दुपहिया पंजीकरण में समाप्त होगी शपथ-पत्र की व्यवस्था
जागरण संवाददाता, देहरादून: वाहन पंजीकरण में प्रयोग हो रहे स्टांप पेपर को लेकर उठे सवाला
जागरण संवाददाता, देहरादून: वाहन पंजीकरण में प्रयोग हो रहे स्टांप पेपर को लेकर उठे सवालों के बाद आरटीओ दफ्तर में शपथ-पत्र की अनिवार्यता समाप्त करने की तैयारी चल रही है। दरअसल, दुपहिया पंजीकरण के दौरान वाहन स्वामी की तरफ से शपथ-पत्र दिया जाता है कि वह वाहन से स्टंटबाजी नहीं करेगा। आरटीओ में हर रोज तकरीबन डेढ़ सौ दुपहिया पंजीकृत हो रहे हैं। आरटीआइ के जरिए हुए खुलासे से दलालों एंव एजेंसी मालिकों पर शपथ-पत्र में फर्जी स्टांप पेपर व मुहरें इस्तेमाल करने का आरोप लगा है।
रुड़की निवासी एक व्यक्ति ने वाहनों के पंजीकरण को लेकर आरटीओ कार्यालय में सूचना के अधिकार में जानकारी मांगी थी। आरोप है कि नए दुपहिया वाहन पंजीकरण के दौरान जो शपथ पत्र लगाए जा रहे, वह फर्जी हैं। आरोप यह भी है कि शपथ-पत्र को नोटरी भी फर्जी तरीके से किया जा रहा है। जिससे सरकार को राजस्व की हानि हो रही है। आरोपों के बाद सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी अरविंद पांडे ने तत्काल पंजीकरण व फिटनेस से जुड़े अधिकारियों को तलब किया और सत्यता पूछी। चर्चा है कि आरटीओ कार्यालय के बाहर डटे कुछ दलालों ने फर्जी स्टांप व नोटरी की मुहरों का प्रयोग किया है। इसमें वाहन डीलर्स से जुड़े एजेंट भी शामिल बताए जा रहे।
ऐसे आरोपों के बाद परिवहन विभाग नए वाहनों में शपथ-पत्र की अनिवार्यता खत्म करने जा रहा। शपथ-पत्र सिर्फ दुपहिया के पंजीकरण में लगते हैं। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी द्वारा परिवहन मुख्यालय को इस बारे में पत्र भेजकर शपथ-पत्र की अनिवार्यता खत्म करने की अपील की है। हालांकि, पुराने वाहनों की खरीद और नए मालिक का नाम दर्ज कराते वक्त शपथ पत्र देने की व्यवस्था यथावत रहेगी।
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जांच को रजिस्ट्रार आफिस भेजी फाइलें
फर्जी स्टांप पेपर और नोटरी की फर्जी मुहरें प्रयोग होने के आरोपों पर सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी अरविंद पांडे की ओर से दस वाहनों की फाइलें जांच के लिए रजिस्ट्रार आफिस भेजी गई हैं। पांडे ने बताया कि आरटीओ में स्टांप पेपर और नोटरी की मुहर की जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। आरटीओ कार्यालय कैसे ये पता लगा सकता है कि स्टांप पेपर और नोटरी की मुहरें असली हैं या फर्जी। इसकी जांच निर्धारित रजिस्ट्रार आफिस में ही हो सकती है। इसलिए, दस अलग-अलग वाहनों की फाइलें जांच को भेजी गई हैं, जिनमें शपथ पत्र लगे हैं। रजिस्ट्रार आफिस जांच करेगा कि शपथ-पत्र में प्रयोग किए गए स्टांप का राजस्व जमा हुआ है या नहीं। इसके साथ ही जिस नोटरी के हस्ताक्षर हैं, वह असली है या फर्जी।