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दुर्घटना के मामले में नियम हुए सख्त, अब पल्ला नहीं छुड़ा सकेगी पुलिस

परिवहन विभाग ने अब दुर्घटना के मामलों में नियमों को सख्त करते हुए पुलिस की जिम्मेदारी भी बढ़ा दी है। अब दुर्घटना के मामलों में पुलिस को समय से जांच करनी होगी।

By Edited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 08:47 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 11:34 AM (IST)
दुर्घटना के मामले में नियम हुए सख्त, अब पल्ला नहीं छुड़ा सकेगी पुलिस
दुर्घटना के मामले में नियम हुए सख्त, अब पल्ला नहीं छुड़ा सकेगी पुलिस

देहरादून, राज्य ब्यूरो। परिवहन विभाग ने अब दुर्घटना के मामलों में नियमों को सख्त करते हुए पुलिस की जिम्मेदारी भी बढ़ा दी है। अब दुर्घटना के मामलों में पुलिस को समय से जांच करने के साथ ही दावे की रिपोर्ट अनिवार्य रूप से दावा अभिकरण के समक्ष सौंपने का प्रावधान किया गया है। इतना ही नहीं दुर्घटना में शामिल वाहन को तब तक नहीं छोड़ा जाएगा, जब तक प्रतिकर का भुगतान नहीं हो जाता। बीमा पॉलिसी के नकली पाए जाने की स्थिति में वाहन को नीलाम कर यह राशि दावा अभिकरण को दावे में मामले में प्रतिकर देने के लिए जमा की जाएगी। अभी तक पुलिस दावा अभिकरण के मांगने पर ही रिपोर्ट देती थी। शासन ने इसके लिए उत्तराखंड परिवहन मोटरयान नियमावली में संशोधन कर दिया है।

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परिवहन विभाग ने कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार नियमावली तैयार कर इसमें संशोधन किया है। संशोधित नियमावली में यह स्पष्ट किया गया है कि वाहन दुर्घटना सूचना मिलने अथवा प्रथम सूचना रिपोर्ट के लिए अलग रजिस्टर बनाया जाएगा। इसमें वाहन दुर्घटनाओं के मामलों को शामिल किया जाएगा। पुलिस द्वारा नामित जांच अधिकारी दुर्घटना स्थल से काम करना शुरू करेगा। इसके लिए गवाहों के बयान लेने के साथ ही दुर्घटना में शामिल वाहनों की जानकारी लेगा।

वह दुर्घटना स्थल के सभी कोणों की फोटोग्राफी भी सुनिश्चित कराएगा। दुर्घटना में मृत्यु होने के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी दावा अभिकरण को प्रस्तुत की जाएगी। पुलिस को बीमा कंपनियों के मांगने पर भी ये सारे दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। जांच अधिकारी दुर्घटना में शामिल वाहन के सभी दस्तावेज एकत्र करेगा और उनकी फोटोकॉपी अपने पास रखेगा। घायल अथवा मृतक व्यक्ति के परिजनों द्वारा दावा अभिकरण के सामने उपस्थित न होने पर वाद सीधे बंद नहीं किया जाएगा पहले यह प्रयास किया जाएगा कि उन्हें इसके लिए बुलाया जाए। 

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नियमावली में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कोई भी न्यायालय दुर्घटना में मृत्यु अथवा विकलांगता का कारण बनने वाले वाहन को अवमुक्त नहीं कर सकेगा, यदि उसके पास थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नहीं है। ऐसे वाहनों को तभी छोड़ा जाएगा जब वाहन स्वामी ऐसे मामलों में उचित मुआवजा राशि जमा कराएगा। यदि वाहन बीमा में थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नहीं है या बीमा नकली है तो वाहन नीलाम कर दिया जाएगा। इस नियमावली को तैयार करने के बाद  इसमें आपत्तियां आमंत्रित की गई थीं। अब शासन ने इस संबंध में अंतिम अधिसूचना जारी कर दी है। 

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