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अरुण जेटली बोले, पाकिस्‍तान को चुकानी होगी आतंक की कीमत

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कुछ लोगों ने कश्मीर के संबंध में ऐतिहासिक भूल की है, मगर कोई इस गलतफहमी में न रहे कि कश्मीर को देश से अलग किया जा सकता है।

By gaurav kalaEdited By: Published: Sat, 22 Oct 2016 08:54 PM (IST)Updated: Sun, 23 Oct 2016 07:00 AM (IST)
अरुण जेटली बोले, पाकिस्‍तान को चुकानी होगी आतंक की कीमत

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि मोदी सरकार देश की सुरक्षा से कोई समझौता न करने की नीति पर आगे बढ़ रही है। कुछ लोगों ने कश्मीर के संबंध में ऐतिहासिक भूल की है, मगर कोई इस गलतफहमी में न रहे कि कश्मीर को देश से अलग किया जा सकता है। जो पड़ोसी देश अलगाववाद को आगे बढ़ाता है, उसे आतंक करने या करवाने की महंगी कीमत चुकानी होगी।
वित्तमंत्री अरुण जेटली देहरादून में स्व. कुशाभाऊ ठाकरे स्मृति न्यास की ओर से आयोजित प्रबुद्ध सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यूपीए के मॉडल में प्रधानमंत्री देश व दल का स्वाभाविक नेता नहीं था। निर्णय क्षमता का अभाव था, तो भ्रष्टाचार के साथ ही देश की सुरक्षा पर कमजोर नीति थी।

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देश में निराशा का भाव था, जिसके बाद कई परिवर्तन आए। एक दल को बहुमत मिला, तो कठिन व कठोर निर्णय लेने वाला नेतृत्व भी मिला। ऐसे में जनता की उम्मीदें व भरोसा बढ़ा है। जनता ने पठानकोट व उड़ी जैसी घटना के जवाब के परंपरागत व कूटनीतिक तरीकों की मोदी सरकार से अपेक्षा नहीं की।
जिन मापदंडों पर लोग मोदी और उनकी सरकार को परखना चाहते हैं, वो भी पुरानी सरकारों से अलग हैं। न्यूयार्क, लंदन व सिडनी ही नहीं, शंघाई में भी भारतीयों का हुजूम प्रधानमंत्री को मिलने पहुंच रहा है।
यह नया भाव भारतीयता को नई पहचान दे रहा है। जिस इकोनोमिक टाईम्स ने 2013 में भारत के पांच ब्रिक्स देशों से बाहर होने की आशंका व्यक्त की, वही पत्रिका आज भारत को सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था बता रही है। वित्तमंत्री ने भारत की बदलती इस छवि का श्रेय जनता के मन में देश को खड़ा करने की बढ़ती भावना को भी दिया।
उन्होंने कहा कि आगे बढऩे की जो भूख कभी मध्यम वर्ग में दिखती थी, वो मध्यम से कमजोर वर्ग के बच्चों में भी दिख रही है। बाजार में भी मुकाबला करके ही आगे बढऩे की भावना मजबूत हुई है।

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शिवराज सिंह चौहान व नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि राजनीति में भी इसका असर पड़ा है। योग्यता आगे बढ़ रही है। नाम लिए बगैर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि पहले राजनीतिक दल को एक परिवार के लोग चलाते थे, जो समझते थे कि उसी परिवार के लोग ही दल को आगे बढ़ाएंगे। देश में उम्मीद का वातावरण बनते ही ऐसी ताकतें अब ताकत नहीं रहीं।
भारत में वंशवादी शासन नहीं है। जो दल इसे नहीं समझ रहे, वो खुद को खत्म कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक मंदी में भी प्रगति का मार्ग खोजना चुनौती की बात होती है। मोदी सरकार ने ऐसा करके दिखा दिया।
सरकार की नीतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि निजी पूंजी को बाजार में और बढ़ाना है। ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश इतना बढ़ाना है, ताकि ग्रामीणों का जीवन स्तर ऊपर उठ सके। सरकार को जो साधन मिल रहे हैं, वो गरीब के हित में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। किसानों को फसल बीमा, गरीबों को स्वास्थ्य बीमा जैसी सामाजिक सुरक्षा देना सरकार की प्राथमिकता है।

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स्वर्ग बनाने की उम्मीद के लिए हुआ था उत्तराखंड का गठन
करीब 30 मिनट के संबोधन में वित्तमंत्री ने उत्तराखंड का भी जिक्र किया। कहा कि उत्तराखंड का गठन इस पहाड़ी प्रदेश को स्वर्ग बनाने की उम्मीद से किया गया था। यह भ्रष्टाचार का केंद्र बन जाएगा, इसकी कल्पना नहीं की गई थी।
जेटली ने कहा कि वह कानून व संविधान के विद्यार्थी रहे हैं। भविष्य में कभी लिखेंगे, तो एक यह अंतद्र्वंद्व भी होगा कि देश के लोकतंत्र में ऐसा भी उदाहरण आया कि बहुमत को अल्पमत व अल्पमत को बहुमत कर दो। गणित को गलत पढ़ दो और कह दो कि इससे संविधान का कुछ नहीं बिगड़ेगा।
उम्मीद है इतिहासकार व कानूनी लेखक भविष्य में इसका भी विश्लेषण करेंगे। कुछ गलतियों को भविष्य की पीढ़ी ठीक करती हैं। यहां भविष्य के लिए अधिक इंतजार नहीं करना होगा।
इससे पूर्व वित्त मंत्री ने राजभवन जाकर राज्यपाल डॉ. केके पाल से भी भेंट की। कार्यक्रम में सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, भाजपा प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू, प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, न्यास के अध्यक्ष नरेश बंसल, महामंत्री पुनीत मित्तल, कार्यक्रम संयोजक उमेश अग्रवाल आदि मौजूद थे।

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