आपदा के बाद अपनों से मिलने की आस में रैणी गांव पहुंचे कई राज्यों के स्वजन
विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में तपोवन व रैणी गांव पहुंचे लापता व्यक्तियों के स्वजनों ने अब भी अपनों के मिलने की आस नहीं छोड़ी है। तबाही के चार दिन बाद भी उनकी निगाहें ऋषिगंगा व धौलीगंगा नदी के मलबे पर टिकी हुई हैं।
तपोवन से बृजेश भट्ट: विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में तपोवन व रैणी गांव पहुंचे लापता व्यक्तियों के स्वजनों ने अब भी अपनों के मिलने की आस नहीं छोड़ी है। तबाही के चार दिन बाद भी उनकी निगाहें ऋषिगंगा व धौलीगंगा नदी के मलबे पर टिकी हुई हैं। स्वजन मलबे को धीमी गति से हटाए जाने से भी बेचैन हैं। वे कहते हैं कि प्रशासन अगर तेजी से मलबा हटाने का कार्य करता तो कई लापता व्यक्तियों की जान बचाई जा सकती थी।
बीती सात फरवरी को ऋषिगंगा व धौलीगंगा नदी में आए सैलाब के बाद लापता व्यक्तियों के स्वजन बड़ी तादाद में तपोवन व रैणी गांव पहुंच चुके हैं। हर पल उनकी टकटकी वहां हो रहे राहत व बचाव कार्यो पर लगी रहती है। जेसीबी से जैसे ही मलबा हटाया जाता है, उनके मन में उम्मीद की एक लौ जलती है और फिर वही निराशा..। इसी आस में कई लोग तो रैणी व तपोवन में सड़क पर ही रात गुजार रहे हैं। हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन पर समय बीतने के साथ निराशा हावी होती जा रही है। सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) से आए नशीम के दो भाई सैलाब आने के बाद से लापता हैं। दोनो ऋषिगंगा प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे थे। बकौल नशीम, ‘अभी तक दोनों के बारे में कोई सूचना नहीं है। सामने पसरे लाखों टन मलबे को देखकर तो यहां किसी के भी जिंदा होने की उम्मीद नजर नहीं आती है। मलबा हटाने का कार्य भी बेहद धीमी गति से चल रहा है।’ सहारपुर के ही दिलशाद के चाचा भी रविवार से लापता है। वह उसी दिन रैणी पहुंच गया था, लेकिन अभी तक चाचा के बारे में कुछ पता नहीं चला। बकौल दिलशाद, ‘परिवार में कोहराम मचा हुआ है।
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घर में एकमात्र चाचा ही कमाने वाले थे। चाची व उनके दो बच्चों का अब कोई सहारा न रहा।’ कुरुक्षेत्र (हरियाणा) के संदीप ने बताया कि उसका भाई भी ऋषिगंगा प्रोजेक्ट पर काम करता था। तबाही के बाद से उसका कुछ पता नहीं है। ऐसे बीसियों लोग हैं, जो अपनों के मिलने की उम्मीद में रैणी व तपोवन में भटक रहे हैं। वहीं, जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया का कहना है कि बाहर से आने वाले स्वजनों के खाने-ठहरने की व्यवस्था प्रशासन की ओर से की जा रही है। उनकी मदद करने का प्रयास किया जा रहा है।तबाही के चार दिन बाद भी रैणी व तपोवन में भटक रहे लापता व्यक्तियों के स्वजन, मलबा धीमी गति से हटाए जाने से बेचैन हैं।
अपनों को खोने वालों के सब्र का बांध टूटा
जोशीमठ: अपनों की तलाश में आपदा प्रभावित क्षेत्र पहुंचे स्वजनों का सब्र टूटने लगा है। चार दिन से अपनों का कोई सुराग न मिलने से आक्रोशित खफा कुछ व्यक्तियों ने बुधवार को तपोवन में एनटीपीसी के खिलाफ प्रदर्शन किया। आक्रोशितों का कहना था कि तकनीकी की कमी के कारण सुरंग में फंसे व्यक्तियों को अभी तक रेस्क्यू नहीं किया जा सका है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। उन्होंने प्रशासन से राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लाने की मांग उठाई। उनका यह भी कहना था कि लापता व्यक्तियों के स्वजन रविवार से तपोवन में डेरा डाले हुए हैं। लेकिन, उन्हें कोई भी सही-सही जानकारी देने को तैयार नहीं है। आखिर क्यों उन्हें अंधेरे में रखा जा रहा है। क्यों रेस्क्यू की गति इतनी धीमी है। प्रदर्शन करने वालों में महावीर सिंह, भगत बिष्ट,गब्बर सिंह, राकेश सिंह समेत कई लोग शामिल थे।
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