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उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा के कायल हुए विदेशी मेहमान

एडवेंचर ट्रैवल एंड रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म कॉन्फ्रेंस एंड मार्ट 2019 में विदेशी पर्यटन व्यवसायी उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा से अभिभूत नजर आए।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 04:49 PM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 04:49 PM (IST)
उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा के कायल हुए विदेशी मेहमान
उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा के कायल हुए विदेशी मेहमान

ऋषिकेश, जेएनएन। पाटा के एडवेंचर ट्रैवल एंड रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म कॉन्फ्रेंस एंड मार्ट-2019 में दुनियाभर के 28 देशों से 300 पर्यटन व्यवसायी पहुंचे। यहां वे उत्तराखंड की संस्कृति से भी रूबरू हुए। विदेशी मेहमान उत्तराखंड की आतिथ्य परंपरा और संस्कृति को देखकर अभिभूत नजर आए। 

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मुनिकीरेती स्थित गंगा रिसॉर्ट में तीन दिवसीय एडवेंचर ट्रैवल एंड टूरिज्म कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन विदेशी पर्यटन व्यवसायियों ने भारत में तेजी से विकसित हो रहे पर्यटन उद्योग को जाना और समझा। इस दौरान पर्यटन व्यवसायी उत्तराखंड की अतिथि सत्कार की परंपरा से भी रूबरू हुए। अतिथियों के स्वागत में गढ़वाल और कुमाऊं की सांस्कृतिक वेशभूषा में सजी युवतियां आकर्षण का केंद्र रहीं। 

विदेशी मेहमानों ने पारंपरिक परिधानों में सजी इन युवतियों के साथ फोटो भी खिंचवाए। कलाकारों ने जब उत्तराखंड के मांगल गीतों की प्रस्तुति दी, जिनका विदेशी मेहमानों ने जमकर लुत्फ उठाया। उन्होंने अपने मोबाइल में मांगल गीत की प्रस्तुति कैद की। वहीं आयोजन स्थल के बाहर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के बैंड की प्रस्तुति भी आकर्षण का केंद्र रही। बैंड की टीम ने सदाबहार गीतों की धुन बजाकर मेहमानों का स्वागत किया। विदेशी मेहमानों ने आइटीबीपी के इस बैंड की प्रस्तुति को भी अपने कैमरों में कैद किया। 

गंगा तट पर स्थित कार्यक्रम स्थल में पहुंचे विदेशी मेहमान गंगा और यहां के ऊंचे-नीचे पर्वतों की छटा से भी आकर्षित हैं। जापान निवासी हेलेना ने बताया कि ऋषिकेश के बारे में जितना सुना था, यह उससे भी खूबसूरत है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में पर्यटन के विकास की संभावनाएं बेहतर हैं। 

आंधी से पंडाल का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त 

गढ़वाल मंडल विकास निगम के गंगा रिसॉर्ट में पाटा की कॉन्फ्रेंस और मार्ट के लिए बने पंडाल में गुरुवार की सुबह उद्घाटन सत्र आयोजित किया गया था। उद्घाटन सत्र शुरू होते ही मौसम का मिजाज बदल गया और तेज अंधड़ चलने लगा। इस बीच पंडाल के मुख्य प्रवेश द्वार का हिस्सा तेज आंधी से क्षतिग्रस्त हो गया और पंडाल के छत से जुड़े एक लोहे के पिलर का नट निकल गया। जिससे पिलर तेज आवाज के साथ अन्य पिलरों से टकराने लगा। 

यहां मौजूद कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों और पुलिस के जवानों ने किसी तरह करीब आधे घंटे तक इस पिलर को पकड़े रखा। आंधी-तूफान इतना तेज था कि सामने की ओर का तिरपाल और बैनर भी फट गए और तेज हवा के झोंके पंडाल के भीतर आने लगे। जिससे पंडाल की छत का तिरपाल भी आगे की ओर से उड़ने लगा। इस बीच टेंट कंपनी के दो कर्मचारी टेंट की छत पर जा पहुंचे और कार्यक्रम समाप्त होने तक दोनों तिरपाल को पकड़कर बैठे रहे। इस बीच तेज आंधी-तूफान से पंडाल के भीतर मौजूद विदेशी अतिथि भी डर गए और कई अतिथि कार्यक्रम के बीच में उठाकर बाहर आ गए। पर्यटन मंत्री ने किसी तरह अपना संबोधन पूरा किया। जिसके बाद कार्यक्रम में ब्रेक ले लिया गया। वहीं आयोजन स्थल के बाहर लगाए गए गमले और होर्डिंग्स भी आंधी से टूट गए। 

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उठाया लुत्फ 

विदेशी पर्यटकों ने उत्तराखंडी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लुत्फ उठाया। इस अवसर पर संस्कृति विभाग के कलाकारों ने गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी गीत व नृत्यों की प्रस्तुति दी। देर रात तक विदेशी अतिथियों ने लोक संस्कृति पर आधारित कार्यक्रमों का लुत्फ उठाया। गुरुवार को मुनिकीरेती आयोजन स्थल पर गढ़वाली व्यंजनों को परोसने का भी कार्यक्रम था। मगर, मौसम बिगड़ने के कारण इस कार्यक्रम को भी समेटना पड़ा।

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