जीवन जीने की कला है आर्ट ऑफ लिविंग : श्रीश्री रविशंकर
- अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का दूसरे दिन योग गुरुओं ने साधकों को बताया योग का महत्व
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : ऋषिकेश में गंगा तट योगमय हो गया है। अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में साधक ध्यान लगाने के साथ ही गुरुओं से योग के रहस्य जान रहे हैं। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये महोत्सव के दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि यह विधा जीवन जीने की कला है। योग के माध्यम से ग्रहण करने की शक्ति का विकास होता है।
गढ़वाल मंडल विकास निगम और पर्यटन विकास परिषद द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के दूसरे दिन श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि योग अथवा ध्यान में मन पर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। मन को मुक्त रखने से धारणा बनती है व धारणा से ध्यान व ध्यान से समाधि की ओर बढ़ा जाता है। मन की एकाग्रता से विकृतियां दूर होती हैं और विकृतियां दूर होने से व्यक्ति का चरित्र सकारात्मक रूप से बदल जाता है। उन्होंने कहा कि हर अपराधी के भीतर कोई पीड़ित व्यक्ति मदद के लिए पुकार रहा होता है।
मंगलवार को योगाचार्यों ने अलग अलग सत्रों में साधकों को विभिन्न योगासन व क्रियाओं का अभ्यास कराया। सुबह के सत्र में ग्रांड मास्टर अक्षर और योगाचार्या कपिल सघंवी ने योग एवं प्राणायाम के अभ्यास कराए।
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आकर्षण का केंद्र बने स्टॉल
अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में गंगा रिसोर्ट में विभिन्न विभागों की ओर से अपने उत्पादों के स्टाल लगाए गए हैं, जिसमें उद्योग विभाग, आयुष विभाग प्रमुख रूप से शामिल हैं। अध्यात्म विज्ञान व सत्संग केंद्र जोधपुर ने यहां सिद्ध योग के माध्यम से प्रतिभागियों व आगंतुकों को ध्यान लगाने की क्रिया का अभ्यास भी कराया जा रहा है। गढ़वाल मंडल विकास निगम की ओर से पहाड़ी व्यंजनों का स्टाल लगाया गया है।
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