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प्रबंधन और जागरूकता से कम होगा आपदा का असर

एसडीआरएफ के आइजी संजय गुंज्याल का कहना है कि आपदा प्राकृतिक हो या फिर किसी भी तरह की इसका असर सिर्फ प्रबंधन और जागरूकता से कम होगा। आपदा का असर

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 04:09 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 04:09 PM (IST)
प्रबंधन और जागरूकता से कम होगा आपदा का असर
प्रबंधन और जागरूकता से कम होगा आपदा का असर

देहरादून, [जेएनएन]: बाढ़, भूस्खलन, भूकंप और सड़क दुर्घटना जैसी आपदाओं के लिहाज से उत्तराखंड अधिक संवेदनशील है। यहां आने वाली प्राकृतिक आपदाएं हर साल मानव जीवन पर भारी पड़ती हैं। ऐसे में जरूरी है कि समय पर प्रबंधन, प्रशिक्षण और जागरूकता से आपदा के असर को कम किया जाए। इसमें सरकार को आपदा प्रबंधन विषय को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करना होगा। ताकि आपदा के कारण और बचाव को लेकर हर नागरिक जागरूक हो सके। 

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स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (एसडीआरएफ) के आइजी संजय गुंज्याल का कहना है कि आपदा प्राकृतिक हो या फिर मानवजनित, इसमें सबसे ज्यादा जरूरत प्रबंधन और प्रशिक्षण की होती है। अभी तक स्थानीय पुलिस की भूमिका हर तरह की आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण रही है। ऐसे में ज्यादा ट्रेनिंग पर ध्यान देने की जरूरत है। 

इसे लेकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट (एनआइएमडी) सभी संस्थानों को तैयार कर रहा है। मगर, उत्तराखंड में एसडीआरएफ आपदा प्रबंधन को लेकर जागरूकता और प्रशिक्षण पर जोर दे रही है। इसके लिए समुदाय के साथ आपदा प्रबंधन से जुड़े विभागों को प्रशिक्षित करने के साथ ही क्षमता विकास पर ध्यान देने की जरूरत है। खासकर स्कूलों, समुदाय, पंचायतों और एनजीओ स्तर पर ट्रेनिंग दी जा रही है। 

इसके अलावा संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस स्टेशन व चेक पोस्ट बनाकर आपदा के प्रति पहले से तैयारियां की जा सकती हैं। इसमें स्थानीय लोगों की भूमिका जागरूकता और जानकारी से अहम हो सकती है। आइजी गुंज्याल का कहना है कि इस समय ऑल वेदर रोड समेत विभिन्न पर्वतीय क्षेत्रों में सड़क निर्माण के कार्य चल रहे हैं। इससे भूस्खलन और सड़क दुर्घटनाओं का ज्यादा खतरा है।

इसके लिए नियमों में निश्चित दूरी पर व निश्चित क्षमता में मलबा डंप करने के लिए डंपिंग यार्ड बनाए जाने चाहिए। ताकि सड़क निर्माण से निकलने वाला मलबा वन क्षेत्रों व नदियों में न गिरे। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो मलबा जंगलों को नुकसान पहुंचाता है और नदियों की धारा भी प्रवाहित हो सकती है। यह एक तरह का मानवजनित खतरा ही होता है। इसे थोड़ी सी तकनीकी जागरूकता से कम किया जा सकता है। निर्माण कार्य में विस्फोटक सामग्री पर पूरी तरह से पाबंदी होनी जरूरी है। इससे पहाड़ मजबूत रहेंगे। 

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