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अनिवार्य, 'एप्टीकॉन सम्मेलन फार्मास्युटिकल पेशेवर व छात्रों को वरदान

जागरण संवाददाता देहरादून एसोसिएशन ऑफ फार्मास्युटिकल टीचर्स ऑफ इंडिया के सहयोग से डीआ

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Oct 2019 10:50 PM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 10:50 PM (IST)
अनिवार्य, 'एप्टीकॉन सम्मेलन फार्मास्युटिकल पेशेवर व छात्रों को वरदान
अनिवार्य, 'एप्टीकॉन सम्मेलन फार्मास्युटिकल पेशेवर व छात्रों को वरदान

जागरण संवाददाता, देहरादून : एसोसिएशन ऑफ फार्मास्युटिकल टीचर्स ऑफ इंडिया के सहयोग से डीआइटी विश्वविद्यालय देहरादून में उत्तराखंड का पहला फार्मा सम्मेलन 'एप्टीकॉन 2019' शुरू हुआ। जिसमें देशभर से 15 सौ छात्र-छात्राएं व शिक्षाविदों ने खुद पंजीकृत करते हुए भाग किया। सम्मेलन का उद्घाटन फार्मेसी काउंसिल ऑफ इडिया के अध्यक्ष डॉ. सराफ, पूर्व प्रो वाइस चांसलर पंजाब विवि डॉ. एसके कुलकर्णी, हिमालयन ड्रग्स देहरादून के अध्यक्ष डॉ. एस फारूख, कुलपति डीपसार विवि नई दिल्ली डॉ. रमेश गोयल व अनुसांधन मणिपाल विवि के निदेशक डॉ. एन उडुपा ने दीप प्रज्वलित कर किया।

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फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. सराफ ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आयोजन एसोसिएशन ऑफ फार्मास्युटिकल टीचर्स ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है। कहा कि सम्मेलन का विषय 'भविष्य के वैश्विक पेशेवरों के लिए फार्मेसी गुरुओं का समग्र योगदान विजन-2047' बेहद लाभप्रद है। कहा कि इस प्रकार के सम्मेलन फार्मास्युटिकल के ऐकेडमिस्ट व छात्रों के लिए वरदान है। डॉ.एस फारूख ने छात्रों को सलाह दी कि वह प्राकृतिक उत्पादों को बनाने में इस्तेमाल होने वाली नई तकनीकों से खुद को अपडेट रखें। उत्तराखंड औषधीय पौधों का केंद्र है, जो निर्माण के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। डॉ. रमेश गोयल ने कहा कि लोगों को प्रशिक्षित करने और खुद को अपडेट करने के लिए इस प्रकार के प्लेटफार्म की आवश्यकता है। सम्मेलन में एटीपीआइ के अध्यक्ष डॉ. पीसी चौधरी व सचिव डॉ. रमन डांग ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं छात्रों व शिक्षाविदों को शोध लेख और शोध परियोजनाओं में मददगार साबित होती है। इस मौके पर डीआइटी विवि के चांसलर एन रविशंकर व कुलपति डॉ. केके रैना ने संबोधित करते हुए विवि की ओर से फार्मास्युटिकल के छात्रों को सभी तरह की सुविधाएं दी जाएंगी। सम्मेलन में अमेरिका, ब्रिटेन, मलेशिया, ओमान सहित देश के कई पेशेवर फार्मा विशेषज्ञ ने अपने विचार व्यक्त किए। जिनमें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज बंगलुरू, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सूरतकल, राजीव गाधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी तिरुवंतपुरम, सिनजेन बायोटेक्नोलॉजी बंगलुरू, एक्सिस क्लिनिकल ट्रायल हैदराबाद व भारतीय पेटेंट कार्यालय चेन्नई के विशेषज्ञ शामिल हुए। विदेशी प्रतिभागियों में डॉ. अनंत पराडकर, डॉ. गन एसवाई, डॉ. इस्रेब, डॉ. शरना, डॉ. अपारसु, डॉ. आनंदी, डॉ.नीरज आदि शामिल हुए।


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