'संध्या छाया' में छलका बुजुर्ग मां-बाप का दर्द
जागरण संवाददता, देहरादून: वृद्धावस्था में बच्चों की बेरुखी और उपेक्षा का दंश झेल रहे माता-पि
जागरण संवाददता, देहरादून: वृद्धावस्था में बच्चों की बेरुखी और उपेक्षा का दंश झेल रहे माता-पिता का जीवन अनेक चिंता और समस्याओं से घिरा होता है। माता-पिता की इन्हीं भावनाओं को संध्या छाया नाटक के माध्यम से कलाकारों ने दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया। कलाकारों के सधे हुए अभिनय ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा।
सोमवार को नगर निगम सभागार में कलामंच ने संध्या छाया नाटक की प्रस्तुति दी। नाटक में कलाकारों ने सेवानिवृत्ति के बाद एकाकी जीवन जी रहे वृद्ध दंपतियों की समस्याओं को उजागर किया। नाटक का लेखन जयवंत दलवी और निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी टीके अग्रवाल ने किया। नाटक वृद्ध मां-बाप की कहानी पर आधारित है। जिनका एक बेटा व्यवसाय करने विदेश चला जाता है और दूसरा बेटा सेना में भर्ती हो जाता है। बड़ा बेटा किसी विदेशी महिला से शादी कर लेता है। उधर, बॉर्डर में ड्यूटी के दौरान छोटा बेटा शहीद हो जाता है। भाई की मौत पर आठ साल बाद बड़ा बेटा घर आता है। मगर मां-बाप के आग्रह करने के बावजूद वह न तो उनकी बहू से उन्हें मिलवाता है और न ही उनके साथ रहने को तैयार होता है। बेटे के इस व्यवहार से माता-पिता को बहुत दुख पहुंचता है। ऐसे में उनके घर पर किराये पर रह रहा एक लड़का उनका सहारा बनता है। नाटक में पिता की भूमिका में प्रदीप शर्मा, मां की भूमिका में डॉ. जागृति डोभाल ने शानदार अभियान किया। अन्य कलाकारों में मयंक चौधरी, डॉ. विशाल शर्मा, कमल पाठक, अनन्या गौड़, प्रतीक, प्रण धस्माना ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सत्य प्रकाश गोयल, विशिष्ट अतिथि डॉल्फिन इंस्टीट्यूट के अरविंद गुप्ता थे। इसके अलावा जगदीश बाबला, अतुल विश्नोई, महेंद्र वर्मा, अरुण अग्रवाल, रिचा गौड़, संजय गुप्ता ने सहयोग दिया।