संतान की समृद्धि को माताएं रखेंगी अहोई अष्टमी का व्रत, राशि अनुसार करें पूजा
शास्त्रों के अनुसार अहोई अष्टमी के पर्व और व्रत का संबंध माता गौरी के अहोई स्वरूप है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना के लिए व्रत रखती हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी यानि की बुधवार को अहोई अष्टमी पर्व मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार अहोई अष्टमी के पर्व और व्रत का संबंध माता गौरी के अहोई स्वरूप है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना के लिए व्रत रखती हैं। शाम को तारों को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है।
ज्योतिषाचार्य आचार्य डॉ. सुशांत राज के अनुसार अष्टमी तिथि बुधवार को सुबह 11:09 बजे से रात 9:10 बजे तक होगी। बताया कि इस बार चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होगा और कर्क राशि में गोचर करेगा। बताया कि राशि अनुसार व्रत पर पूजा करने का विशेष लाभ मिलेगा।
राशि अनुसार करें व्रत पर पूजा
- मेष : इस राशि में चंद्रमा का चौथा गोचर होगा, जिससे सुख की वृद्धि होगी। इसके लिए पूजा में सिंदूर अवश्य चढ़ाएं।
- वृष : चंद्रमा का तीसरा गोचर होने के कारण संकल्प शक्ति बढ़ाएगा। इसलिए भगवान शिव को सफेद चंदन अर्पित करें।
- मिथुन : तीसरा गोचर होने के कारण बेहतर स्वास्थ्य के लिए फल का भोग लगाएं।
- कर्क : चंद्रमा का पहला गोचर होगा, इस कारण बेहतर स्वास्थ्य के लिए फल का भोग लगाएं।
- सिंह : बारहवां गोचर होने के कारण रोग भय होगा, इसके लिए व्रत के दौरान महामृत्युंजय की एक माला का जाप अवश्य करें।
- कन्या : चंद्रमा का ग्यारहवां गोचर होने के कारण आजवीन लाभ के लिए माता पार्वती को सफेद पुष्प की माला अर्पित करें।
- तुला : दसवां गोचर होने के कारण कामकाजी महिलाओं को कार्यक्षेत्र में बरकत के लिए यथाशक्ति श्रृंगार सामग्री अर्पित करनी चाहिए।
- वृश्चिक : नवां गोचर होने के कारण धर्म की वृद्धि के लिए स्वयं के साथ दूसरों को भी व्रत की कथा सुनाएं।
- धनु : आठवां गोचर होने के कारण मन में व्याकुलता बनी रहेगी। भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र का जप करें।
- मकर : सातवां गोचर होने के कारण सांसारिक सुखों की कामना होगी। ऐसे में अहोई माता को घर में बना हुआ मीठा पकवान या खीर अर्पित करें।
- कुंभ : छठा गोचर होने के कारण शत्रुओं या विपत्तियों पर विजय प्राप्त करने के लिए आलता अर्पित करें
- मीन : पंचम गोचर होने के कारण पाप के नाश और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए सिंदूर अर्पित करें।
शुभ मुहूर्त
- अहोई पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5:32 से 6:51 बजे तक
- तारों को देखने का समय शाम 6:01 बजे
- पूजा की अवधि-1 घंटा 18 मिनट
- चंद्रोदय का समय-रात 11:50 बजे
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