Move to Jagran APP

राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे गांवों में मुसीबत नहीं बनेंगे वन्यजीव

अब जंगली जानवर राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे गांवों में ग्रामीणों के लिए मुसीबत का सबब नहीं बनेंगे।

By Edited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 03:01 AM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 02:38 PM (IST)
राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे गांवों में मुसीबत नहीं बनेंगे वन्यजीव
राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे गांवों में मुसीबत नहीं बनेंगे वन्यजीव

देहरादून, केदार दत्त। राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे गांवों में अब जंगली जानवर ग्रामीणों के लिए मुसीबत का सबब नहीं बनेंगे। वहां अब खेती भी होगी और यह किसानों की झोलियां भी भरेगी। 

loksabha election banner

केंद्र सरकार की परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के तहत हरिद्वार जिले के इन गांवों में संगध खेती (सुगंध देने वाले पौधे) के तहत मिंट और लैमनग्रास के क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। इसके अलावा पौड़ी जिले में लैमनग्रास, चमोली में डेमस्क रोज और नैनीताल में तेजपात के क्लस्टर तैयार करने की कवायद चल रही है। इन चारों जिलों में कुल 45 एरोमा क्लस्टर विकसित किए जाने हैं। राजाजी रिजर्व से लगे करीब डेढ़ सौ गांवों में वन्यजीव फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। 

इसे देखते हुए रिजर्व के निदेशक सनातन की पहल पर यहां फसल पैटर्न में बदलाव कर ऐसी फसलों पर जोर दिया गया, जिसे जंगली जानवर नुकसान न पहुंचाएं और किसानों को बेहतर आमदनी भी हो। इसके लिए सगंध पौधा केंद्र के सहयोग से क्षेत्र के टीरा गांव में लैमनग्रास की खेती की पहल की गई, जिसके अच्छे नतीजे सामने आए। अब सगंध पौधा केंद्र (कैप) के सहयोग से रिजर्व से लगे गांवों में पीकेवीवाई के तहत सगंध खेती के क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। 

असल में पीकेवीवाई में कैप ने 45 एरोमा क्लस्टर विकसित करने का निर्णय लिया है, जिसमें हरिद्वार जिले में राजाजी से लगे गांवों को भी सम्मिलित किया गया है। सगंध पौधा केंद्र के निदेशक डॉ.नृपेंद्र चौहान बताते हैं कि राजाजी से लगे गांवों में वन्यजीवों के खेती को नुकसान पहुंचाए जाने के मद्देनजर वहां लैमनग्रास व मिंट की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इनके क्लस्टर विकसित होने से जहां वन्यजीवों की समस्या से निजात मिलेगी, वहीं किसानों को आमदनी भी होगी। 

डॉ.चौहान के अनुसार पौड़ी जिले में लैमनग्रास, चमोली में डेमस्क रोज और नैनीताल में तेजपात की खेती के अच्छे नतीजे सामने आए हैं। लिहाजा इन तीनों जिलों को भी पीकेवीवाई में लिया गया है। इनमें लैमनग्रास, डेमस्क रोज व तेजपात के क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि क्लस्टर तैयार होने पर इन क्षेत्रों में छोटे-छोटे आसवन संयंत्र भी स्थापित किए जाएंगे।

पीकेवीवाई में एरोमा क्लस्टर 

  • जिला--------संख्या 
  • पौड़ी---------05 
  • चमोली------06 
  • हरिद्वार----17 
  • नैनीताल----17  

यह भी पढ़ें: उत्‍तराखंड में कम होंगी गजराज की मुश्किलें, हाथी-मानव संघर्ष को थामने को बनेगी यह योजना

यह भी पढ़ें: ग्रामीण ऐसे कमा सकेंगे लाखों, मछली पालन के लिए दी जा रही है सब्सिडी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.