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एक को 65 साल में चाहिए पद, एक का 28 में मोह भंग; पढ़ि‍ए पूरी खबर

लोक निर्माण विभाग से कोई कार्मिक अलग होना चाहता हो। तभी तो मुख्य अभियंता पद से रिटायर हुए एक महाशय ने इसके बाद विभाग के तकनीकी सलाहकार की जिम्मेदारी पकड़ ली।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 03:24 PM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 09:49 PM (IST)
एक को 65 साल में चाहिए पद, एक का 28 में मोह भंग; पढ़ि‍ए पूरी खबर
एक को 65 साल में चाहिए पद, एक का 28 में मोह भंग; पढ़ि‍ए पूरी खबर

देहरादून, सुमन सेमवाल। लोक निर्माण विभाग से शायद ही कोई कार्मिक अलग होना चाहता हो। तभी तो मुख्य अभियंता पद से रिटायर हुए एक महाशय ने इसके बाद विभाग के तकनीकी सलाहकार की जिम्मेदारी पकड़ ली और अब 65 साल में भी उनकी लालसा है कि किसी तरह यह कार्यकाल बढ़ जाए। दूसरी तरफ, लोनिवि में इंजीनियरिंग की सबसे छोटी कड़ी जूनियर इंजीनियर से अपना सफर शुरू करने वाली एक युवा कार्मिक ने अपना त्यागपत्र विभागाध्यक्ष को सौंप दिया है।

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दोनों प्रकरण एक ही विभाग के हैं, मगर दोनों की परिस्थिति में बड़ा अंतर है। जो महाशय 65 साल की उम्र में भी अपना कार्यकाल बढ़ने की उम्मीद पाल रहे हैं, उनका नाम आरपी भट्ट है और वह मुख्य अभियंता पद से रिटायर हुए हैं। दूसरी तरफ जिस जूनियर इंजीनियर का अपने अल्प कार्यकाल में ही विभाग से मोह भंग हो गया, वह 28 वर्षीय कीर्तिका बिष्ट हैं। जो सुदूर निर्माण खंड लोहाघाट में तैनात हैं। उनकी मुश्किल यह है कि वह संविदा पर कार्यरत हैं और पांच साल से महज 15 हजार रुपये मासिक वेतन पर काम कर रही हैं।

लोक निर्माण विभाग में कमीशन का खेल किसी से छिपा नहीं है। शायद यही कारण है कि कीर्तिका जैसे 353 जूनियर इंजीनियर संविदा पर काम कर रहे हैं और आरपी भट्ट जैसे रिटायर्ड चीफ इंजीनियर भी 65 साल की उम्र में अपना कार्यकाल बढ़ाने की अर्जी दाखिल करने से गुरेज नहीं कर रहे। जो कार्मिक कमीशन के इस रिवाज में रचबस गए हैं, उन्हें तो यह 15 हजार की नौकरी भी प्यारी होगी। मगर, कीर्तिका जैसे इंजीनियर, जिनके लिए यही तनख्वाह सबकुछ है, उन्हें तो मुश्किल पेश आएगी ही। यही वजह है कि कीर्तिका ने जो त्यागपत्र विभागाध्यक्ष को भेजा, उसमें अपनी पीड़ा भी स्पष्ट रूप से बयां कर दी। उन्होंने लिखा है कि 2014 से वह महज 15 हजार रुपये के मानदेय पर कार्य कर रही हैं और लगातार उत्कृष्ट सेवा के बाद भी उनका मानदेय नहीं बढ़ाया जा रहा। ऐसे में वह मानसिक, आर्थिक और बौद्धिक शोषण का शिकार महसूस कर रही है। इस नौकरी में वह अच्छी शिक्षा और अच्छी नौकरी के बारे में भी नहीं सोच सकती हैं, लिहाजा त्यागपत्र देना ही एकमात्र रास्ता नजर आता है।

लोनिवि में मिस्त्री को मिलते हैं 526 रुपये

कीर्तिका ने अपने त्यागपत्र में इस बात का भी उल्लेख किया कि उनके ही विभाग में मिस्त्री स्तर के श्रमिकों भी उनसे अधिक मेहनताना (526 रुपये प्रतिदिन) दिया जाता है। ऐसे में संविदा पर रखे गए जूनियर इंजीनियरों की अनदेखी किया जाना न्यायोचित नहीं है।

मानदेय बढ़ाने का प्रस्ताव शासन में डंप

वर्ष 2019 में जूनियरों इंजीनियरों का मानदेय 35 हजार रुपये मासिक किए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। आपत्ति लगने के बाद यह दोबारा विभाग में आया और फिर शासन को भेज दिया गया। तभी से यह शासन स्तर पर लंबित चल रहा है।

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प्रदीप रावत (अपर सचिव लोनिवि) का कहना है कि जूनियर इंजीनियर कीर्तिका का प्रकरण जानकारी में नहीं है। इस बारे में पता कराया जाएगा। मानदेय बढ़ाने की फाइल का अवलोकन कर उसके मुताबिक उचित निर्णय लिया जाएगा। रही बात 65 साल की उम्र में कार्यकाल बढ़ाने के आवेदन की तो उसे खारिज कर दिया गया है। संबंधित तकनीकी सलाहकार की सेवाएं 28 फरवरी से समाप्त मानी जाएंगी।

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