईवेज (सीएएफ) की विभिन्न साइट्स से जुड़ जाएगा, जिनका संचालन सीएमएस के जरिये होता है। सीएएफ वह हवाई मार्ग है, जिससे होकर प्रवासी परिंदे भारत में आते-जाते रहते हैं।
सीएमएस वह संस्था है, जो प्रवासी परिंदों के संरक्षण की दिशा में विश्वभर में कार्य करती है। वर्तमान में उससे 130 देश जुड़े हैं। भारत समेत मध्य एशिया के देश भी इससे जुड़े हैं और सेट्रल एशियन फ्लाइवेज (सीएएफ) की विभिन्न साइट्स पर इन देशों के वेटलैंड और इनकी खासियत के बारे में जानकारी उपलब्ध है। साथ ही प्रवासी परिंदों के वासस्थल विकास, संरक्षण समेत अन्य कदम उठाए जाते हैं।
उत्तराखंड के अपर प्रमुख वन संरक्षक डॉ.धनंजय मोहन बताते हैं कि सीएमएस नए वेटलैंड जोड़ता रहता है। इस कड़ी में भारत समेत अन्य देशों से आग्रह किया गया था कि यदि वे चाहें तो अपने यहां के वेटलैंड के संबंध में प्रस्ताव भेजें। देश का पर्यावरण एवं वन मंत्रालय सीएमएस से जुड़ा है। मंत्रालय की ओर से वेटलैंड के सिलसिले में सभी राज्यों को परिपत्र जारी किए गए।
डॉ. धनंजय ने बताया कि उत्तराखंड से आसन वेटलैंड को इसमें शामिल करने का प्रस्ताव पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के माध्यम से सीएमएस को भेज दिया गया है। देहरादून के विकासनगर क्षेत्र में स्थित आसन वेटलैंड को देश का पहला कंजर्वेशन होने का गौरव प्राप्त है। सीएमएस में शामिल होने की मुहर लगने के बाद यह सीएएफ से जुड़ जाएगा। इससे संरक्षण संबंधी कार्यों में और तेजी आ सकेगी।
आसन कंजर्वेशन रिजर्व
उत्तराखंड में प्रवासी पङ्क्षरदों की ऐशगाह आसन कंजर्वेशन रिजर्व 14 अगस्त 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने देश को समर्पित किया था। विकासनगर (देहरादून) से आठ किमी के फासले पर स्थित इस रिजर्व में अक्टूबर में प्रवासी परिंदों का आगमन होता है और ये मार्च आखिर तक डेरा डाले रहते हैं। सुर्खाब यानी रूडी शेल्डक का तो ये पसंदीदा स्थल है। मेहमान परिंदों के उड़ान भरने के बाद अपै्रल से सितंबर तक यहां देशी पक्षियों का राज रहता है।
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