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भारी बर्फबारी से सेब उत्पादकों के चेहरों पर छाई लाली

चमोली जिले में बर्फबारी से भले ही पर्यटकों समेत आम लोगों की मुसीबतें बढ़ी हों, मगर यह बर्फबारी सेब की फसल के लिए मुफीद मानी जा रही है।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 29 Jan 2019 01:03 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 01:03 PM (IST)
भारी बर्फबारी से सेब उत्पादकों के चेहरों पर छाई लाली
भारी बर्फबारी से सेब उत्पादकों के चेहरों पर छाई लाली

गोपेश्वर, जेएनएन। चमोली जिले में बर्फबारी से भले ही पर्यटकों समेत आम लोगों की मुसीबतें बढ़ी हों, मगर यह बर्फबारी सेब की फसल के लिए मुफीद मानी जा रही है। तीन हजार परिवारों की आजीविका सेब उत्पादन पर निर्भर है। इस बार अच्छी बर्फ पड़ने से सेब का उत्पादन बढ़िया होने की संभावना प्रबल हो गई। 

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चमोली जिला सेब उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। जिले में प्रतिवर्ष ढाई से तीन हजार मैट्रिक टन तक सेब का उत्पादन होता है। यहां पर सेब की डिलीशियस, रायमर, मक्खनठोस समेत कई प्रजातियां उगाई जाती हैं। मगर खास तौर पर डिलीशियस की मांग स्थानीय बाजार से लेकर बाहरी मंडियों के अलावा विदेशों तक होती रही है। 

जिले में जोशीमठ, घाट, देवाल, दशोली विकासखंड में सेब की अच्छी खासी खेती होती है। उद्यान विभाग के चार वर्ष के आंकड़ों पर नजर डाली जाए, तो कम बर्फबारी के चलते पिछले सालों से सेब की फसल का बेहतर उत्पादन नहीं हो पाया। 

सेब उत्पादन में मामूली बढ़ोत्तरी हुई, जबकि सेब के काश्तकारों की संख्या में इजाफा हुआ। कभी सेब की अच्छी फसल हुई भी तो वह ओलावृष्टि की भेंट चढ़ गई। मगर इस साल जिस प्रकार सेब उत्पादक क्षेत्रों में अच्छी खासी बर्फबारी हुई है, उससे सेब की बेहतर फसल की उम्मीद काश्तकारों में जगी है। 

इन दिनों सेब के पेड़ों की कटाई-छंटाई का कार्य चल रहा है। काश्तकारों का कहना है कि पेड़ों की कटाई-छंटाई के दौरान अच्छी बर्फबारी से सेब के पेड़, तने, पत्तों पर लगने वाले कीड़े समाप्त हो जाते हैं। साथ ही सेब के फूल में फल सेट होने के लिए जो तापमान चाहिए, वह बर्फबारी के चलते बना हुआ है। ऐसे में समय पर अच्छी फसल की उम्मीद है। 

जिले में सेब उत्पादन के आंकड़े

वर्ष 2015 में 3352.00 मीट्रिक टन

वर्ष 2016 में 3354.02 मीट्रिक टन

वर्ष 2017 में 3357.06 मीट्रिक टन

वर्ष 2018 में 3358.46 मीट्रिक टन

इन क्षेत्रों में होता है सेब का उत्पादन

चमोली जिले के औली, सुनील, पसारी, मेरग, बड़ागांव, नीती घाटी के जेलम, मलारी, सुरांईथोटा, सूकी, भल्लागांव, उर्गम घाटी के अलावा घाट व देवाल विकासखंडों में भी सेब की फसल का उत्पादन किया जाता है। सेब की फसल से प्रतिवर्ष तीन हजार से अधिक परिवारों की आजीविका चलती है।

खून की कमी समेत कई बीमारियों को दूर करता है सेब

सेब में कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो मानव शरीर को पोषण प्रदान करते हैं। आयरन की कमी को भी यह फल दूर करता है। इसके अलावा हृदय रोग, चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने, वजन घटाने, दिमाग बढ़ाने, आंखों की रोशनी बढ़ाने, लीवर साफ करने में भी इसका उपयोग होता है।

अच्छी पैदावार की उम्मीद 

जेलम गांव जोशीमठ के सेव उत्पादक इंद्र सिंह बिष्ट के अनुसार पिछले कुछ साल से कम बर्फबारी के चलते सेब का अच्छा उत्पादन नहीं हो पा रहा है। कभी ओलावृष्टि से फसल तबाह हो जाती है, तो कभी कम बर्फबारी के चलते पेड़ व फलों पर कीड़े लगने से फसल बाजार तक नहीं पहुंच पाई। इस समय सेब के पेड़ों के कटाई-छंटाई का कार्य चल रहा है। इस दौरान इस साल अच्छी बर्फबारी होने से सेब पर कीटों का प्रकोप न होने की संभावना है। लिहाजा इस साल अच्छी सेब की फसल की पैदावार हो सकती है।

वरदान से कम नहीं बर्फबारी 

जिला उद्यान अधिकारी नरेंद्र कुमार यादव के अनुसार बर्फबारी सभी फसलों के लिए फायदेमंद होती है। परंतु सेब के लिए यह बर्फबारी किसी वरदान से कम नहीं है। इस बार जिस प्रकार बर्फबारी हुई है, उससे सेब की अच्छी फसल की उम्मीद हमें भी है। जिले के सेब काश्तकारों को इस साल अच्छी फसल का फायदा मिलेगा।

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