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एसआइटी जांच से बच रहे छात्रवृत्ति के घोटालेबाज, गिरफ्तारी को होगी कानूनी प्रक्रिया

करोड़ों की छात्रवृत्ति घोटाले को अंजाम देने वाले अधिकारी और कर्मचारी एसआइटी की जांच से बचते फिर रहे हैं। गिरफ्तारी के लिए कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 05 Mar 2019 09:34 AM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2019 09:34 AM (IST)
एसआइटी जांच से बच रहे छात्रवृत्ति के घोटालेबाज, गिरफ्तारी को होगी कानूनी प्रक्रिया
एसआइटी जांच से बच रहे छात्रवृत्ति के घोटालेबाज, गिरफ्तारी को होगी कानूनी प्रक्रिया

देहरादून, संतोष भट्ट।  करोड़ों की छात्रवृत्ति घोटाले को अंजाम देने वाले अधिकारी और कर्मचारी एसआइटी की जांच से बचते फिर रहे हैं। इसमें प्रोफेशनल शिक्षण संस्थानों के कई संचालक भी शामिल हैं। एसआइटी सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता के प्रमाण पहले ही मिल चुके हैं। गिरफ्तारी के लिए कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। ऐसे में पुख्ता प्रमाण और औपचारिकताएं पूरी होते ही घोटाले में संलिप्त अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी। 

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दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआइटी को चार कॉलेजों के खिलाफ पुख्ता प्रमाण मिलने पर दो संचालक को गिरफ्तार किया गया है। । इन पर फर्जी छात्रों के नाम पर 20 करोड़ से ज्यादा का छात्रवृत्ति डकराने का आरोप है। अभी 30 से ज्यादा प्रोफेशनल संस्थान पर कार्रवाई होनी बाकी है। 

आवेदन पत्र जमा करने, सत्यापन करने, बजट स्वीकृत कर जारी करने, खाता खुलवाने जैसी जिम्मेदारी संभालने वालों की भूमिका पर एसआइटी की कदम ठिठक रखे हैं। 

सूत्रों का कहना है कि जांच की जांच आने के बाद शासन और प्रशासन के कई अधिकारी बचाव को रास्ते तलाश रहे हैं। अधिकारी शासन के बड़े अधिकारियों से लेकर सरकार की परिक्रमा करने में लगे हुए हैं। हालांकि इस मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार में जो भी संलिप्त होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी। 

इसके बावजूद छह माह से ज्यादा समय तक जांच को लटकाए रखने के बाद हाईकोर्ट ने जब संज्ञान लिया तो एसआइटी की जांच आगे बढ़ी। इस बीच हाईकोर्ट ने एसआइटी से मामला सीबीआइ को भेजने का विकल्प लिया तो एसआइटी ने आनन-फानन में आइपीएस कॉलेज के एक संचालक को गिरफ्तार कर लिया।

शनिवार को हरिद्वार क्षेत्र से ही एसआइटी ने तीन कॉलेजों के मालिक को भी गिरफ्तार किया है। अब सवाल यह है कि इन चार कॉलेजों को करीब 20 करोड़ से ज्यादा की रकम जारी करने में क्या अधिकारियों और कर्मचारियों की कोई भूमिका नहीं रही होगी। इस पर एसआइटी प्रभारी आइपीएस मंजूनाथ टीसी का कहना है कि पुख्ता प्रमाण जुटाए जा रहे हैं। संलिप्तता सामने आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। 

एससी-एसटी के छात्रों की सूची मांगी 

प्रेमनगर में दर्ज मुकदमे में पुलिस ने क्षेत्र के निजी कॉलेजों से एससी और एसटी के छात्र-छात्राओं की सूची मांगी गई है। सूची के अलावा ऐसे छात्र-छात्राएं, जिनको छात्रवृत्ति मिली है उनके बारे में ऐडमीशन से लेकर दूसरे प्रमाण भी मांग गए हैं। सीओ डालनवाला जया बलोनी ने कहा कि अभी तक एल्पाइन इंस्टीट्यूट से सूची मांगी गई है। यहां करीब 80 से ज्यादा छात्र-छात्राएं संदिग्ध बताए जा रहे हैं। सूची मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा दूसरे संस्थानों को भी पत्र लिखे जा रहे हैं। 

दस माह तक किसने लटकाई जांच 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जनता दरबार में आई शिकायत पर 13 अप्रैल 2018 को छात्रवृत्ति घोटाले की जांच के आदेश दिए थे। एसआइटी का गठन हुआ तो जांच शुरू की गई। मगर जांच को करीब दस माह तक लटकाए रखा। हाईकोर्ट ने दिसंबर में संज्ञान लिया तो प्रकरण में एसआइटी ने जांच तेज की।

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