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सीबीएसई ने की जीआरडी व‌र्ल्ड की मान्यता की रद

छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म मामले में आखिरकार जीआरडी व‌र्ल्ड स्कूल पर गाज गिर गई है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने स्कूल की मान्यता रद कर दी है। बोर्ड ने उत्तराखंड शासन द्वारा स्कूल की मान्यता रद करने को लेकर भेजे गए पत्र के बाद यह कदम उठाया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 03:00 AM (IST)
सीबीएसई ने की जीआरडी व‌र्ल्ड की मान्यता की रद
सीबीएसई ने की जीआरडी व‌र्ल्ड की मान्यता की रद

जागरण संवाददाता, देहरादून: छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म मामले में आखिरकार जीआरडी व‌र्ल्ड स्कूल पर गाज गिर गई है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने स्कूल की मान्यता रद कर दी है। बोर्ड ने उत्तराखंड शासन द्वारा स्कूल की मान्यता रद करने को लेकर भेजे गए पत्र के बाद यह कदम उठाया है।

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बोर्ड के संयुक्त सचिव (संबद्धता) की तरफ से जारी पत्र के अनुसार, बोर्ड की ओर से स्कूल को एक अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2018 तक सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी के लिए प्रोविजनल एफिलिएशन प्रदान किया गया था। स्कूल प्रबंधन की ओर से इसके एक्सटेंशन के लिए भी बोर्ड को प्रार्थना पत्र दिया गया था। लेकिन, 16 अगस्त को स्कूल में नाबालिग छात्रा से हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार की मान्यता रद किए जाने की संस्तुति और शिक्षा विभाग के निरीक्षण में पाई गई खामियों के मद्देनजर स्कूल की मान्यता रद कर दी गई है। नए दाखिलों पर रोक

सीबीएसई के क्षेत्रीय अधिकारी रणबीर सिंह ने बताया कि बोर्ड द्वारा जारी किए गए आदेशों में स्कूल की मान्यता रद करते हुए एक्सटेंशन के आवेदन को भी अस्वीकार कर दिया है। उन्होंने बताया कि बोर्ड ने स्कूल प्रबंधन को साफ आदेश दिए हैं कि वह मान्यता रद होने के बाद कहीं भी बोर्ड एफिलिएशन नंबर का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। इतना ही नहीं 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं के नए दाखिलों पर भी रोक लगा दी गई है। अध्ययनरत छात्रों को राहत

क्षेत्रीय अधिकारी के अनुसार, बोर्ड स्कूल में पढ़ रहे मौजूदा छात्रों के भविष्य को लेकर भी संवेदनशील है। इसे देखते हुए अभी तक जितने भी छात्र बोर्ड में पंजीकृत हैं, उनका नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। दसवीं व बारहवीं के पंजीकृत छात्र, वर्ष 2019 की बोर्ड परीक्षा दे पाएंगे। बाकी स्कूलों के लिए भी नजीर

इस मामले में भले ही बोर्ड ने फैसला लेने में कुछ देरी दिखाई, लेकिन इतना साफ है कि नियमों की अनदेखी और सुरक्षा इंतजामों को लेकर बोर्ड का यह फैसला अन्य स्कूलों के लिए नजीर बनेगा। इसके अलावा स्कूलों को अब नियमों की अनदेखी पर बोर्ड द्वारा स्कूलों पर त्वरित कार्रवाई किए जाने का भी भय बनेगा। दून में किसी स्कूल की मान्यता रद होने का यह संभवत: पहला मामला है।


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