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तीर्थनगरी में फिर घाट से दूर हुई गंगा की धारा, पढ़िए पूरी खबर

गंगा यमुना और सरस्वती का संगम कहे जाने वाले त्रिवेणी घाट पर मानसून काल को छोड़कर शेष अवधि में गंगा पक्के घाट से करीब सौ मीटर दूर चली जाती है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 05:51 PM (IST)Updated: Sun, 27 Oct 2019 10:06 PM (IST)
तीर्थनगरी में फिर घाट से दूर हुई गंगा की धारा, पढ़िए पूरी खबर
तीर्थनगरी में फिर घाट से दूर हुई गंगा की धारा, पढ़िए पूरी खबर

ऋषिकेश, जेएनएन। त्रिवेणी घाट को तीर्थनगरी की हृदयस्थली कहा जाता है। गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम कहे जाने वाले त्रिवेणी घाट पर मानसून काल को छोड़कर शेष अवधि में गंगा पक्के घाट से करीब सौ मीटर दूर चली जाती है। इससे त्रिवेणी घाट अपना आकर्षण ही खो देता है। त्रिवेणी घाट का विकास हरकी पैड़ी की तर्ज पर करने और गंगा की जलधारा को स्थायी रूप से घाट पर लाने के लिए तमाम घोषणाएं तो हुईं, मगर अभी तक इन्हें अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है।

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सिंचाई विभाग निर्माण खंड ऋषिकेश की ओर से गंगा की धारा को स्थायी रूप से पक्के घाट तक लाने के लिए कई बार विभाग मुख्यालय और शासन को लिखा गया। तीन वर्ष पूर्व जल विज्ञान अनुसंधान केंद्र बहादराबाद ने इस पर सर्वे किया। इस दौरान यहां अट्रेक्ट स्पर के जरिये गंगा में दीवार बनाए जाने की संभावनाएं तलाशी गईं। इसका जो मॉडल बनाया गया, उसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए थे। मगर, अभी तक विभागीय स्तर से इस योजना को स्वीकृति नहीं मिल पाई है। अब कुंभ मेले में इस योजना को शामिल किया गया है। मेलाधिकारी दीपक रावत योजना का स्थलीय निरीक्षण करने के साथ वर्ष 2021 तक इसे अमलीजामा पहनाने की बात भी कह चुके हैं। हालांकि, धरातल पर अभी कोई पहल नहीं हुई है।

दो धाराओं के कारण बढ़ते हैं हादसे

त्रिवेणी घाट में ग्रीष्मकाल और शीतकाल के दौरान जल स्तर घट जाता है। ऐसे में स्थानीय लोग उप धारा में स्नान करते हैं, लेकिन अन्य प्रांतों से आने वाले श्रद्धालु मुख्य धारा तक पहुंचने के लिए टापू तक पहुंच जाते हैं। दोपहर में टिहरी बांध से जब पानी छोड़ा जाता है तो मुख्य धारा और उप धारा का जलस्तर अचानक बढ़ जाता है। नतीजा कई लोग डूबने की स्थिति में आ जाते हैं और कई टापू में फंस जाते हैं। यहां तैनात जल पुलिस की टीम रेस्क्यू चलाकर कई लोगों को बचा चुकी है।

सात पूर्व मुख्यमंत्री कर चुके हैं घोषणा

त्रिवेणी घाट को हरकी पैड़ी की तर्ज पर विकसित करने की स्थानीय नेता ही नहीं, स्वयं मुख्यमंत्री भी बड़े मंचों से घोषणा कर चुके हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को छोड़ दें तो पूर्व मुख्यमंत्री स्व.नित्यानंद स्वामी, भगत सिंह कोश्यारी, स्व.नारायण दत्त तिवारी, भुवनचंद्र खंडूड़ी, रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा और हरीश रावत कई बार इस तरह की घोषणाएं कर चुके हैं। फिर भी योजना धरातल पर नहीं उतरी।

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अनीता ममगाईं (महापौर, नगर निगम, ऋषिकेश) का कहना है कि गंगा की धारा को पक्के घाट पर लाना हमारे संकल्प में शामिल है। उम्मीद है कि जल्द ही गंगा की धारा को घाट पर लाने की योजना पर काम शुरू हो जाएगा। 

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