त्रियुगीनारायण में हो सकती है आकाश अंबानी के विवाह की कुछ रस्में
उद्योगपति मुकेश अंबानी के बडे बेटे आकाश अंबानी और हीरा कारोबारी रसेल मेहता की छोटी बेटी श्लोका रुद्रप्रयाग के त्रियुगी नारायण मंदिर में अपनी शादी की रस्में पूरी कर सकते हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: मध्य हिमालय में स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर में उद्योगपति मुकेश अंबानी अपने बड़े बेटे आकाश के विवाह की कुछ रस्म पूरी कर सकते हैं। चर्चा है कि त्रियुगी नारायण में सीमित व्यवस्थाओं को देखते हुए यहां केवल जयमाला का कार्यक्रम हो सकता है। यह बहुप्रतीक्षित विवाह दिसंबर में होना है।
श्लोका ने जताई है इच्छा
अखंड सौभाग्य के प्रतीक त्रियुगी नारायण के महत्व को देखते हुए अंबानी परिवार की बहू बनने जा रही श्लोका ने त्रियुगीनारायण में विवाह की किसी रस्म की इच्छा जताई है। यह भी बताया जा रहा कि श्लोका के पिता उद्योगपति रसेल मेहता के पार्टनर अनिरुद्ध देशपांडे ने भी त्रियुगी नारायण में विवाह की किसी रस्म का सुझाव दिया था। चूंकि, प्रदेश सरकार त्रियुगी नारायण को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित कर रही है तो ऐसे में इस हाईप्रोफाइल शादी की कोई रस्म इसे आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगी। माना जा रहा कि त्रियुगी नारायण में सीमित व्यवस्थाओं को देखते हुए वहां केवल जयमाला का कार्यक्रम हो सकता है।
रिलायंस ग्रुप की टीम पहुंची थी त्रियुगीनारायण
त्रियुगीनारायण मंदिर में पांच दिन पूर्व रिलायंस ग्रुप की चार-सदस्यीय टीम पहुंची थी। उसने यहां मंदिर की लोकेशन और गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) के बंगले का निरीक्षण कर आवश्यक जानकारियां लीं। त्रियुगीनारायण मंदिर के तीर्थपुरोहित राजेश भट्ट ने बताया कि रिलायंस ग्रुप की यह टीम स्थानीय तीर्थ पुरोहितों में से किसी को भी नहीं मिली और एक दिन विश्राम करने के बाद वापस लौट गई। उधर, मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार केएस पंवार ने बताया कि अभी मुकेश अंबानी के पुत्र की शादी त्रियुगीनारायण मंदिर में कराने पर कोई फैसला नहीं हुआ है। यह जरूर है कि प्रदेश सरकार की ओर से अंबानी परिवार को यहां शादी कराने का न्योता दिया जा रहा है।
इन प्रमुख हस्तियों की हुई यहां शादी
- टीवी कलाकार कविता कौशिक
- उत्तराखंड के राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत
- उत्तराखंड के पहले बैच के पीसीएस टॉपर ललित मोहन रयाल व रश्मि रयाल
- आइएएस अपर्णा गौतम
त्रियुगीनारायण मंदिर का माहात्म्य
मान्यता है कि उच्च हिमालय की तलहटी में समुद्रतल से 9000 फीट की ऊंचाई पर स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यहां शिव-पार्वती ने जिस अग्निकुंड को साक्षी मानकर सात फेरे लिए थे, उसमें तीन युगों से निरंतर अग्नि प्रज्ज्वलित हो रही है। इसीलिए इस मंदिर का नाम त्रियुगी हो गया।
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