बाहती समाज के उत्थान के लिए जागरूकता जरूरी
संवाद सूत्र, डोईवाला: अखिल भारतीय उत्तराखंड बाहती महासभा के वार्षिक सम्मेलन में सांस्कृतिक क
संवाद सूत्र, डोईवाला: अखिल भारतीय उत्तराखंड बाहती महासभा के वार्षिक सम्मेलन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम छाई रही। वक्ताओं ने कहा कि बाहती समाज के उत्थान के लिए जागरूकता की जरूरत है।
माजरीग्रांट ग्राम सभा के बालकुमारी क्षेत्र में आयोजित सम्मेलन में मुख्य अतिथि होशियार ¨सह परासर ने कहा कि जब वह पहली बार उत्तराखंड आए थे तो यह समाज काफी पिछड़ा हुआ व त्रुटिपूर्ण था। बाहती समाज की यह दुर्दशा उत्तराखंड में ही देखने को मिलती है। हिमाचल और पंजाब की बात करें तो इस समाज के लोग काफी अच्छे पदों पर मौजूद हैं। राज्य व केंद्रीय पदों पर समाज की बेटी जीनत चौधरी एथलिस्ट में गोल्ड मेडलिस्ट रह चुकी हैं। पुष्पा झाबा इस समाज की एक ऐसी बेटी हैं जिन्होंने भूगोल से पीएचडी कर अपने परिवार व समाज का नाम रोशन किया है, लेकिन उत्तराखंड सरकार इस समाज के लोगों को रोजगार देने में अभी तक विफल ही रही है। समाज को अभी तक केंद्र सरकार की सूची में दर्ज नहीं किया गया है। यह एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण विषय है। आइपीएस अधिकारी व आइजी उत्तराखंड पुलिस राजीव स्वरूप ने कहा कि वह दलित परिवार से नाता रखते हैं। जब हरिद्वार में एसएसपी के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने ऋषिकेश, रायवाला व लालढांग में निवास कर रहे बाहती समाज के लोगों को जाना व समझा। यह समाज हर क्षेत्र में पूरी तरह से पिछड़ा हुआ है और शिक्षा, रोजगार में भी पीछे है। पोंटा साहब के पूर्व विधायक सुखराम चौधरी ने कहा कि हम सभी को समाज के उत्थान की दिशा में अपना योगदान देना चाहिए। सम्मेलन में बाहती महासभा के अध्यक्ष राजाराम लाखेरी, शंकर ¨सह मेहरारू, मेलाराम, बलवीर झंडवाल, जगदीश लाहोल ने समाज के उत्थान की बात करते हुए कहा कि नौ नवंबर 2003 में उत्तराखंड राज्य में बाहती समाज को पिछड़े वर्ग का दर्जा मिला था। इसलिए यह कार्यक्रम इसी दिन मनाया जाता है। इस मौके पर किशोरीलाल, भजन चौधरी, नंदलाल परवाल, अनु स्वरूप प्रबंधक कोरोनेशन हॉस्पिटल देहरादून, जगदीश ¨सह सियाल, राजाराम लेकरू, गुमान ¨सह महरालू, बलवीर ¨सह झंडवाल, मलकीत, ओंकार सिह आदि उपस्थित रहे।