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उत्तराखंड में पीकेवीवीई की तीन योजनाओं में 149 करोड़ की मंजूरी, पढ़िए पूरी खबर

पीकेवीवाई के तहत राज्य में वर्षा आधारित क्षेत्र विकास मृदा स्वास्थ्य कार्ड और परंपरागत कृषि विकास की 149 करोड़ की कार्ययोजनाओं को मंजूरी दे दी गई है।

By Edited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 08:40 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 02:32 PM (IST)
उत्तराखंड में पीकेवीवीई की तीन योजनाओं में 149 करोड़ की मंजूरी, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड में पीकेवीवीई की तीन योजनाओं में 149 करोड़ की मंजूरी, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, राज्य ब्यूरो। परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के तहत राज्य में वर्षा आधारित क्षेत्र विकास, मृदा स्वास्थ्य कार्ड और परंपरागत कृषि विकास की 149 करोड़ की कार्ययोजनाओं को मंजूरी दे दी गई है। कृषि और उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में हुई सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन की समीक्षा बैठक के दौरान यह जानकारी दी गई। बताया गया कि वर्ष 2018-19 से 3900 क्लस्टर वाली पीकेवीवाई में कृषि, उद्यान, रेशम, कैप और जैविक उत्पाद परिषद कार्य कर रहे हैं। 

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इस मौके पर कृषि मंत्री उनियाल ने पीकेवीवाई की गाइडलाइन के अनुसार जैविक उत्पादों के विपणन के लिए चारधाम यात्रा मार्गों और पर्यटक स्थलों पर रिटेल आउटलेट खोलने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए। कृषि और उद्यान मंत्री उनियाल ने बताया कि सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन का मकसद स्थान विशेष की आवश्यकतानुसार एकीकृत फसल पद्धति, जल संरक्षण और मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के जरिये मृदा पोषक तत्व प्रबंधन, जल उपयोग दक्षता और कृषि विविधीकरण से कृषि को अधिक उत्पादक और लाभकारी बनाना है। 
अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि मिशन की गाइडलाइन के अनुसार ही कदम उठाए जाएं। बैठक में वर्षा आधारित क्षेत्र विकास की कार्ययोजना में बताया गया कि 2019-20 में 52 क्लस्टर स्वीकृत किए गए थे, जिनमें से 16 पूरे कर लिए गए हैं। शेष 36 के अलावा चालू वित्त वर्ष के लिए 22 क्लस्टर का चयन किया गया है। इन 58 क्लस्टर्स की कार्ययोजना 11.03 करोड़ की है। 
घाटीवार चयनित हों क्लस्टर कृषि मंत्री ने एकीकृत फसल प्रणाली की कार्ययोजना को डेयरी, पशुपालन, मत्स्य पालन, उद्यान और वानिकी विभाग के सहयोग से तैयार कर सीडीओ से अनुमोदित कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि क्लस्टर का चयन घाटीवार हो, ताकि क्षेत्र विशेष की फसल को बढ़ावा देने के साथ ही उत्पादकता में वृद्धि हो और किसानों की आय भी बढ़ सके। बैठक में बताया गया कि जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता वाली समिति के अनुमोदन के बाद ही कार्ययोजनाएं प्रस्तावित की जाती हैं।

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