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Ankita Murder Case : भाई-बहन ने एक साथ देखा था नया घर बनाने का सपना, अब अजय की कलाई पर राखी के रूप में बचीं यादें

Ankita Murder Case अंकिता की हत्या के बाद पूरे परिवार पर मानो वज्रपात हुआ है। वहीं भाई अजय भी रह-रहकर कलाई पर बंधी उस राखी को निहार रहा है जो रक्षाबंधन पर अंकिता ने उसे कुरियर से दिल्ली भेजी थी।

By Durga prasad nautiyalEdited By: Nirmala BohraPublished: Thu, 29 Sep 2022 11:47 AM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2022 11:47 AM (IST)
Ankita Murder Case : भाई-बहन ने एक साथ देखा था नया घर बनाने का सपना, अब अजय की कलाई पर राखी के रूप में बचीं यादें
Ankita Murder Case : अजय भंडारी और अंकिता भंडारी। फाइल फोटो

दुर्गा नौटियाल, ऋषिकेश : Ankita Murder Case : अपने काले कारनामों को छिपाने के लिए दरिंदों ने अंकिता भंडारी को मौत की नींद सुला दिया। मानवता को शर्मसार करने वाले इन हैवानों ने एक बार के लिए भी नहीं सोचा कि वह सिर्फ अंकिता की हत्या नहीं कर रहे, बल्कि एक मां की ममता, पिता के सपने और भाई के अरमानों को भी कुचल रहे हैं।

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अंकिता की हत्या के बाद पूरे परिवार पर मानो वज्रपात हुआ है। स्वजन को हर घड़ी अंकिता की याद साल रही है। माता-पिता जहां स्वयं को संभाल नहीं पा रहे, वहीं भाई अजय भी रह-रहकर कलाई पर बंधी उस राखी को निहार रहा है, जो रक्षाबंधन पर अंकिता ने उसे कुरियर से दिल्ली भेजी थी।

वीरेंद्र व सोनी को अपने दोनों होनहार बच्चों पर था नाज

पौड़ी जिले के श्रीकोट निवासी वीरेंद्र सिंह भंडारी व सोनी देवी को अपने दोनों होनहार बच्चों पर नाज था। बेटा अजय व बेटी अंकिता दोनों पढ़ाई में होशियार रहे।

दोनों की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर पौड़ी से हुई और इंटरमीडिएट उन्होंने बीआर मार्डन स्कूल पौड़ी से किया। वर्ष 2018 में अजय ने 91 प्रतिशत अंकों के साथ इंटरमीडिएट परीक्षा पास की। इसके बाद पहले ही प्रयास में उसने सीए की परीक्षा पास की और वर्तमान में वह सीए के लिए दिल्ली में इंटर्नशिप कर रहा है।

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जबकि, अंकिता ने वर्ष 2020 में 89 प्रतिशत अंकों के साथ इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। अंकिता का सपना होटल मैनेजमेंट कर इसी क्षेत्र में करियर बनाने का था। इसके लिए इंटरमीडिएट के बाद अंकिता का दाखिला देहरादून के एक संस्थान में कराया गया था। लेकिन, तबीयत बिगड़ने पर वह अपनी होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई।

अजय ने बताया अंकिता को घर में सभी प्यार से साक्षी पुकारते थे। साक्षी सबकी लाडली थी, वह अपने पैरों पर खड़ी होकर परिवार का सबंल बनना चाहती थी। वह आखिरी बार अप्रैल में होली पर घर आया था।

तब सभी एक साथ घर में थे। अंकिता की ऋषिकेश में नौकरी लगने के बाद प्रत्येक दिन घर से माता-पिता, ऋषिकेश से अंकिता और दिल्ली से वह कान्फ्रेंसिंग के जरिये जुड़कर बात करते थे। आखिरी बार उनकी 17 सितंबर को कान्फ्रेंसिंग के जरिये बात हुई थी।

दिल्‍ली से कुरियर से कपड़े भेजता था भाई 

अजय बताते हैं कि साक्षी को नए कपड़े पहनने का बड़ा शौक था, सो वह स्वयं उसके लिए कुरियर से कपड़े खरीदकर भेजता था। इस रक्षाबंधन पर उसने अंकिता को नहीं बताया कि उसे क्या गिफ्ट दे रहा है। अंकिता ने कुरियर से राखी भेजी थी, जबकि अजय ने दिल्ली से सरप्राइज गिफ्ट के रूप में अंकिता के लिए उसके पसंदीदा रंग का टाप और जींस भेजी थी, जिसे पाकर अंकिता बेहद खुश थी।

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आंसू पोंछते हुए कलाई पर बंधी राखी को निहारते हुए रुंधे गले से अजय ने कहा कि अंकिता की अब आखिरी निशानी उसके पास यह राखी ही रह गई है। इस राखी को वह अब हमेशा अंकिता की याद के तौर पर अपने पास सुरक्षित रखेगा।

मां को बार-बार आ रही बेहोशी, पिता को चक्कर

अंकिता की हत्या की खबर सुनने के बाद से उसकी मां सोनी देवी सुध-बुध खो बैठी है। घर में लगातार रिश्तेदार और ग्रामीण सांत्वना देने के लिए पहुंच रहे हैं। मां कुछ देर होश संभालकर थोड़ा बातचीत कर लेती है, मगर अगले ही पल फिर बेहोश हो जाती है। उन्हें बड़ी मुश्किल से पानी और दाल का पानी पीने को दिया जा रहा है।

बेटी के पार्थिव शरीर को अपनी आंखों से देख चुके पिता वीरेंद्र सिंह को तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि अंकिता अब इस दुनिया में नहीं है।

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अंकिता की हत्या के बाद वह अपने स्वभाव से अधिक बातें कर रहे हैं, खाने के नाम पर उन्होंने अब तक रोटी के कुछ कौर ही तोड़े हैं। इससे उन्हें कमजोरी के कारण चक्कर आ रहे हैं। अजय किसी तरह मां और पिता को संभाल रहा है। वहीं, घर में 80-वर्षीय दादी सरती देवी का भी रो-रोकर बुरा हाल है।

अंकिता के घर में नहीं जला चूल्हा

अंकिता की अंत्येष्टि के बाद जब से परिवार अपने घर पहुंचा, तब से वहां चूल्हा नहीं जला। परिवार के सभी सदस्यों का खाना अंकिता के चाचा-ताऊ के घर में बन रहा है। घर में आने-जाने वालों का ऐसा तांता लगा है कि यह क्रम टूटने का नाम ही नहीं ले रहा।

घर बनाने के लिए जमा किए थे पत्थर

इंटरमीडिएट करने के बाद अजय सीए की परीक्षा पास कर अब इंटर्नशिप कर रहा है। अंकिता भी अपने पैरों पर खड़े होने के लिए घर से शहर आ चुकी थी। दोनों भाई-बहन का सपना गांव में नया घर बनाने का था। इसके लिए अंकिता के माता-पिता ने घर में पत्थर जोड़ने भी शुरू कर दिए थे।

अजय ने बताया कि जब माता-पिता पत्थर इकट्ठे करने जाते थे तो अंकिता भी जिद करती थी। मगर, मां उसे यह कहकर घर में रोक देती थी कि वह उनके लिए खाना तैयार करे, पत्थर वह स्वयं ले आएंगे।

अंकिता के पिता को दी एक लाख की मदद

जिला पंचायत सदस्य श्यामपुर संजीव कंडवाल व गुमानीवाला ऋषिकेश के व्यवसायी कैलाश सेमवाल ने अंकिता के घर पहुंचकर स्वजन को सांत्वना दी। उन्होंने अंकिता के पिता को एक लाख रुपये की आर्थिक मदद का चैक प्रदान किया।

संजीव चौहान ने बताया कि अंकिता के परिवार को आगे भी जिस तरह की मदद की जरूरत होगी, वह प्रदान करेंगे। उन्होंने अंकिता के हत्यारोपितों को फांसी की सजा देने की मांग की।


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