थर्मल स्क्रीनिंग और सैनिटाइज के बाद किया जलाभिषेक
कोरोना संक्रमण के बीच सावन के दूसरे सोमवार पर दून के शिवालयों में श्रद्धालुओं ने शारीरिक दूरी बनाकर जलाभिषेक किया।
जागरण संवाददाता, देहरादून: कोरोना संक्रमण के बीच सावन के दूसरे सोमवार पर दून के शिवालयों में श्रद्धालुओं ने शारीरिक दूरी बनाकर जलाभिषेक किया। सुबह पांच बजे से पंडितों ने मंदिरों में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ रुद्राभिषेक किया। इस बार बीते सोमवार के मुकाबले श्रद्धालुओं की भीड़ कम नजर आई। बीते सोमवार को कई मंदिरों में प्रशासन की गाइडलाइन को अनदेखा किया गया था। लेकिन, इस बार मंदिर समिति के सदस्य सुबह से ही गेट से लेकर मंदिर के अंदर तक व्यवस्था बनाते नजर आए। मास्क, सैनिटाइजर के उपयोग के बाद ही श्रद्धालुओं को मंदिरों में प्रवेश दिया गया। हालांकि, सेवादारों के मना करने के बाद भी कुछ मंदिरों में प्रतिमा के समक्ष कुछ श्रद्धालुओं ने प्रसाद चढ़ाकर तिलक लगाया।
गढ़ी कैंट स्थित टपकेश्वर महादेव मंदिर में दिगंबर भरत गिरि महाराज के सानिध्य में सुबह रुद्राभिषेक किया गया। यहां पुलिसकर्मियों के साथ ही सेवादार व्यवस्था बनाने में जुटे रहे। सहारनपुर चौक स्थित पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर में एक बार पांच श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया। चढ़ावे के प्रसाद को सेवादारों ने बाहर परिसर में ही रखवाया। दोपहर में श्रद्धालुओं को खीर का प्रसाद वितरित किया गया, जबकि शाम को 51 किलो मेवे से पृथ्वीनाथ का भोग लगाया गया। पलटन बाजार स्थित जंगम शिवालय में काफी कम श्रद्धालु जलाभिषेक को पहुंचे। धर्मपुर स्थित प्राचीन शिव मंदिर में पात्र घर से लाने के बाद ही श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया। धर्मपुर स्थित हनुमान मंदिर, सरस्वती विहार स्थित शिव शक्ति मंदिर, पटेलनगर स्थित श्याम सुंदर मंदिर में पंडित श्रद्धालुओं में शारीरिक दूरी का पालन कराते हुए दिखे। बीते सोमवार की तरह इस बार भी नेहरू कॉलोनी स्थित सनातन धर्म मंदिर के कपाट बंद रहे। यहां श्रद्धालुओं ने बाहर से ही माथा टेककर आशीर्वाद लिया।
कमलेश्वर महादेव में भोले का जलाभिषेक
कोरोनाकाल को देखते हुए जीएमएस रोड स्थित कमलेश्वर महादेव में मंदिर समिति और पंडितों ने जलाभिषेक को मना किया था। हालांकि, बीते सोमवार को कुछ श्रद्धालु जल चढ़ाने के लिए आए तो उन्हें प्रवेश दिया गया। लेकिन इस बार यहां भीड़ काफी रही। बच्चों से लेकर बुजुर्ग जलाभिषेक के लिए पहुंचे। पंडित सुशील उपाध्याय ने बताया कि जलाभिषेक को मना किया गया था, लेकिन आस्था का मामला होने के चलते जलाभिषेक की अनुमति दी गई।