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वन विभाग में नियमित कर्मचारियों ने लगाया भेदभाव का आरोप

वन विभाग में नियमित कर्मचारियों ने भेदभाव का आरोप लगाया है। साथ ही वरिष्ठता के आधार पर नियमित कार्मिकों को भवन आवंटन की मांग की है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 01:30 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 01:30 PM (IST)
वन विभाग में नियमित कर्मचारियों ने लगाया भेदभाव का आरोप
वन विभाग में नियमित कर्मचारियों ने लगाया भेदभाव का आरोप

देहरादून, जेएनएन। वन विभाग में नियमित कर्मचारियों ने भेदभाव का आरोप लगाया है। साथ ही वरिष्ठता के आधार पर नियमित कार्मिकों को भवन आवंटन की मांग की है। जिस पर मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

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मंगलवार को वन मुख्यालय स्थित मंथन सभागार में भवन आवंटन समिति की ओर से बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें विभाग के कर्मचारियों को आमंत्रित कर उनकी समस्याएं सुनी गईं। उत्तरांचल फॉरेस्ट मिनिस्टीरियल एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष विरेंद्र सिंह बत्र्वाल ने बताया कि समिति के अध्यक्ष के समक्ष नियमित कर्मचारियों की दिक्कतें रखीं गईं। 

बताया कि नियमित कर्मियों के साथ भेदभाव कर आउट सोर्स और दैनिक श्रमिकों को सुविधाओं का लाभ दिया जा रहा है। जिससे नियमित कर्मी सुविधा से वंचित रहने के साथ ही उपेक्षा महसूस कर रहे हैं। बताया कि समिति के सचिव को एसोसिएशन की ओर से ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें बताया कि राजकीय आवासों का आवंटन कार्मिकों की मांग के अनुरूप वरिष्ठता क्रम में प्राथमिकता के आधार पर स्थायी अधिष्ठान के कार्मिकों को किया जाए। 

आरोप लगाया कि विभाग में उपनल, पीआरडी व अन्य दैनिक श्रमिकों को आवास आवंटित किए जा रहे हैं। पात्र कार्मिकों को सुविधा का लाभ नहीं दिया जा रहा है। मांग की कि स्थायी अधिष्ठान के कार्मिकों को आवास आवंटित करने के पश्चात जो भवन रिक्त रहते हैं, उन्हें आउट सोर्स के कार्मिकों को आवंटित किया जाए। इसके अलावा उन्होंने सेवानिवृत्त कार्मिकों से राजकीय आवास निर्धारित समय में खाली कराया जाए। 

देखने में आया है कि सेवानिवृत्ति के बावजूद आवास खाली नहीं किए जा रहे हैं। जिससे अन्य कर्मचारियों को दिक्कतें हो रही है। मांग की है कि सरकारी आवास खाली करने के बाद ही पूर्व कार्मिक को ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाए। इस पर समिति के अध्यक्ष ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। इस दौरान वन विभाग चालक संघ और अन्य संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहे।

पेयजल निगम कर्मचारियों को तीन माह से नहीं मिला वेतन

पेयजल निगम के कर्मचारियों को बीते तीन माह में वेतन नहीं मिला है। ऐसे में उत्तराखंड पेयजल निगम कर्मचारी महासंघ ने निगम प्रबंधन से शीघ्र वेतन का भुगतान करने की मांग की है। ऐसा न होने पर आंदोलन की भी चेतावनी दी गई है। महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष विजय खाली ने बताया कि मंगलवार को महासंघ की ऑनलाइन बैठक आयोजित की गई, जिसमें कार्मिकों की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा हुई। 

बताया कि निगम में तीन माह से वेतन न मिलने के कारण कर्मचारियों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। यहां तक कि कर्मचारी खुद या परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उपचार तक नहीं करा पा रहे हैं। महासंघ ने समय पर वेतन न मिल पाने का ठीकरा निगम प्रबंधन पर फोड़ते हुए तानाशाही का आरोप लगाया। 

महासंघ के प्रांतीय महामंत्री धमेंद्र चौधरी ने कहा कि रक्षा बंधन का त्योहार निकट है और कार्मिकों की आर्थिक स्थिति डामाडोल है। जल्द ही वेतन का भुगतान नहीं किया गया तो प्रदेशभर में आंदोलन किया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने निगम की अधिकांश शाखाओं में रिक्त पड़े लेखाकार के पदों पर भर्ती की भी मांग की। 

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महासंघ के प्रांतीय संरक्षक प्रवीन रावत ने कहा कि पेयजल निगम में यह बेहद आम बात हो गई है कि त्योहारों के दौरान भी कार्मिकों को वेतन का भुगतान नहीं किया जाता। बैठक ने पंकज मातरेलिया, नवीन थापा, गौरव बर्त्‍वाल, भगवती पोखरियाल, कुशाल राणा, नीलम मैखुरी, श्वेता आगरी, प्रदीप कठैत आदि उपस्थित थे।

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