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दून अस्पताल में मरीज भर्ती करने के नाम पर भी खेल Dehradun News

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। अस्पताल प्रबंधन की तमाम कोशिशों को कर्मचारी ही पलीता लगा रहे हैं।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 11:46 AM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 11:46 AM (IST)
दून अस्पताल में मरीज भर्ती करने के नाम पर भी खेल Dehradun News
दून अस्पताल में मरीज भर्ती करने के नाम पर भी खेल Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में व्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। अस्पताल प्रबंधन की तमाम कोशिशों को कर्मचारी ही पलीता लगा रहे हैं। ऐसा ही एक और मामला अस्पताल की इमरजेंसी में सामने आया है। इमरजेंसी में मरीजों को भर्ती करने के नाम पर भी खेल चल रहा है।

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दरअसल, अस्पताल की इमरजेंसी तीन पालियों में चलती है और इस दौरान 450 से 500 रोगी यहां उपचार लेते हैं। इनमें कई को भर्ती भी करना पड़ता है। पर हाल में कई मरीजों को बगैर भर्ती दिखाए ही उनका इलाज किया जा रहा है। वह भी तब जब भर्ती शुल्क के नाम पर 90 रुपये वसूले जा रहे हैं। 

यह पैसा सरकारी खजाने के बजाय इमरजेंसी में तैनात स्टाफ की जेब में जा रहा है। इससे अस्पताल को बड़ा फटका लग रहा है। मामला चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा के संज्ञान में आया तो वह चौंक गए। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी में तैनात स्टाफ को अन्यत्र शिफ्ट कर यहां पर नया स्टाफ तैनात किया गया है। साथ ही चेतावनी दी है कि दोबारा इस तरह की शिकायत मिलने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस बावत उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को भी सूचित किया है।

मेडिकल बनाने में भी खेल

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की इमरजेंसी में मेडिकल बनाने में भी खेल चल रहा है। अस्पताल में अधिकांशत: तीन तरह के मामलों/केस में मेडिकल सर्टिफिकेट बनते हैं। एक्सीडेंट (दुघर्टना), मेडिकोलीगल व पुलिस केस। मेडिकोलीगल मामलों में 150 रुपये का शुल्क निर्धारित है। अन्य मेडिकल निश्शुल्क बनते हैं। लेकिन स्टाफ मेडिकल बनाने के नाम पर मरीजों से मनमाने ढंग से शुल्क वसूल रहा है। 

यही नहीं जो मेडिकल निश्शुल्क बनते हैं, उनका भी शुल्क लिया जा रहा है। यह रकम भी स्टाफ की जेब में जा रही है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. टम्टा का कहना है कि इस तरह की गड़बड़ी रोकने एवं लोगों को जागरूक करने के लिए मेडिकल फीस के संबंध में दो बोर्ड इमरजेंसी के बाहर लगाए गए हैं। इनमें उनका नंबर भी दर्ज है। यदि कोई भी तय शुल्क से अधिक की मांग करता है तो पीडि़त व्यक्ति उन्हें फोन कर जानकारी दे सकता है। 

क्लीनिक में भी भर्ती किए जा रहे मरीज

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की इमरजेंसी के बाहर से मरीजों को बरगलाकर निजी अस्पताल में ले जाने का मामला तूल पकड़ गया है। इमरजेंसी के बाहर ही एक ऐसा गिरोह सक्रिय है, जिसके सदस्य एप्रेन पहनकर यहां डेरा डाले रहते हैं। वे मरीजों को गुमराह करते हैं और उन्हें निजी अस्पताल में जाने को मजबूर किया जाता है। 

ताज्जुब ये कि पिछले एक सप्ताह में अस्पताल की इमरजेंसी से तीन मरीज एक ही निजी चिकित्सा प्रतिष्ठान में ले जाए गए। जिसे दून अस्पताल की ही शाखा बताया गया। इस चिकित्सा प्रतिष्ठान ने मरीजों को भ्रमित करने के लिए नाम में भी दून लगाया हुआ है। बताया गया कि उक्त प्रतिष्ठान है क्लीनिक, पर दावा अस्पताल होने का करता है। जबकि सुविधाएं उस अनुरूप नहीं हैं।

इस पर अब अस्पताल प्रबंधन मामले की रिपोर्ट तैयार कर मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय को भेज रहा है। इसके बाद सीएमओ के स्तर पर संबंधित प्रतिष्ठान पर कार्रवाई हो सकती है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मीनाक्षी जोशी का कहना है कि रिपोर्ट मिलने पर चिकित्सा प्रतिष्ठान के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। 

पहले भी सुर्खियों में रहा चिकित्सा प्रतिष्ठान

उक्त चिकित्सा प्रतिष्ठान का यह पहला कारनामा नहीं है। इससे पहले भी उसका नाम विवादों से जुड़ा रहा है। गत वर्ष फरवरी में लक्सर निवासी एक मरीज को अस्पताल में बंधक बना लिया गया था। स्वजन उसे पेट में दर्द की शिकायत पर सरकारी अस्पताल ले जा रहे थे, पर एंबुलेंस चालक सस्ते व अच्छे उपचार की बात कहकर यहां ले गया। 

जहां मामूली उपचार का 60 हजार रुपये बिल थमा दिया गया। पैसा ना दे पाने पर मरीज को बंधक बना लिया। मरीज के भाई की तहरीर पर पुलिस ने उसे मुक्त कराया था। इसकी रिपोर्ट सीएमओ कार्यालय को भी दी थी। बताया गया कि संचालक का नजदीक ही एक अस्पताल और है। यहां भी आए दिन मरीज व तीमारदारों के हंगामे की सूचना आती है। 

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तैनात रहेंगे चार सुरक्षा गार्ड 

अस्पताल की इमरजेंसी के आसपास रात के समय चार सुरक्षा कर्मी (गार्ड) तैनात करने का निर्णय भी प्रबंधन ने लिया है। किसी भी संदिग्ध के दिखने तुरंत इसकी शिकायत पुलिस को की जाएगी। ताकि मरीजों को बरगलाकर किसी दूसरे अस्पताल में भेजने के लिए जो गिरोह सक्रिय है, उस पर लगाम लग सके। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा का कहना है कि ऐसे किसी भी मामले में अब चिकित्सा प्रतिष्ठान के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जाएगी।

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