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प्रॉपर्टी डीलरों पर कसा शिकंजा, बिना पंजीकरण जमीन और मकान बेचा तो खैर नहीं

अब उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ने प्रॉपर्टी डीलरों के अनिवार्य पंजीकरण को लेकर सख्ती बरतने का निर्णय लिया है। ऐसे में पंजीकरण के बगैर जमीन की खरीद-फरोख्त नहीं होगी।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 08:50 AM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 08:50 AM (IST)
प्रॉपर्टी डीलरों पर कसा शिकंजा, बिना पंजीकरण जमीन और मकान बेचा तो खैर नहीं
प्रॉपर्टी डीलरों पर कसा शिकंजा, बिना पंजीकरण जमीन और मकान बेचा तो खैर नहीं

देहरादून, सुमन सेमवाल। दून शहर के हर गली-मोहल्ले में 10-12 प्रॉपर्टी डीलर (रियल एस्टेट ब्रोकर) तो मिल ही जाएंगे। जो कहीं किसी की जमीन बिकवाने को विक्रेता व क्रेता के बीच बिचौलिए का काम करते हैं। कहीं फ्लैट, मकान या दुकान का सौदा तय कराते हैं। ऐसे में यदि कभी जमीन या मकान की खरीद-फरोख्त में कहीं कोई धोखाधड़ी होती है तो प्रॉपर्टी डीलर साफ बच निकलते हैं। लिहाजा, अब उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ने प्रॉपर्टी डीलरों के अनिवार्य पंजीकरण को लेकर सख्ती बरतने का निर्णय लिया है। 

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रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार की तरफ से बुधवार को सार्वजनिक रूप से जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि जो भी प्रॉपर्टी डीलर रेरा में पंजीकरण कराए बिना धंधा करते हैं तो उन पर पांच फीसद तक का जुर्माना लगाया जाएगा। रेरा के आदेश के अनुसार, पांच फीसद जुर्माने का यह आशय हुआ कि किसी जमीन या भवन की जो भी लागत होगी, उसके हिसाब से पांच फीसद तक की गणना की जाएगी। 

इसलिए उठाया गया ये कदम 

रेरा को यह कदम इसलिए भी उठाना पड़ा कि रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवपलमेंट) एक्ट के मई 2017 में लागू होने से अब तक देहरादून समेत पूरे प्रदेश में महज 278 प्रॉपर्टी डीलरों ने ही पंजीकरण कराया है। प्रदेश में उत्तराखंड रेगुलेटरी अथॉरिटी के स्थायी रूप से 13 मार्च 2018 से काम करना शुरू कर दिया था। 

इससे पहले रेरा सचिवालय के रूप में काम कर रहे उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) के दौरान ही 175 डीलरों का पंजीकरण हो गया था। यानी कि इसके बाद के 19 महीने में महज 103 डीलरों का ही पंजीकरण हो पाया। रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार भी पंजीकरण संख्या अपेक्षाकृत कम होने की बात स्वीकार करते हैं। उनका कहना है कि अब बिना पंजीकरण धंधा करने वाले प्रॉपर्टी डीलरों के खिलाफ सख्ती से निपटा जाएगा।

जिस जमीन और प्लॉट का पंजीकरण नहीं, उसकी भी बिक्री पर रोक

यदि किसी 500 वर्गमीटर से अधिक की जमीन पर प्लॉटिंग की जा रही है या किसी भवन परियोजना का क्षेत्रफल 500 वर्गमीटर या आठ अपार्टमेंट से अधिक हैं तो उसका रेरा में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। लिहाजा, रेरा ने तय किया है कि जो भी रियल एस्टेट ब्रोकर इस तरह की किसी भी परियोजना की खरीद-फरोख्त में बिचौलिए का काम कर रहे हैं तो वह पहले यह सुनिश्चित कर लें कि उनका पंजीकरण कराया गया है, या नहीं। 

दून समेत अन्य क्षेत्रों में धड़ल्ले से रेरा में अपंजीकृत परियोजनाओं के सौदे भी करा रहे हैं। इस दशा में भी संबंधित प्रॉपर्टी डीलरों पर कार्रवाई की जाएगी। फिर चाहे डीलर का स्वयं का पंजीकरण ही रेरा में क्यों न हो। 

पंजीकरण के आंकड़े बयां कर रहे उल्लंघन की कहानी

रेरा में महज 262 परियोजनाएं ही पंजीकृत हैं। इससे कहा जा सकता है कि बड़ी संख्या में आवासीय परियोजनाओं व जमीनों की खरीद-फरोख्त रेरा के नियमों के विपरीत की जा रही है। यानी कि जो प्रॉपर्टी डीलर रियल एस्टेट एजेंट के रूप में रेरा में पंजीकृत भी हैं, वह भी यह काम कर रहे हैं।

जिम्मेदारी से नहीं बच पाएंगे एजेंट

रियल एस्टेट एजेंट या प्रॉपर्टी डीलर यदि पंजीकृत होंगे तो वह अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच पाएंगे। संपत्ति की खरीद-फरोख्त में किसी भी तरह की धोखाधड़ी पर निवेशक उसकी शिकायत रेरा में कर सकेंगे। रेरा में कुछ मामले ऐसे भी आए हैं, जिससे जमीन दिखाने वाले प्रॉपर्टी डीलर पंजीकृत नहीं थे और रजिस्ट्री न होने पर उसने क्रेता से पल्ला झाड़ दिया था। लिहाजा, लोगों को भी चाहिए कि वह किसी भी प्रॉपर्टी डीलर पर आंख मूंदकर भरोसा करने से पहले यह जरूर देख लें कि उसका रेरा में पंजीकरण है भी या नहीं।

एजेंटों के अधिकार भी होंगे सुरक्षित

ऐसा नहीं है कि यह अनिवार्य पंजीकरण का यह निर्णय सिर्फ निवेशकों के हितों को ध्यान में रखकर किया गया है, बल्कि इससे एजेंटों के हितों की भी रक्षा हो पाएगी। यदि किसी सौदे को लेकर क्रेता व विक्रेता से निर्धारित कमीशन तय किया गया है और बाद में वह राशि नहीं मिल पाती है तो एजेंट इसकी शिकायत रेरा से कर पाएंगे। यह शिकायत जमीन विक्रेता के साथ ही खरीदार के खिलाफ भी की जा सकती है। हालांकि, इसके लिए एजेंट का रेरा में पंजीकरण होना जरूरी है।  

जौलीग्रांट में शॉपिंग कॉम्पलेक्स सील

मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) में साडा क्षेत्र व एचआरडीए के ऋषिकेश क्षेत्र का विलय होने के बाद अब बाहरी क्षेत्रों में भी अवैध निर्माण पर कार्रवाई तेज हो गई है। इस क्रम में एमडीडीए ने जौलीग्रांट में एक शॉपिंग कॉम्लेक्स व फ्लैट वाली दो आवासीय इकाइयों को सील कर दिया।

एमडीडीए सचिव एसएल सेमवाल की ओर से की गई कार्रवाई में जौलीग्रांट के हिमालयन इंस्टीट्यूट के पास कविंद्र नेगी के कॉम्पलेक्स को सील किया गया। इस निर्माणाधीन कॉम्पलेक्स में कुल आठ दुकानों को सील किया गया। इसके अलावा जौलीग्रांट के ही आदर्श नगर में विकास उनियाल की दो आवासीय इकाइयों को सील किया गया। 

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सीलिंग टीम में सहायक अभियंता मनोज कुमार जोशी, संजीव अग्रवाल, धर्म सिंह, महावीर आदि शामिल रहे। उधर, एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि बाहरी क्षेत्रों में अवैध निर्माण की आशंका काफी प्रबल है। लिहाजा, फील्ड टीम को विशेष रूप से सक्रिय रहने को कहा गया है। 

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