आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं ने मांगों को लेकर किया प्रदर्शन, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजा पत्र
अखिल भारतीय आंगनबाड़ी कार्यकत्री सेविका-सहायिका फेडरेशन के आह्वान पर सीटू से संबद्ध आंगनबाड़ी कार्यकत्री सेविका कर्मचारी यूनियन ने जिला मुख्यालय में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने 21 हजार प्रतिमाह मानदेय बीमा लाभ कोरोनाकाल में सेवा के लिए सुरक्षा किट उपलब्ध कराने की मांग की।
जागरण संवाददाता, देहरादून। अखिल भारतीय आंगनबाड़ी कार्यकत्री सेविका-सहायिका फेडरेशन के आह्वान पर सीटू से संबद्ध आंगनबाड़ी कार्यकत्री, सेविका कर्मचारी यूनियन ने जिला मुख्यालय में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने 21 हजार प्रतिमाह मानदेय, बीमा लाभ, कोरोनाकाल में सेवा के लिए सुरक्षा किट उपलब्ध कराने की मांग की। आगंबनाड़ी कार्यकर्त्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को भी पत्र भेजा। चेतावनी दी कि यदि शीघ्र मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
शुक्रवार को सीटू के जिला महामंत्री लेखराज और यूनियन की प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष जानकी चौहान के नेतृत्व में आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची। यहां उन्होंने मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट कुसुम चौहान के माध्यम से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र भेजा। सीटू के जिला महामंत्री लेखराज ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता इस मुश्किल दौर में भी काम कर रहीं हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है।
प्रतिमाह उनका मानदेय न्यूनतम 21000 रुपये किया जाए। इसके अलावा 50 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा करने, बीमार पड़ने पर निश्शुल्क इलाज की व्यवस्था की जाए। यूनियन की प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष जानकी चौहान ने कहा कि कोरोनाकाल में आंबनबाड़ी कार्यकर्त्ता लगातार सेवाएं दे रही हैं, लेकिन इसके बाद भी उन्हें पीपीई किट, मास्क, सैनिटाइजर आदि उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों में बुनियादी सुविधा के लिए फर्नीचर, खेल के लिए खिलौने, बच्चों की यूनिफार्म, बस्ता, किताबें उपलब्ध कराई जाएं। उन्हें कर्मचारी घोषित किया जाए। 45वें श्रम सम्मेलन की शिफारिशों को लागू किया जाए। यूनियन की महामंत्री रजनी गुलेरिया ने सरकार से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को वापस लेने की मांग की। इस मौके पर यूनियन की जिला अध्यक्ष ज्योतिका पांडेय ने कहा कि हड़ताल के दौरान का काटा गया मानदेय शीघ्र दिया जाए। इस मौके पर भगवंत पयाल, रविंद्र नौडियाल, मीनू, कांता भट्ट, शोभा, रचना, गीता, सुषमा देवी आदि मौजूद रहे।
आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता व सहायिका को हर माह मिले मानदेय
कोरोनाकाल में लगातार सेवाएं दे रहीं राज्यभर की आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं और सहायिका को हर माह मानदेय भुगतान नहीं हो रहा है। जिससे उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से हर महीने की सात तारीख से पहले मानदेय जारी करने की मांग की है। विभागीय मंत्री ने भी इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए थे, लेकिन स्थिति जस की तस है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता, सहायिका को केंद्र और राज्य सरकार की ओर से मानदेय जारी होता है। इनमें कार्यकर्त्ता को 3000 राज्य और 4500 केंद्र सरकार देती है, जबकि सहायिका को राज्य व केंद्र से क्रमश: 1500 और 2250 मिलता है। लेकिन लंबे समय से मानदेय महीने में न मिलने से ये परेशान हैं।
हर महीने जब आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता व सहायिका अपने खाते की पासबुक एंट्री करवाती हैं तो उसमें महीनेवार वेतन का जिक्र नहीं होता, जिससे इन्हें यह पता नहीं चलता कि किस महीने का मानदेय भुगतान हुआ और किस महीने का लंबित है। आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता/सेविका/मिनी कर्मचारी संगठन की प्रदेश अध्यक्ष रेखा नेगी ने कहा कि हर महीने का वेतन ब्लाक स्तर पर जारी होता है, जिसे सुपरवाइजर वेरिफाई करने के बाद ट्रेजरी में एक साथ एस्टीमेट बनाते हैं और उनके एकाउंट में डालते हैं। लेकिन यहां कई बार चार महीने का वेतन एक साथ आता है। आंगनबाड़ी कार्यकत्री, सेविका कर्मचारी यूनियन की प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष जानकी चौहान का कहना है कि इस समस्या को लेकर विभागीय अधिकारियों से लेकर मंत्री के संज्ञान में लाया गया, लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
उत्तराखंड की बात करें तो यहां 20,068 बड़े, जबकि 5140 मिनी मिनी आंगनबाड़ी केंद्र हैं। जिनमें करीब 45 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता और सहायिका कार्यरत हैं। इनमें से 25 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता कोरोना की दूसरी लहर में घरों में जाकर प्रवासियों की जानकारी जुटाने के साथ ही संक्रमित का स्वास्थ्य रिपोर्ट हर दिन विभाग को उपलब्ध करवा रही हैं।
आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं की प्रमुख मांगें
- प्रतिमाह न्यूनतम वेतन 21000 रुपये और पेंशन पांच हजार की जाए
- आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी स्कूल करने की प्रक्रिया को समाप्त किया जाए
- महामारी भत्ता 10 हजार प्रतिमाह, संक्रमण से मृत्यु होने पर 10 लाख और संक्रमण होने पर परिवार का निश्शुल्क इलाज किया जाए
- 50 लाख रुपये तक का जीवन बीमा हो, कार्यकर्त्ताओं की बेटियों को भी नंदा गौरा का धन लाभ मिले।
- पूर्व में हड़ताल के समय का काटा मानदेय शीघ्र जारी हो
- आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी केंद्र और मिनी केंद्र को पूर्ण केंद्र का दर्जा दिया जाए
- आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं ने किया प्रदर्शन, कहा हर माह मिले मानदेय।
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