ये भी कोरोना वॉरियर, उपलब्ध स्रोतों से ऑनलाइन पढ़ाई कराने का पाठ पढ़ाया
अपर सचिव उच्च शिक्षा इकबाल अहमद ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से प्राचार्यों और विवि के अधिकारियों के साथ बैठक की। उपलब्ध स्रोतों से ऑनलाइन पढ़ाई कराने का पाठ पढ़ाया।
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। कोरोना के खिलाफ जंग में जब सरकारी महकमों में बंदी और मायूसी छाई है। ऐसे में अज्ञात योद्धा ऐसे भी हैं, जो अपने तरीके से इस जंग को शिकस्त देने में मुस्तैदी से जुटे हैं। ये योद्धा हैं अपर सचिव उच्च शिक्षा इकबाल अहमद। प्रदेश में कुल 105 सरकारी डिग्री कॉलेजों में ज्यादातर पर्वतीय क्षेत्रों में हैं, यानी ऐसे क्षेत्रों में जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी की सबसे बड़ी समस्या है। लॉकडाउन के बाद से ठप पड़ी उच्च शिक्षा को चालू करने को एमएचआरडी ने जब ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कराने का फरमान जारी किया तो प्राचार्यों से लेकर कुलपतियों तक की जुबां कनेक्टिविटी का हवाला देकर लड़खड़ा रही थी। ऐसे में इस युवा आइएएस अधिकारी ने बीड़ा उठाया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से प्राचार्यों और विश्वविद्यालयों के अधिकारियों के साथ बैठक की। उपलब्ध स्रोतों से ऑनलाइन पढ़ाई कराने का पाठ पढ़ाया। यकीन मानिए, अब सोए हुए कॉलेज नई उम्मीद के साथ जग रहे हैं।
आखिर खत्म हुआ ऊहापोह
कोविड-19 का संक्रमण गहराते ही सरकार का फरमान जारी हुआ, उधर उत्तराखंड बोर्ड की शेष परीक्षाएं स्थगित। लंबे लॉकडाउन की घोषणा। स्कूल-कॉलेज सब बंद। बोर्ड की शेष परीक्षाओं, राज्य बोर्ड से संबद्ध सरकारी, सहायता प्राप्त अशासकीय और मान्यताप्राप्त गैर सरकारी स्कूलों में सालाना गृह परीक्षाओं को लेकर लंबी चुप्पी तब टूटी, जब प्रदेश के शिक्षा मंत्री ने हस्तक्षेप किया। इसके बाद सीबीएसई की तर्ज पर राज्य बोर्ड की शेष परीक्षाओं पर फैसला लेने पर फौरी सहमति बनी। मंथन का दौर आगे बढ़ा तो एक रोज बाद ही पुरानी सहमति में एक संशोधन किया गया। सीबीएसई में ऐसे विषयों की संख्या कहीं ज्यादा है, जिनकी बोर्ड परीक्षा नहीं हुई है। उत्तराखंड बोर्ड में हाईस्कूल और इंटर के जितने विषय शेष हैं, उनकी परीक्षाएं सिर्फ दो-तीन दिन में हो सकती हैं। तय हुआ कि लॉकडाउन हटेगा, फिर परीक्षाएं होंगी। कक्षा एक से 11वीं तक असमंजस भी छंट गया।
यूं ही एक खामख्याली
कोरोना ने एक संदेश तो सबको दे ही दिया कि भाई कुछ तो करो न। केंद्र की तर्ज पर एक कदम बढ़कर राज्य सरकार ने सभी मंत्री-विधायकों के वेतन-भत्तों में 30 फीसद कटौती कर दी। धुर विरोधी भाजपा, कांग्रेस वेतन-भत्तों की कटौती के इस फैसले पर साथ हैं। लॉकडाउन अब 40 दिन के सफर पर है। आबादी के बड़े हिस्से को रियायती दरों पर सस्ता खाद्यान्न, जरूरतमंदों को मुफ्त भोजन-राशन, बेरोजगार हो चुके श्रमिकों के खाते में राहत राशि देने की चुनौती भी है। राजस्व के तमाम स्नोत अभी सूखे हैं। संकट की इस घड़ी में वर्क फ्रॉम होम को मजबूर है दो लाख सरकारी कार्मिकों की फौज। उसे चलाने वाले अखिल भारतीय सेवा के बड़े कमांडर। सालभर तक वेतन-भत्तों में 30 फीसद कटौती तो दूर की बात, एक दिन से ज्यादा वेतन देने का साहस नहीं जुटा पाए। विधायिका का ये साहस कार्यपालिका के लिए सबक तो है ही।
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साथी हाथ बढ़ाना रे
समाज पर संकट के वक्त इंसानियत का फलक भी बड़ा आकार ले लेता है। ऐसे में जरूरतमंदों की मदद को बढ़ने वाले हाथ प्रदेश की सीमाओं में नहीं बंध रहे। बात राजस्थान के कोटा में कोचिंग लेने वाले उत्तराखंड राज्य के छात्रों की है। लॉकडाउन से जब जनजीवन ठहर गया तो ये छात्र परेशान हैं। राजस्थान में सरकार कांग्रेस की है, लिहाजा प्रभावितों के परिचितों ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से संपर्क साधा। उन्होंने राजस्थान सरकार से बात कर तुरंत मदद का भरोसा बंधा दिया। ऐसा ही कुछ प्रयागराज में भी देखने को मिला। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के विधानसभा क्षेत्र चकराता के करीब 50 छात्र वहां फंसे हैं। उन्हें रहने-खाने की दिक्कतें पेश आ रही हैं। प्रीतम ने प्रयागराज निवासी और कांग्रेस पार्टी के उत्तराखंड प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह को समस्या बताई। समाधान ये हुआ कि अब स्थानीय प्रशासन खुद इन छात्रों को मदद मुहैया कराने पहुंच गया।
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