Move to Jagran APP

अभिनेता कुणाल ने कहा, मोदी सरकार ने लिया बोल्ड डिसिजन

बॉलीवुड अभिनेता कुणाल कपूर ने पांच सौ और हजार के नोट बंद करने के निर्णय को मोदी सरकार का बोल्ड डिसिजन बताया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में फिल्म निर्माण की बेहतरीन लोकेशन्स हैं।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 10 Nov 2016 03:30 PM (IST)Updated: Fri, 11 Nov 2016 05:00 AM (IST)
अभिनेता कुणाल ने कहा, मोदी सरकार ने लिया बोल्ड डिसिजन

अंकुर त्यागी, [देहरादून]: रंग दे बसंती फिल्म से बॉलीवुड में पहचान बनाने वाले अभिनेता कुणाल कपूर ने पांच सौ और हजार के नोट बंद करने के निर्णय को मोदी सरकार का बोल्ड डिसिजन बताया। उन्होंने कहा कि यह सराहनीय प्रयास है और इसकी जरूरत थी। बेशक लोगों को इससे थोड़ी परेशानी हो सकती है, लेकिन इसके दूरगामी नतीजे देशहित में होंगे।
कुणाल कपूर का मानना है कि पीरियड फिल्मों में काम करना चुनौतियों से भरा है। बोले 'मैं 'रागदेश' फिल्म में आजाद हिंद फौज के एक अफसर शाहनवाज की भूमिका में हूं। वहीं, रिलीज होने को तैयार फिल्म 'वीरम' में भी कालखंड का रोल है।

prime article banner

पढ़ें-फिल्म निर्देशक तिग्मांशु बोले, फिल्म निर्माण युद्ध से कम नहीं
कुणाल बताते हैं ह्यूमन नेचर तो सभी का लगभग एक जैसा होता है, लेकिन उस कल्चर व माहौल को जीना आज के दौर में कठिन काम है। हमें उस समय को दर्शकों के सामने प्रस्तुत करना होता है। इसलिए इस प्रकार के रोल चुनौतीपूर्ण होते हैं।

पढ़ें-उत्तराखंड में तिग्मांशु की फिल्म रागदेश की शूटिंग शुरू
इन दिनों तिग्मांशु धूलिया निर्देशित फिल्म 'रागदेश' की देहरादून में कुछ लोकेशन्स पर शूटिंग चल रही है, जिसके सिलसिले में कुणाल दून में हैं। वह दैनिक जागरण कार्यालय पहुंचे और अपने अनुभव साझा किए। बकौल कुणाल उन्होंने रागदेश फिल्म की स्क्रिप्ट पढऩे के बाद नेताजी सुभाष चंद्र और आजाद हिंद फौज को करीब से जाना। स्कूल-कॉलेज टाइम में उन्हें पढ़ने व जानने का मौका ही नहीं मिला। अब पता चला कि राष्ट्र के प्रति उनका कितना बड़ा योगदान था। इस फिल्म के माध्यम से देशभर को निश्चित ही सुभाष चंद्र बोस के जीवन को जानने का मौका मिलेगा।
उन्होंने कहा कि उनकी फिल्म वीरम जनवरी में तीन भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी और मलयालम में रिलीज होगी। उनकी नकारात्मक रोल करने की इच्छा इसके जरिये पूरी हुई। उन्होंने कहा कि निगेटिव रोल के लिए किरदार दमदार होना चाहिए, जैसा कि चंदू चेकावर का है, जो एक खलनायक है। यह मलयालम इतिहास के लोकप्रिय योद्धा और शेक्सपियर के मकबैथ का मिला-जुला किरदार है।

पढ़ें-उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के उपाध्यक्ष पद लेने में तिग्मांशु धूलिया ने जताई असमर्थता
यह किरदार इसलिए चुनौतीपूर्ण रहा, क्योंकि इसमें तीनों भाषाओं में काम किया। जबकि, मलयालम बोलना तो दूर, कभी ठीक से सुनी भी नहीं। हालिया समय में रुपहले पर्दे से दूर रहा, क्योंकि जो भी स्क्रिप्ट मिली उनके किरदार से संतुष्ट नहीं था। अब मैं खुद भी कुछ स्क्रिप्ट लिख रहा हूं।
यहां बेहतरीन लोकेशन्स
कुणाल कपूर ने कहा कि उत्तराखंड में बेहतरीन लोकेशन्स हैं। वह पहले भी यहां आ चुके हैं। लेकिन, आश्चर्य की बात ये है कि यहां ज्यादा फिल्मों की शूटिंग नहीं होती। उन्हें लगता है कि इसके लिए सरकार स्तर पर कुछ प्रयास करने की जरूरत है। शूटिंग को यहां आसान और किफायती बनाना होगा। मसलन, यूनिट के लिए मुंबई से देहरादून तक हवाई सफर बेहद महंगा है।
पढ़ें:- मीत ब्रदर्स में तलवारबाजी करती नजर आएंगी उर्वशी रौंतेला


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.